30 साल की उम्र में पाकिस्तान कमाने गये, जासूसी के आरोप में 8 साल जेल में रहे, 28 साल बाद वापस लौटे कानपुर के शमसुद्दीन
कानपुर। 28 साल बाद कानपुर के शमसुद्दीन पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर देश लौटे। शमसुद्दीन का इंतजार उसका परिवार कर रहा है। कानपुर में भाई फहीमुद्दीन को अपने भाई के घर लौटने की खुशी है। सीसामऊ के सीओ त्रिपुरारी पांडेय ने भी कहा है कि शमसुद्दीन के परिवार को जिस मदद की जरूरत होगी, पुलिस प्रशासन करेगी। शमसुद्दीन जब तीस साल के थे, तब पाकिस्तान कमाने गये थे। जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में वो आठ साल से बंद थे। कराची की जेल से छूटकर वे भारत लौटे तो अमृतसर में उनको क्वारंटाइन किया गया है।
सीसामऊ क्षेत्र के कंघी मोहाल निवासी फहीमुद्दीन ने बताया कि 28 साल पहले 1992 में भाई शमसुद्दीन पाकिस्तान चले गए थे तो परिवार को लोगों को अच्छा नहीं लगा था कि वे अपना देश छोड़कर गए। वे लौटकर नहीं आए तो बाद में उनकी पत्नी भी पाकिस्तान गई थीं लेकिन तलाक के बाद वो वापस लौट गई। कहा कि भाई से उनकी फोन पर बात हो जाती थी, वो घर वापस आना चाहते थे। इसके लिए वे कोशिश भी करते रहे लेकिन 12 साल से उनका परिवार से कोई संपर्क नहीं हो पाया। फिर बाद में पता चला कि जासूसी के आरोप में वे पाकिस्तान की जेल में बंद रहे। 28 साल बाद फिर उनकी मुलाकात भाई से होगी। भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि कुछ दिन पहले शमसुद्दीन से उनकी बात हुई तो उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की जेल में उन पर बहुत जुल्म हुए। उनको एक अंधेरे कमरे में रखा जाता था और खाने को भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता था। शमसुद्दीन की पत्नी और बच्चे कहां हैं, यह फहीमुद्दीन को मालूम नहीं। कहा कि वह भी शमसुद्दीन के साथ पाकिस्तान गई थीं, बाद में वह कानपुर लौट आईं। अब कहां हैं, पता नहीं।
30 साल की उम्र में जूता कारीगर शमसुद्दीन कानपुर से दिल्ली काम की तलाश में आए। शमसुद्दीन एक रिश्तेदार के कहने पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे पाकिस्तान चले गए। 2012 में भारत लौटने की कोशिश में शमसुद्दीन पासपोर्ट बनवाने की कोशिश में थे कि खुफिया एजेंसी ने उनको पकड़ा था। पाकिस्तान में उन पर नकली पासपोर्ट रखने और जासूसी का आरोप लगा था। पाकिस्तान की अदालत ने उनको आठ साल कैद की सजा दी थी। सजा काटने के बाद पाकिस्तान ने शमसुद्दीन को रिहा कर दिया। अमृतसर के हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा है। पाकिस्तान गए शमसुद्दीन अब 58 साल के हो चुके हैं। 26 अक्टूबर को 28 साल बाद फिर से वह भारत लौटे। उनके वापस लौटकर आने से परिवार में खुशी का माहौल है। सीसामऊ सीओ त्रिपुरारी पांडेय ने भी उनको हर संभव मदद देने की बात कही है।
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