राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर में चौराहे पर लगती है स्कूल, जानिए क्यों?
जोधपुर। ना कोई भवन। ना खिड़की-दरवाजा, बैठने के लिए एक दरी और पेड़ की छांव। साथ में 100 से अधिक बच्चों की चहचाहट। चारों तरफ वाहनों का शोर। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर के एक अनोखी पाठशाला की, जहां रोजाना गरीब मजदूरों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। इन्हें ढ़ाने वाले सभी प्रोफेशनल कोर्सेज के स्टूडेंट हैं, जिसमें कोई इंजीनियर तो कोई सरकारी कर्मचारी।
दरअसल, यहां इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय के छात्रों ने एनजीओ के साथ नायाब उदाहरण पेश किया है। विवि के छात्रों ने अपना बहुमूल्य समय और पैसा खर्च कर गरीब बच्चों को शिक्षा मुहैया करवाने का बीड़ा उठाया है। यह पाठशाला रोज शाम पांच से सात बजे तक जोधपुर शहर के भाटी चौराहा सर्किल पर लगती है। बच्चों को रोज शाम को घर जाते वक्त टॉफी, पेंसिल आदि का कुछ ना कुछ उपहार दिया जाता है। ताकी नए बच्चे भी आए और इन बच्चों का भी पढ़ाई में मन लगा रहे।
8 छात्रों से की थी शुरुआत
जोधपुर के भाटी चौराहे पर चलने वाली इस अनूठी स्कूल की शुरुआत 8 छात्रों को पढ़ाने से हुई थी। वर्तमान में यहां पढ़ने वालों की संख्या 130 तक पहुंच गई है। पढ़ाई के साथ-साथ हफ्ते पंद्रह दिन में छात्रों के मनोरंजन के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें खेलकूद प्रतियोगिताओं के अलावा मोटिवेशनल कार्यक्रम होते हैं। बच्चों के अभिभावकों को भी यहां बुलाया जाता है। छात्रों को महान लोगों की जीवनी के बारे में बताया जाता है। उनके बताए मार्गों पर चलने की प्रेरणा दी जाती है।
ऐसे हुई पाठशाला की शुरुआत
एजीओ के कोडिनेटर प्रवीण सिह कविया ने बताया कि उनके मन में यह विचार आया कि जो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं उनको पढ़ाया जाए। इस संबंध में जब आसपास पता किया तो भाटी चौराहे के पास गरीब परिवार से सूचना मिली कि चौराहे के आस-पास के घरों में कई बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जाते। फिर यहां अनूठी पाठशाला अस्तित्व में आई।
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