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निवेशकों के लिए बदल चुका है कश्मीर, विदेशों से लौट रहे हैं युवा उद्यमी, पर्यटकों को दिख रही है बदली तस्वीर

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श्रीनगर, 31 अगस्त: कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म हुए तीन साल गुजरे हैं और अब धरातल पर बदलाव भी नजर आने लगे हैं। स्थानीय कश्मीरियों में हालात को लेकर भरोसा कायम हुआ है। खासकर कश्मीरी युवाओं के मन में जो कुछ करने का जज्बा कायम हो रहा है, वह ना सिर्फ घाटी के लिए बल्कि पूरे देश के लिए काफी उत्साहजनक है। कुछ समय पहले तक कश्मीर घाटी में निवेश के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था और आज विदेशों से पढ़कर युवा अपने घर लौट रहे हैं और घाटी में ही अपना कारोबार शुरू कर रहे हैं। बड़ी बात ये है कि सरकार की ओर से भी युवाओं को रोजगार देने के लिए कई लोकप्रिय योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे पूरी तस्वीर बदली-बदली नजर आने लगी है।

पर्यटन उद्योग की बदलने लगी है तस्वीर

पर्यटन उद्योग की बदलने लगी है तस्वीर

कश्मीर निवेश का एक नया केंद्र बनकर उभर रहा है। यहां की परंपरागत कारोबार को तो तरक्की मिल ही रही है, स्थानीय लोगों ने बिजनेस का नया मॉडल भी पेश किया है, जो पूरे देश के युवाओं के लिए एक उदाहरण बन सकता है। एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक युवा कश्मीरी उद्यमी रमीज राजा ने गांदरबल और कंगन इलाके में स्थानीय संस्कृति पर आधारित मिट्टी के घर बनाने का काम शुरू किया है। स्थानीय तौर पर उपलब्ध चीजों से अभी तक इस तरह के तीन मिट्टी के घरों का निर्माण किया गया है। वह इन सुंदर घरों को 'कुलुब मिट्टी घर' बुलाते हैं। राजा के मुताबिक उन्हें ऐसी प्रेरणा कुछ पर्यटकों की ओर से स्थानीय संस्कृति की झलक को दिखाने की इच्छा जाहिर करने से मिली है। उन्होंने कहा, 'जो टूरिस्ट यहां आते हैं, वह चाहते हैं कि स्थानीय संस्कृति को प्रदर्शित किया जाए, बस यहां से हमें आइडिया मिला और हमने इसपर काम किया।'

निवेश का नया केंद्र बन रहा है कश्मीर

निवेश का नया केंद्र बन रहा है कश्मीर

कश्मीर में हो रहे बदलाव और नई पहल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तवज्जो मिल रही है। हाल ही में संपन्न हुए कश्मीर एंटरप्रेन्योरशिप कॉन्क्लेव 2022 में कश्मीर में कारोबार के इरादे से निवेश के लिए करीब 500 आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन शेख आशिक अहमद ने कहा कि वह चाहते हैं कि ऐसे कार्यक्रमों में युवा भागीदारी करते रहें। उन्होंने कहा, 'हम इस प्रकार के युवा-उन्मुख कार्यक्रमों और आयोजनों पर फोकस कर रहे हैं, जिससे हम उन्हें व्यस्त और जोड़े रख सकें।'

विदेश से पढ़कर लौटी, कश्मीर में शुरू किया कारोबार

विदेश से पढ़कर लौटी, कश्मीर में शुरू किया कारोबार

कश्मीरी युवाओं को अब घाटी में कारोबार की कितनी संभावनाएं दिख रही हैं, इसका सबसे उपयुक्त उदाहरण युवा उद्यमी सोनी गिलानी हैं। वह पढ़ाई करने के लिए यूनाइटेड किंगडम गई थीं। लेकिन, जब पढ़ाई पूरी हो गई तो उन्होंने वापस घाटी लौटने का फैसला किया। उन्होंने कश्मीर घाटी में ही एक नया फैशन आउटलेट खोला है और साथ ही कपकेक बेकरी और कन्फेक्शनरी भी लॉन्च किया है। कश्मीर की एक युवा उद्यमी और वह भी विदेश में पढ़ाई कर चुकी महिला का यह फैसला, बदलते कश्मीर का बेहतरीन उदाहरण लग रहा है।

विदेशी निवेशकों को भी दिखी कश्मीर में उम्मीद

विदेशी निवेशकों को भी दिखी कश्मीर में उम्मीद

कश्मीर के बदले हालातों में जबसे दूसरे देशों के लिए निवेश का द्वार खुला है, नतीजे सकारात्मक दिख रहे हैं। इसी साल मार्च में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के निवेशकों के 31 सदस्यीय ग्रुप ने घाटी की पहली यात्रा की थी। वे स्थानीय कलाकारों से मिले और कश्मीर में कारोबार की संभावनाओं पर चर्चा की। यात्रा के बाद अमीरात इंटरनेशनल इंवेस्टमेंट के चेयरमैन अब्दुल्ला मोहम्मद यूसुफ अल शैबानी काफी प्रभावित नजर आए। उन्होंने कहा, 'इस यात्रा से हम काफी प्रभावित हैं, कारोबार के नजरिए से कश्मीर एक महान स्थान है। चाहे कोई भारत (के किसी भी हिस्से) से आ रहा हो या फिर किसी दूसरे देश से, वह यहां अच्छा व्यवसाय कर सकता है।'

'हिमायत स्कीम'

'हिमायत स्कीम'

इस तरह के प्रयासों के अलावा कश्मीरी युवाओं में प्रगतिशील मानसिकता विकसित करने के लिए कई और योजनाओं पर काम चल रहा है। इसमें एक 'हिमायत स्कीम' है। इस योजना का लक्ष्य 18 से 35 साल तक के 10,000 युवाओं को 3 से 3.5 साल की ट्रेनिंग और बाकी सहायता उपलब्ध करवाना है। इतना ही नहीं इस योजना के तहत प्रशिक्षित युवाओं में से कम से कम आधे को अपना कारोबार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवाई जाती है।

'तेजस्विनी स्कीम'

'तेजस्विनी स्कीम'

'हिमायत स्कीम' के अलावा एक 'तेजस्विनी स्कीम' भी है, जो खासकर युवा लड़कियों (18 से 35 साल) पर केंद्रित है। इसके तहत इन लड़कियों को अपना कारोबार शुरू करके रोजगार उपलब्ध करवाने की व्यवस्था है। इस स्कीम को तहत स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त व्यवसाय जैसे कि फैशन, बेकरी, बुनाई, हस्तशिल्प और अचार बनाने के उद्यम शुरू करने में सहायता की जाती है।

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देश की आर्थिक तरक्की में कश्मीरी युवाओं की बढ़ी भूमिका

देश की आर्थिक तरक्की में कश्मीरी युवाओं की बढ़ी भूमिका

कश्मीर में उद्यमशीलता की यह मानसिकता न सिर्फ घाटी में, बल्कि पूरे भारत के लिए एक मानक स्थापित कर रही है। यही वजह है कि भारत में उद्यमशीलता की दर 2020 में जो 5.3% था, वह सिर्फ एक साल में यानी 2021 में बढ़कर 14.4% पर पहुंच गया। मतलब, आज की तारीख में देश के आर्थिक विकास में युवाओं की बड़ी भूमिका तो है ही, उसमें अब कश्मीरी युवाओं की भागीदारी भी स्पष्ट नजर आने लगी है।

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English summary
Investors' attitude towards investment in Kashmir changed, young entrepreneurs are starting their own business. Contribution has started in the economic progress of the country
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