Indian Railways को कश्मीर में मिली दुनिया की सबसे ऊंची कामयाबी, चिनाब नदी पर किया ये कमाल
श्रीनगर: भारतीय रेलवे ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है। रेलवे के इंजीनियरों ने जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी पर बन रहे दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के दोनों छोड़ के मुख्य मेहराब को जोड़ने का काम पूरा कर लिया है। इसे भारतीय रेलवे के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया जा रहा है। इस पुल के बनने के साथ ही कश्मीर घाटी के लिए सीधी रेलवे कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जाएगी। इस मशहूर रेलवे ब्रिज और इस रेलवे सेक्शन के साथ कई खास बातें जुड़ी हुई हैं, जिससे दुनिया भर में भारतीय रेलवे और उसके इंजीनियरों की धाक जम चुकी है। तैयार होने पर इस पुल की खासियत ये होगी कि यह ना केवल प्राकृतिक आपदाओं को झेलने में सक्षम होगा, बल्कि इसे किसी तरह के हमलों से भी पूरी तरह से सुरक्षित रखने के उपाय किए गए हैं।
चिनाब का रेलवे पुल पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा
चिनाब नदी के ऊपर बन रहे विश्व के इस सबसे ऊंचे रेलवे पुल के दोनों छोड़ के मेहराब को जोड़ने को भारतीय इंजीनियरिंग का चमत्कार कहा जा रहा है। यह रेलवे ब्रिज चिनाब नदी की सतह से 359 मीटर ऊंचा होगा, जो कि पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टावर से भी कम से कम 30 मीटर ज्यादा है। इसीलिए रेलवे के इंजीनियर इस काम को ऐतिहासिक मान रहे हैं। चार दिन पहले ही जब इस पुल के मेहराब के दोनों आधार का काम पूरा हुआ था तो रेल मंत्री ने ट्विटर पर उसे हिस्टोरिक मोमेंट करार दिया था। उन्होंनें लिखा था- 'यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनने के लिए तैयार है।' उन्होंने इसके साथ ही इस पुल के निर्माण कार्य का एक वीडियो भी शेयर किया था। अगर 1,330 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे इंजीनियरिंग के करिश्मे से भरपूर इस पुल की बात करें तो इसकी लंबाई 1,315 किलोमीटर है। इसके इंजीनियरों के मुताबिक इसके मेहराब को तैयार करने में करीब 2 लाख बोल्ट का इस्तेमाल हुआ है।
दिसंबर 2022 तक पूरा होगा
इस रेलवे पुल का निर्माण भौगोलिक रूप से हिमलाय के बहुत ही मुश्किल इलाके में हो रहा है, इसलिए इसे बनाने के लिए दिन-रात काम कर रहे इंजीनियरों और वर्करों की जान हमेशा जोखिम में रहती है। लेकिन, फिर भी कश्मीर को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने के लिए और इसे समय पर पूरा करने के लिए वो दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। नॉर्दर्न रेलवे अभी जम्मू के उधमपुर से कश्मीर में श्रीनगर और बारामूला के बीच 111 किलोमीटर के उस सेक्शन पर निर्माण कार्य में जुटा हुआ है, जो हर कदम पर चुनौतियों से भरा हुआ है। लेकिन, फिर भी रेलवे अधिकारियों का कहना है कि वह अगले साल दिसंबर तक इस मिशन को पूरा करके कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से सीधे रेलवे नेटवर्क से जोड़ देंगे।
28,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण
इस पूरे रेलमार्ग की लंबाई 272 किलोमीटर है, जिसपर नॉर्दर्न रेलवे को अनुमानित 28,000 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है। उधमपुर से कटरा के पहले सेक्शन और बनिहाल से बारामूला के तीसरे सेक्शन के बीच काम पहले ही पूरा हो चुका है और दोनों सेक्शन पर ट्रेनों का संचालन शुरू किया जा चुका है। रेलवे अफसरों के मुताबिक कटरा से बनिहाल सेक्शन के बीच का काम सबसे मुश्किल है, लेकिन फिर तय समय-सीमा पर निर्माण का काम चल रहा है। जिन सेक्शन पर संचालन शुरू किया जा चुका है, उनमें उधमपुर-कटरा सेक्शन (25 किलोमीटर), बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन (18 किलोमीटर) और काजीगुंड-बारामूला सेक्शन (118 किलोमीटर) शामिल हैं।
174 किलोमीटर में सुरेंगें होंगी
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक अभी 111 किलोमीटर के कटरा-बनिहाल सेक्शन पर काम चल रहा है। इस पूरे सेक्शन में 174 किलोमीटर सुरंगें हैं, जिनमें से 126 किलोमीटर में काम पहले ही पूरा किया जा चुका है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक भारतीय रेलवे अभी जितने भी नई रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहा है, शायद उनमें यह सबसे मुश्किल प्रोजेक्ट है। यह रेलवे लाइन हिमालय के तुलनात्मक रूप से नए क्षेत्रों से होकर गुजरती है, इसीलिए तरह-तरह की भौगोलिक चुनौतियां अचानक सामने आ जाती हैं और यह समस्याओं से भरी हुई है। इसीलिए इस प्रोजेक्ट को तीन सब-सेक्शन में बांटकर उसपर काम किया जा रहा है।