Who Was Raju Theth : राजू ठेहट समेत दो की हत्या के बाद SIKAR बंद, परिजनों का शव लेने से इनकार
सीकर में पिपराली रोड पर ओमा ठेहट के घर के बाहर गैंगस्टर राजू ठेहट की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद से सीकर में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।
Raju Thehth Murder in Sikar Rajasthan : 3 दिसम्बर 2022 की सुबह सीकर में चटक धूप खिली थी। रोजाना की तरह पिपराली रोड सीएलसी के पास लोगों की चलह-कदमी बढ़नी शुरू गई हो थी। यहां पर ओमप्रकाश ठेहट का घर पर चचेरा भाई गैंगस्टर राजू ठेहट उर्फ राजू ठेठ भी रुका हुआ था। यह कोई नई बात नहीं थी, मगर आज का शनिवार राजू ठेहट के लिए काल बनकर आया। चार अज्ञात युवक ओमा ठेहट के घर के बाहर आए। चारों के हाथ में हथियार थे। आवाज देकर राजू ठेहट को बाहर बुलाया। एक युवक राजू ठेहट से बात करने लगा। इसी दौरान पत्थरों से भरा ट्रैक्टर आया। चालक ने ट्रैक्टर भी ओमा ठेहट के घर ठीक सामने थाम दिया। उसी ट्रैक्टर की आड़ लेकर बदमाशों ने राजू ठेहट पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं, जिससे राजू ठेहट की मौके पर ही मौत हो गई। हमले में एक अन्य युवक की भी जान चली गई।
राजू ठेहट हत्याकांड के विरोध में सीकर बंद
आखिर कौन राजू ठेहठ की जान का दुश्मन बन गया था? किसने उसे सीकर में दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया? इन सारे सवालों का जवाब सीकर पुलिस की जांच में मिल सकेंगे, मगर सीकर में राजू ठेहट समेत दो की हत्या के बाद से माहौल तनावपूर्ण हो गया है। राजू ठेहट के परिजनों समेत बड़ी संख्या में लोग सीकर के श्री कल्याण अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर एकत्रित हैं। पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है। राजू ठेहट का शव लेने व पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर दिया गया है। लोग पुलिस से राजू ठेहट की हत्या के आरोपियों को अरेस्ट किए जाने की मांग कर रहे हैं। वीर तेजा सेना ने राजू ठेहट हत्याकांड के विरोध में सीकर बंद की घोषणा की है।
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हरियाणा की तरफ भागे हत्यारे
राजस्थान डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि सीकर के राजू ठेठ हत्याकांड में कुछ संदिग्धों बदमाशों की पहचान की गई है। वे हरियाणा सीमा की ओर गए हैं। सीकर पुलिस की टीमें उनका लगातार पीछा कर रही हैं। उनके पकड़े जाने पर पूरा खुलासा हो सकता है। राजू ठेहट हत्याकांड गैंगवार का परिणाम है।
लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गे ने ली जिम्मेदारी
सीकर में राजू ठेहट की गोली मारकर हत्या करने वालों का पता नहीं चल पाया है, मगर राजू ठेठ हत्याकांड की जिम्मेदारी लेने वाली एक पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। Rohit Godara Kapurisar नाम से फेसबुक पर बनी प्रोफाइल पर एक पोस्ट में लिखा कि 'राम राम सभी भाइयों को आज ये जो राजू ठेठ की हत्या हुई है। उसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी मैं लॉरेंस बिश्नोई गैंग का रोहित गोदारा लेता हूं। ये हमारे बड़े भाई आनंदपाल व बलबीर बानूड़ा की हत्या में शामिल था जिसका बदला आज हमने इसे मारकर पूरा किया है। रही बात हमारे और दुश्मनों की तो उनसे भी जल्द मुलाकात होगी। जय बजरंग बली'
कौन था राजू ठेहट, कैसे बना गैंगस्टर ?
बता दें कि राजू ठेहट का जन्म सीकर जिले के दांतारामगढ़ उपखंड में गांव जीणमाता धाम के पास स्थित गांव ठेहट में हुआ। साल 1995 में राजू ठेहट ने अपराध की दुनिया में कदम रख लिया था। उस समय शेखावाटी में सीकर के एसके कॉलेज की छात्र राजनीति सुर्खियों में रहा करती थी। सीकर का गोपाल फोगावट शराब के धंधे से जुड़ा था। राजू ठेहठ से उसके साथ अवैध शराब बेचने लगा था।
राजू ठेहट व बलबीर बानूड़ा की जोड़ी
गोपाल फोगावट के साथ काम करते हुए राजू ठेहठ की मुलाकात सीकर के गांव बानूड़ा के बलबीर बानूड़ा से हुई। बलबीर बानूड़ा दूध बेचा करता था। ज्यादा पैसा कमाने की ख्वाहिश ने राजू ठेहट व बलबीर बानूड़ा को एक साथ मिलकर शराब के कारोबार में उतार दिया। साल 1998 से लेकर 2004 तक राजू ठेहट और बलबीर बानूड़ा ने शराब के अवैध धंधे में खूब पैसा कमाया। कुख्यात भी हुए। दोनों ने मिलकर सीकर में भेभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया। यह शेखावाटी में गैंगवार की शुरुआत थी।
जीणमाता में विजयपाल की हत्या
वक्त बीता और साल 2004 में राजस्थान में शराब के ठेकों का लॉटरी से आवंटन हुआ। राजू ठेहट व बलबीर बानूड़ा के जीणमाता में शराब का ठेका निकला। शराब की इस दुकान पर बलबीर बानूड़ा का साला विजयपाल सेल्समैन था। राजू ठेहट को लगता था कि विजयपाल शराब ब्लैक में बेचता है। इसी बात को लेकर राजू ठेहट और विजयपाल में कहासुनी हो गई, जो बाद में दुश्मनी में बदल गई। राजू ठेहट और उसके साथियों ने विजयपाल की हत्या कर दी।
विजयपाल की हत्या के बाद बलबीर बानूड़ा हुआ खून का प्यासा
राजू ठेहट अपराध के दलदल में फंसता चला गया। साले विजयपाल की हत्या के बाद बलबीर बानूड़ा राजू ठेहट के खून का प्यासा हो गया था। वह राजू ठेहट से बदला लेना चाहता था। राजू ठेहट पर उस पर गोपाल फोगावट का हाथ था। ऐसे में बलबीर बानूड़ा ने नागौर जिले के लाडनू के गांव सावराद के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह से हाथ मिला लिया। आनंदपाल व बलबीर बानूड़ा माइनिंग और शराब का कारोबार करते थे। धीरे धीरे राजू ठेहट और आनंदपाल सिंह की गैंग बनती गई और दोनों के बीच दुश्मीन भी।
गोपाल फोगावट हत्याकांड सीकर
राजू ठेहट से बदला लेने के लिए बलबीर बानूड़ा और आनंदपाल ने जून 2006 में राजू के संरक्षक गोपाल फोगावट की हत्या कर दी। सीकर के कल्याण सर्किल के पास एक दुकान में गोपाल फोगावट को गोलियों से भून दिया गया था। गोपाल फोगावट हत्याकांड के छह साल तक राजू ठेहट और आनंदपाल सिंह गैंग अंडरग्राउंड रही। फिर साल 2012 में बलबीर बानूड़ा और आनंदपाल पुलिस के हत्थे चढ़ गए। राजू ठेहट भी सलाखों के पीछे पहुंच गया।
सीकर जेल में राजू ठेहट पर हमला , बानूड़ा की हत्या
बलबीर बानूड़ा के दोस्त सुभाष बराल ने 26 जनवरी 2013 को सीकर जेल में बंद राजू ठेहट पर हमला किया। हालांकि हमले में राजू ठेहट बच गया था। राजू ठेहट के जेल जाने के बाद पूरी गैंग की कमान भाई ओमा ठेहट ने संभाली। उधर, आनंदपाल सिंह व बलबीर बानूड़ा को बीकानेर में भेज दिया गया था। ओम ठेहट का साला जेपी व रामप्रकाश भी बीकानेर जेल में ही बंद थे। ठेहट गैंग ने जेल में आनंदपाल व बलबीर बानूड़ा से बदला लेने के लिए उन तक हथियार सप्लाई किए। 24 जुलाई 2014 को बीकानेर जेल में बलबीर बानूड़ा की हत्या कर दी गई। हमले में आनंदपाल बच गया था।
आनंदपाल एनकाउंटर व राजू ठेहट की रिहाई
फिर साल 2016 में आनंदपाल सिंह पेशी पर ले जाते समय पुलिस हिरासत से फरार हो गया था। करीब सालभर फरारी काटने के बाद आनंदपाल का चूरू जिले के रतनगढ़ के गांव मालासर में 24 जून 2017 को एनकाउंटर कर दिया गया। इधर, साल 2022 में राजू ठेहट जमानत पर जेल से बाहर आया। राजनीति में कदम रखने वाला था। अब 3 दिसम्बर 2022 को सीकर में ओमा ठेहठ के घर के बाहर राजू ठेहठ की गोली मारकर हत्या कर दी गई।