Rajasthan: कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बसपा तैयार, जिले और बूथ पर सम्मेलन से जोड़ेंगे कार्यकर्ता
जयपुर, 13 अगस्त। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने छह विधायकों के झटके से उबरने के लिए सीएम अशोक गहलोत के विधानसभा चुनाव 2023 में दर्द देने की तैयारी शुरू कर ली है। बसपा राजस्थान में अपनी मजबूत पकड़ करेगी। प्रदेश में इन दिनों बसपा के जिलेवार और बूथ स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलनों पर फोकस किया जा रहा है। इस बीच बसपा के वरिष्ठ नेता सांसद रामजीलाल गौतम 26 अगस्त से पांच दिवसीय राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान वे भरतपुर, दौसा से महुआ, गंगापुर सिटी और झुंझुनू में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होंगे। इन जिलों में बसपा का मजबूत जनाधार माना जाता है। विधानसभा चुनाव में बसपा ने कांग्रेस के समीकरण गड़बड़ा दिए थे। बसपा प्रत्याशी जीत की दहलीज पर पहुंचकर चुनाव हार गए थे। लेकिन इस बार बसपा कांग्रेस को घेरने के लिए सम्मेलनों पर फोकस कर रही है।
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पिछले विधानसभा चुनाव में जीते छह विधायक
विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आए 6 विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। राजेंद्र गुढ़ा, लाखन मीणा, वाजिब अली, गिर्राज सिंह मलिंगा, संदीप यादव, दीपचंद खेरिया और जोगिंदर सिंह अवाना बसपा के टिकट पर ही चुनाव जीते थे। लेकिन वर्ष 2020 में सचिन पायलट की बगावत के दौरान बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। गहलोत सरकार को गिरने से बचाने में इन विधायकों की अहम भूमिका मानी गई थी। लेकिन बसपा इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखने जा रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा कि पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया जाएगा। प्रदेश में बसपा मिशन 2023 के तहत टिकाऊ उम्मीदवारों की तलाश कर रही है। सुप्रीमो मायावती से मिली हिदायत के बाद प्रदेश इकाई जिलेवार और बूथ स्तर पर कार्यकर्ता सम्मेलनों पर फोकस कर रही है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि पार्टी सुप्रीमो मायावती की राजस्थान पर विशेष नजर है। प्रदेश नेतृत्व को इस बारे में सख्त हिदायत दे चुकी है कि पार्टी के साथ ऐसे कार्यकर्ताओं को जोड़ा जाए। जो समर्पित होकर लंबे वक्त तक पार्टी को सेवा दे सके। प्रदेश अध्यक्ष बाबा ने कहा कि 2018 में हमने पार्टी के सिंबल पर छह विधायकों को जिताया। लेकिन दुर्भाग्य से सभी नेता विधायक बनने के बाद गहलोत सरकार की ओर से मंत्री पद सहित तमाम तरह के लालच में आ गए और छोड़ कर चले गए। लेकिन इस बार टिकाऊ कार्यकर्ताओं का चयन किए जाने पर जोर दिया जा रहा है।
गहलोत और मायावती के बीच टकराव बरकरार
बसपा सुप्रीमो मायावती की गहलोत से पुरानी अदावत रही है। मायावती गहलोत सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी कर चुकी है। मायावती का कहना है कि राजस्थान में दलित और आदिवासी सुरक्षित नहीं है। दलितों की सुरक्षा करने में कांग्रेस सरकार पूरी तरह विफल रही है। सीएम गहलोत भी मायावती पर निशाना साधने में कोई कमी नहीं रखते हैं। सीएम गहलोत ने यूपी में कांग्रेस को मिली हार के लिए बसपा को ही जिम्मेदार ठहराया था। सीएम गहलोत के मुताबिक 90 के दशक में कांग्रेस का बसपा से गठबंधन था। कांग्रेस ने दो तिहाई सीटें बसपा को दे दी और खुद जूनियर पार्टी बन गई। इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी आज तक खड़ी नहीं हो पाई। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से मायावती कितने पूरा खेल खेला है। इसकी अपेक्षा उनसे नहीं थी। उन्होंने कहा कि वह एक आईडियोलॉजी का प्रतिनिधित्व कर रही थी। लेकिन उन्होंने बसपा को ही धोखा दे दिया। जिस तरह से उन्होंने भाजपा का समर्थन किया है। वह एक तरह से राजनीतिक आत्महत्या है।