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Rajasthan में केसी वेणुगोपाल गहलोत पायलट में सुलह के साथ विधायकों के इस्तीफे भी वापस करवा जाते, जानिए वजह

राजस्थान में केसी वेणुगोपाल भारत जोड़ो यात्रा की समन्वय समिति की बैठक लेने आए। इस दौरान वेणुगोपाल ने पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश भी की। अब सियासी गलियारों में वेणुगोपाल के दौरे पर सवाल उठने लगे हैं।

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Rajasthan में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार को भारत जोड़ो यात्रा के संबंध में बनी प्रदेश की समन्वय समिति की बैठक ली। जहां उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदी सचिन पायलट का हाथ उठाकर एकता का संदेश देने का प्रयास किया। उनके जाने के बाद एक खबर प्रायोजित करने का प्रयास किया गया कि वेणुगोपाल सभी नेताओं को कह कर गए हैं कि यदि किसी ने बयानबाजी की तो 24 घंटे में पद से हटा दिए जाएंगे। यहीं से सवाल उठता है कि यदि वेणुगोपाल अनुशासन को लेकर इतने ही सख्त हैं तो फिर 25 सितंबर को दिए गए विधायकों के इस्तीफों को लेकर भी फैसला क्यों नहीं कर के गए। क्या वेणुगोपाल इन स्थितियों के मामले को पेंडिंग छोड़कर सीधे-सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फायदा पहुंचा गए हैं।

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कांग्रेस हाईकमान की कार्रवाई को लेकर उठ रहे सवाल

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इतना ही नहीं जिन नेताओं ने आलाकमान को आँख दिखाते हुए ना सिर्फ विधायक दल की समानांतर बैठक की। बल्कि प्रभारी अजय माकन के खिलाफ आरोप लगाए। वेणुगोपाल उन नेताओं पर कार्यवाही पेंडिंग रख कर भी कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री के खेमे को फायदा पहुंचा रहे हैं। जब 2 महीने पहले हुई अनुशासनहीनता के मामले में आलाकमान कार्रवाई करने से बच रहा है तो फिर ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि अपनी खुद की एडवाइजरी की धज्जियां उड़ते हुए देखने वाले और 2 महीने में किसी एक मंत्री विधायक पर कार्रवाई तक नहीं करने वाले संगठन महासचिव वेणुगोपाल क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी या किसी अन्य नेता को धमका कर यह कह सकते हैं कि यदि बयानबाजी की तो पद से हटा दिए जाओगे।

केसी वेणुगोपाल को ही राजस्थान के लिए क्यों चुना गया

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दरअसल, केसी वेणुगोपाल कभी भी कांग्रेस में इतने ताकतवर नेता नहीं रहे। जितना कि मंगलवार के दौरे के बाद उन्हें बताने का प्रयास किया गया है। वैसे संगठन महासचिव होना ही उनकी ताकत है। लेकिन इस ताकत का इस्तेमाल पद संभालने से लेकर अब तक एक बार भी वेणुगोपाल नहीं कर पाए हैं। जहां तक राजस्थान की बात है तो वह राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य हैं। इस नाते राजस्थान को लेकर तमाम बातों से वे अपडेट भी रहते हैं। उन्होंने नेताओं की बयानबाजी को लेकर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से रिपोर्ट देने को कहा है अब यदि पार्टी के संगठन महासचिव होने तथा राजस्थान से राज्यसभा सदस्य होने के बाद भी उन्हें प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी के बारे में रिपोर्ट मांगनी पड़ रही है तो फिर क्या उनकी नजर संगठन पर कभी नहीं रहती है। यह सवाल खुद कांग्रेसजनों के दिमाग में घूम रहा है। कांग्रेस के हलकों के अनुसार सच तो यह है कि मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन के सामने कांग्रेस आलाकमान के आदेश की धज्जियां उड़ी और सिर्फ तीन नेताओं को नोटिस देकर इतिश्री कर ली गई। इसके बाद जब पार्टी आलाकमान को आंख दिखाने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी के चलते अजय माकन ने अपना राजस्थान प्रभार छोड़ने की इच्छा जताई और राजस्थान आने में असमर्थ था जता दी तो फिर पार्टी को किसी ना किसी नेता को तो यह जिम्मेदारी देनी ही थी।

भारत जोड़ो यात्रा को राजस्थान में सफल बनाना कांग्रेस का मकसद

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ऐसे में यह जिम्मेदारी राजस्थान से राज्यसभा सदस्य होने के नाते संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को दी गई कि राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा जब राजस्थान से गुजरे तो उसमें किसी तरह का व्यवधान नहीं हो और वह इस तरह का कोई समाधान करके आए। इसी नाते वेणुगोपाल राजस्थान आए और उन्होंने यात्रा की तैयारियों की बैठक की। जिसमें रूट चार्ट से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया। खुद कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनकी उपलब्धि सिर्फ इतनी रही कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गद्दार शब्द सुनने के बाद भी सचिन पायलट ना सिर्फ इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए। बल्कि उन्होंने भले ही दिल से नहीं तो दिखाने के लिए ही सही मीडिया के सामने हाथ खड़े करके दिखाएं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में सभी नेता एकजुट रहेंगे। ताकि यात्रा राजस्थान में तमाम नेताओं की प्रतिद्वंदता के बावजूद सफल रहे। वैसे भी यात्रा अब तक जिन मार्गों से गुजरी है। उनमें राजस्थान पहला ऐसा प्रदेश है। जहां कांग्रेस सत्ता में हैं। ऐसे में राजस्थान में चल रही नेताओं की प्रतिद्वंद्विता को यात्रा गुजर जाने तक शांत रखा जाना भी जरूरी है।

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English summary
KC Venugopal Gehlot Pilot Rajasthan would have got resignations MLA returned along with reconciliation
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