Rajasthan में भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस दिख रही एकजुट, भाजपा नहीं बना पा रही माहौल, जानिए वजह
राजस्थान में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस एकजुट दिखाई दे रही है। वहीं भाजपा की जन आक्रोश यात्रा पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी की भेंट चढ़ गई है। इस बीच सोनिया गांधी अपना 76वां जन्मदिन कोटा में मनाएगी।
Rajasthan में भारत जोड़ो यात्रा के आगमन के साथ ही ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस यात्रा ने राज्य की राजनीति के विरोधी सिरों पर अलग-अलग प्रभाव डाला है। जहां इस यात्रा के आगमन से गुटों में बँटी सत्तारूढ़ कांग्रेस एकजुट रूप से सामने आई है। वहीं इससे विपक्षी भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी लड़ाई और गहरी हो गई है। कांग्रेस के दो नेता जिनके हाथ महीनों से नहीं बल्कि सालों एक दूसरे के गले तक पहुंच रहे थे। झालावाड़ में उस समय एक मंच पर एक दूसरे के साथ हाथ पकड़े हुए नाच रहे थे। जब भारत जोड़ो यात्रा के नेता राहुल गांधी ने 5 दिसंबर की सुबह राजस्थान में प्रवेश किया।
Rajasthan में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बिगड़ रही नेताओं की तबियत, जानिए सियासी वजह
राजस्थान में एक दिसंबर से शुरू हुई जन आक्रोश यात्रा
बहुत जोर शोर से प्रचारित-प्रसारित तथा एक से अधिक बार स्थगित की जा चुकी प्रदेश भाजपा की जनाक्रोश यात्रा जिसका शुभारंभ 1 दिसंबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया। उसने बहुत निराश किया है। क्योंकि एकत्रित भीड़ जहां परिणाम में बहुत कम थी। वही उपस्थित लोग प्रतिक्रिया विहीन, उदासीन एवं भावशून्य नजर आए। भाजपा के सैनिकों की अनुशासित सेना के सभी प्रांतीय नेता राहुल गांधी को चुनौती देने की बात को अनदेखा करके एक दूसरे का गला पकड़ने पर आमदा दिखाई दिए दे रहे थे। राहुल गांधी का राजस्थान में प्रवेश झालावाड़ से हुआ। यह क्षेत्र राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चुनाव क्षेत्र है तथा वे 14 बार चुनाव जीत चुकी है। उनके बेटे दुष्यंत सिंह चार बार लोकसभा चुनावों में विजयी रहे हैं।
पहले जून में शुरू होनी थी भाजपा की यात्रा
अब जरा भाजपा के मोर्चे पर गठित कुछ उल्लेखनीय घटनाओं को स्मरण करें। भाजपा ने कहा कि पहले मई में ही यह घोषणा कर दी थी कि वह कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार तथा आदिवासी और आदिवासी विरोधी गलत कारनामों को उजागर करेगी। राजस्थान जन आक्रोश यात्रा जून में शुरू होने की उम्मीद थी। लेकिन उस समय शुरू नहीं हो सकी। ऐसा लगता है कि या तो भाजपा के साथ जन नहीं है या फिर वह जन आक्रोश को पैदा करने में बुरी तरह असफल रही है या फिर भगवा पार्टी द्वारा की गई सभी संबंधित घोषणाएं जबरदस्त गुटबंदी की स्थिति को धुंधला कर देने का साधन मात्र थी। लेकिन जैसा कि सामने आया है। यह तीनों ही बातें सत्य थी। इसमें सबसे ज्यादा दमदार एवं सच्चा कारण यह था कि पार्टी के भीतर अंदरूनी गुटबाजी बहुत ज्यादा हावी है।
भाजपा की स्टेयरिंग कमेटी में वसुंधरा का नाम नहीं
जेपी नड्डा ने नाराज चल रही वसुंधरा राजे का मंच पर भाव प्रवण स्वागत किया। लेकिन अंदरूनी दरार एवं गुटबाजी पूरी तरह से स्पष्ट एवं जाहिर थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका नाम उस सूची से नदारद है। जिसमें राज्य में भाजपा के इस सबसे बड़े प्रचार प्रसार अभियान के लिए पार्टी के प्रमुख नेताओं के नाम शामिल है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जन आक्रोश रैली के नेतृत्व के लिए गठित प्रमुख नेताओं की स्टेयरिंग कमेटी बनाई गई है। लेकिन उस सूची में न तो वसुंधरा राजे का नाम है और ना ही उनके बेटे दुष्यंत सिंह का। यहां तक कि उस सूची में उनके किसी भी समर्थक नेता का नाम नहीं है। यह शत्रुता इस स्तर पर पहुंच गई कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इस रैली के छपे सारे पोस्टर वापस लेने पड़े।
भाजपा को दोबारा छपाने पड़े पोस्टर्स
पार्टी के मूल पोस्टर्स में हमेशा की तरह एकछत्र नेता नरेंद्र मोदी का ही फोटो था। पार्टी को इन पोस्टर्स को वापस लेना पड़ा। मोदी की भाजपा में यह असाधारण घटना थी। पार्टी द्वारा फिर से नए पोस्टर छपवाए गए। नए पोस्टर में तीनों नेताओं के फोटो लगाए गए। जिसमें मोदी के साथ वसुंधरा राजे और उनके प्रतिद्वंदी सतीश पूनिया के फोटो थे। भारत जोड़ो यात्रा वसुंधरा राजे की सीट झालावाड़ से राजस्थान में प्रविष्ट हुई है और यहां भारी भीड़ जुटी है। भारत जोड़ो यात्रा का रूट मैप यह दर्शाता है कि यह झालावाड़, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, दौसा और अलवर से गुजरेगी। यहां अभी भाजपा काबिज है। इसलिए वे इसे शेर को उसकी ही मांद में घेरने की संज्ञा दे रहे हैं।
कोटा में मनाएगी सोनिया गांधी 76वां जन्मदिन
रोचक बात यह है कि राहुल गांधी 15 दिसंबर को दौसा के लालसोट में किसानों से बात करेंगे और 19 दिसंबर को अलवर के मालाखेड़ा में जनसभा को संबोधित करेंगे। झालावाड़ के स्वागत के समय राहुल ने कहा कि किसानों के साथ मिलकर उनके साथ चलकर हाथ मिलाकर ही उन्हें जाना जा सकता है। यह काम हेलीकॉप्टर में नहीं हो सकता। पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी अपना 76 वा जन्मदिन 9 दिसंबर को कोटा में मनाएगी। सोनिया गांधी ने कोटा को इसलिए चुना क्योंकि कोटा भारत का नई पीढ़ी का केंद्र है। यहां के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में देशभर के युवा पढ़ते हैं। इसके लिए कोटा विश्व विख्यात है। इधर भाजपा लगातार बिखर रही है और अशोक गहलोत और उनके कट्टर प्रतिद्वंदी के बीच सार्वजनिक रूप से प्रेम का प्रदर्शन हो रहा है। इसमें राहुल गांधी की बहुत अहम भूमिका है।