लापरवाही : ऑपरेशन किया और पेट में छोड़ दी कैंची, अब उपभोक्ता फोरम ने लगाया 6 लाख जुर्माना
कभी-कभी जरा सी असावधानी किसी के लिए भी भारी पड़ सकती है । जबलपुर की रहने वाली मंजू कुशवाहा ने सरकारी लेडी एल्गिन हॉस्पिटल में सीजेरियन डिलीवरी कराई थी । बच्चा तो जन्मा लेकिन उसके पेट में 11 सेंटीमीटर लंबी कैंची छूट गई थी
जबलपुर, 18 जून: एक महिला को जबलपुर के लेडी एल्गिन हॉस्पिटल में सीजेरियन डिलीवरी कराना बड़ा महंगा साबित हुआ। बच्चा जन्मा लेकिन महिला के पेट में कैंची छूट गई। पेट में तकलीफ बढ़ने पर कुछ दिनों बाद जब महिला ने कुछ जांचे कराई तो डॉक्टर्स के होश उड़ गए। पेट में छूटी 11 सेंटीमीटर कैंची के इस मामले में पीड़िता की ओर से उपभोक्ता फोरम की शरण ली गई । जहाँ कोर्ट ने जिम्मेदारों पर 6 लाख का जुर्माना लगाया है।
कभी-कभी जरा सी असावधानी किसी के लिए भी भारी पड़ सकती है । जबलपुर की रहने वाली मंजू कुशवाहा ने सरकारी लेडी एल्गिन हॉस्पिटल में सीजेरियन डिलीवरी कराई थी । बच्चा तो जन्मा लेकिन उसके पेट में 11 सेंटीमीटर लंबी कैंची छूट गई थी । उसे इसका पता तब चला जब लगातार उसके पेट में दर्द होता रहा और फिर भोपाल के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में जांच कराई । चिकिसकों ने मंजू को यूएसजी और रेडियोग्राफी टेस्ट कराने की सलाह दी । जिसमें इस बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ । बाद में मंजू ने ऑपरेशन कराकर पेट से कैंची बाहर निकलवाई।
पीड़िता मंजू ने लेडी एल्गिन हॉस्पिटल प्रबंधन और डाक्टर्स के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में एक परिवाद दायर किया । जिसमें उसने अपनी शारीरिक, आर्थिक और मानसिक परेशानियों का जिक्र किया । दायर परिवाद में पीड़िता ने बताया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरजा दुबे ने सीजेरियन डिलीवरी की थी । पेट में दर्द बना रहने जब दोबारा नीरजा दुबे को दिखाया तो उन्होंने सामान्य दर्द मानकर कुछ दवाएं दे दी । लेकिन उनसे उसे कोई लाभ नहीं मिला । बाद में भोपाल के एक हॉस्पिटल में डाक्टर्स की सलाह पर जब विभिन्न जांच कराई तो पेट के अन्दर कैंची थी । उसके बाद ऑपरेशन करवाया गया फिर कैंची बाहर निकाली गई।
सचिव स्वास्थ्य विभाग और CMHO भी जिम्मेदार
उपभोक्ता फोरम में यह मामला पहुँचने के बाद सभी तथ्यों पर गौर किया गया। सुनवाई पूरी होने के बाद फोरम के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव, सदस्य सुषमा पटेल और अमित सिंह तिवारी ने अपने आदेश में कहा कि इस लापरवाही के लिए डॉक्टर के अलावा नियोक्ता भी जिम्मेदार है । लिहाजा परिवादी को संयुक्त और पृथक हर्जाना दिया जाना जाना चाहिए । कोर्ट ने संयुक्त रूप से 5 लाख हर्जाना फिर भोपाल में कराए गए इलाज की भरपाई के लिए डॉ. नीरजा दुबे को एक लाख रुपए परिवादी को हर्जाना अदा करने के निर्देश जारी किए।
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