Jabalpur Police: ‘भोंपूबाजों की शरारत का ऐसे उतारा भूत..’, एक दूसरे के कान में बजवाई पुंगी
(Jabalpur Police) भोंपू और भीड़भाड़ भरी सड़के, एक दूसरे की हमेशा से दुश्मन रही है। सड़क पर भीड़ में आगे बढ़ने के लिए गाड़ी चलाने वाले का यह बड़ा हथियार होता है। लेकिन मप्र में जबलपुर के मशहूर दशहरा उत्सव में इसे आप भोंपू कहे या फिर पुंगी समझे, शरारती तत्वों का यह हथियार बन गया। सड़कों से गुजर रही पब्लिक के सामने कान फोडू भोंपूओं की जब पुलिस ने भी आवाज सुनी तो ऐसे तत्वों को पुलिस ने अलग अंदाज में सबक सिखाया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
भीड़ में भोंपू बजाकर हुड़दंग
देश में मैसूर और कलकत्ता के दशहरे के बाद मप्र के जबलपुर का दशहरा फेमस है। जिसे देखने लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती हैं। आलम यह रहता है कि जुलूस मार्ग में ठीक से पैदल चलने की तक जगह नहीं रहती। भीड़ रेंगती रहती है। इसी दौरान उत्सव में बच्चों के खिलौने भोंपू पुंगी बिक रहे थे। जिसे कुछ शरारती तत्वों ने हुड़दंग मचाने खरीद लिए और जोर-जोर से बजाने लगे। एक दूसरे की देखा सीखी में ऐसे तत्वों की संख्या बढ़ती चली गई। कान फ़ोड़ू इन भोंपूओं की आवाज जब पुलिस के कानों में भी गूंजी, तो फिर ऐसे तत्वों की खबर लेने पुलिस एक्टिव हुई।
पुंगी से शोर मचाने वालों को ऐसे पकड़ा
दुर्गोत्सव की भीड़ में सुरक्षा व्यवस्था संभालने तैनात पुलिस को एक और एक्स्ट्रा काम मिल गया। कान फ़ोड़ू कर्कश इस आवाज से पब्लिक का माथा तो ठनक ही रहा था, पुलिस भी शिकायतों से तंग आ गई। फिर ऐसे भोंपूबाज जहां दिखे उन्हें भीड़ से पकड़ा गया और वहां से दूर ले जाकर उनकी शरारत का भूत उतारने का काम शुरू हुआ। इनमें कुछ युवक आपस में दोस्त थे, तो कुछ रिश्तेदार। पुलिस को चकमा देकर भागने की भी कोशिश करने लगे, लेकिन कामयाब नहीं हो सकें।
एक-दूसरे के कान में बजवाया तेज भोंपू
पब्लिक के बीच बच्चों के इस खिलौने से जो युवक शोर मचा रहे थे, उनकी तरकीब पुलिस ने उन्हीं के ऊपर इस्तेमाल करना शुरू कर दी। पुलिस ने शरारती युवकों को पकड़कर एक-दूसरे के कान में पुंगी लगाकर खूब तेज बजाने कहा। वहां से गुजर रहे राहगीरों ने जब इस दृश्य को देखा, तो वह भी पुलिस की इस सजा को देखने ठहर गए। जो युवक अपने दोस्त के कान में पुंगी लगाकर धीरे फूंक मार रहा था, उसके कान में डबल भोंपू बजाने की सजा मिली।
फिर स्कूली बच्चों जैसे लगवाई उठक-बैठक
शरारती इन तत्वों के लिए पुलिस का सबक अभी ख़त्म नहीं हुआ था। इसके बाद नंबर उठक-बैठक की सजा का था। पब्लिक के बीच सड़क में ऐसे तत्वों से उठक बैठक भी लगवाई गई। चालाकी दिखाकर जो कम उठक बैठक लगाता दिखा, उसे पांच उठक-बैठक एक्स्ट्रा लगाना पड़ा। यह देख बाद वाले शरारती तत्व ईमानदारी से वैसा करते दिखे, जैसा-जैसा पुलिस कह रही थी। इन हुड़दंगियो को सजा दे रही पुलिस को जब छोटे बच्चों ने देखा तो वह भी कहने लगे कि ऐसी सजा तो कभी-कभी उनके टीचर भी देते है।
सर...अब कभी नहीं बजाएंगे, माफ़ कर दीजिए
सार्वजनिक रूप से इस सजा को झेलने के बाद इन शरारती तत्वों ने पुलिस से माफी भी मांगी। ये कहते नजर आए कि 'सर एक बार माफ़ कर दीजिये, अब दोबारा ना तो ऐसी पुंगी बजाएंगे और ना ही पब्लिक प्लेस पर कभी शोरगुल। बाद में पुलिस ने भी इन युवकों को समझाया कि खेल-खेल में कई बार ऐसी शरारतें बड़ा रूप ले लेती है। जिसका खामियाजा आम पब्लिक को भुगतना पड़ता है।
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