MP Board Exam: 5वीं-8वीं की परीक्षा में चुन सकेंगे उर्दू-मराठी विषय, जानिए एग्जाम के नए नियम
मप्र में 13 साल से 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाओं पर लगा ब्रेक इस सत्र में सरकार ने हटा दिया था। 2022-2023 के एग्जाम पहले की तरह बोर्ड पैटर्न पर होने है, लेकिन इसी बीच इसके नियमों में कुछ आंशिक संसोधन किया गया हैं। ख़ास तौर पर उर्दू-मराठी भाषा के विकल्प को मुख्य परीक्षा में शामिल किया है। अब उर्दू, मराठी भाषा के चयन करने का मौका मिलेगा, जिसमें स्टूडेंट ऑप्शनल लैंग्वेज या थर्ड लैंग्वेज के रूप में हिन्दी सामान्य चुन सकते है। इस स्थिति में प्राइमरी लैंग्वेज हिन्दी और अंग्रेजी ही रहेगी।

CM शिवराज सिंह ने किया था ऐलान
कुछ समय पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में 5वीं-8वीं की परीक्षा पहले की तरह बोर्ड पैटर्न में कराने का ऐलान किया था। ताकि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शैक्षिणक गुणवत्ता बेहतर हो सकें। इसी आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग ने 2022-23 के संबंध में परीक्षा की तैयारियों में जुटा था। संबंधित स्कूलों को विभाग द्वारा परीक्षा संबंधी निर्देश भी जारी किए गए थे, लेकिन अब उनमें आंशिक संसोधन किया गया।

संशोधित नियमों में स्टूडेंट्स को मिलेगा ये फायदा
•कक्षा 5 और 8 के लिए प्रथम भाषा हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त उर्दू अथवा मराठी भाषा के चयन की स्थिति में अतिरिक्त भाषा / तृतीय भाषा के रूप में हिन्दी सामान्य का चयन करना अनिवार्य होगा।
•प्राइमरी लैंग्वेज हिन्दी और अंग्रेजी रहेगी। उर्दू, मराठी भाषा के चयन करने पर ऑप्शनल लैंग्वेज या थर्ड लैंग्वेज के रूप में हिन्दी सामान्य चुनने का मौका मिलेगा।
•कक्षा-5 में प्रथम भाषा के रूप में हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा का चयन करने वाले छात्र अतिरिक्त भाषा (वैकल्पिक) के रूप में सामान्य उर्दू / सामान्य पंजाबी का चयन कर सकेंगे।
•कक्षा 8 के विद्यार्थियों हेतु तृतीय भाषा के रूप में पूर्व में निर्दिष्ट विकल्पों के साथ पंजाबी भाषा को भी सम्मिलित किया जाता है।

पांचवीं में 15 लाख और आठवीं में 14 लाख स्टूडेंट
साल 2008 में मप्र में पांचवीं और आठवीं की परीक्षाओं का बोर्ड पैटर्न ख़त्म कर दिया गया था। उस वक्त की परिस्थितियों में बच्चों में बोर्ड परीक्षा के बोझ और अन्य कारणों का हवाला दिया गया था। जिससे संबंधित स्कूल अन्य कक्षाओं की तर्ज पर अपने स्तर पर परीक्षा ले रहे थे। आगामी सत्र में होने वाली परीक्षा में 5वीं में लगभग 15 लाख और 8वीं में लगभग 14 लाख परीक्षार्थी शामिल हो सकेंगे।

परीक्षा पद्धति में ये बातें रहेंगी ख़ास
बताया जा रहा है कि दोनों ही क्लास के एग्जाम के लिए पेपर डिस्ट्रिक्ट लेवल पर तैयार किए जाएंगे। परीक्षा के बाद स्टूडेंट्स की परीक्षा कॉपियों का मूल्यांकन उसी शहर में अन्य स्कूल में होगा। परीक्षा परिणाम में असफल हुए छात्र-छात्राओं को पास होने का दो बार अवसर दिया जाएगा। जिसे सप्लीमेंट्री एग्जाम कहा जाता है। यदि इस एग्जाम में भी संबंधित स्टूडेंट फेल हुआ, तो उसे उस क्लास की दोबारा पढ़ाई करना होगा।

7 नवंबर से शुरू हो रही अर्धवार्षिक परीक्षाएं
शिक्षा विभाग ने एमपी के सरकारी स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षाओं का टाइम टेबल पहले ही घोषित कर दिया था। 7 नवंबर से शुरू हो रहे इन एग्जाम में आठवीं की परीक्षाएं भी होगी। अर्धवार्षिक परीक्षाओं के प्रश्न-पत्र स्कूलों ने निजी स्तर पर तैयार किए है। इस बार शिक्षा विभाग ने अपने उस आदेश को भी निरस्त कर दिया है, जिसमें मदरसा बोर्ड तहत संचालित स्कूलों के प्रश्नपत्रों की अतिरिक्त छपाई का फरमान जारी किया था। मदरसों को अब प्राइवेट स्कूलों की तरह सरकार द्वारा जारी ब्लूप्रिंट का पालन करना होगा।
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