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10 दिन भूखे रहते हैं, फिर बच्चे मर जाते हैं, यमन में युद्ध के बीच मरती मानवता की दर्दनाक कहानी

यमन पिछले आठ सालों से गृहयुद्ध में फंसा हुआ है और लड़ाई सुन्नी संगठन हूती विद्रोहियों और सुन्नी बाहुल्य खाड़ी देशों की सेना के बीच हो रहा है, जिसका नेतृत्व सऊदी अरब कर रहा है।

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Yemen News: अस्पताल के एक बिस्तर पर कई दिनों से बेसुध एक बच्ची एक एक सांस के लिए संघर्ष कर रही है। उसके शरीर के घाव दिखे नहीं और मक्खियां ना आएं, इसलिए एक कपड़े से उसे ढंक दिया गया है। बच्ची काफी मुश्किल से अपनी आंखें खोल पाती है। 2 साल की हफ्सा अहमद मौत की घड़ियां गिन रही है। दक्षिणी यमन के रेड-ब्रिक अस्पताल में में अभी पिछले कुछ दिनों में एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत सिर्फ भूख से हो चुकी है और अब हजारों बच्चे-बच्चियों की जिंदगी दांव पर लगी है। इन सबसे से दूर पूरा देश गृहयुद्ध में लगा हुआ है और यमन जियोपॉलिटिक्स का अड्डा बना हुआ है।

यमन में हर तरफ सिर्फ बर्बादी

यमन में हर तरफ सिर्फ बर्बादी

भूख ने लंबे समय से यमन के सैकड़ों हजारों बच्चों के जीवन को खतरे में डाल रखा है और अब देश में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों और सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच चलने वाला युद्ध अब और तेज होता जा रहा है। यमन में काम कर रहे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का कहना है, कि स्थिति अभी काफी खराब होने वाली है। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, मानवीय मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव जॉयस मसूया ने कहा कि, लगभग 30 लाख की आबादी वाले होदेदा शहर में अल-थवरा अस्पताल में हरदिन 2,500 मरीज आते हैं, जिनमें "अति कुपोषित" बच्चे भी शामिल हैं। उन्होंने इसी महीने संस्थान का दौरा किया था।

22 लाख बच्चों पर गंभीर खतरा

22 लाख बच्चों पर गंभीर खतरा

यूनाइटेड नेशंस का कहना है, कि 5 साल की उम्र के नीचे के करीब 22 लाख यमनी बच्चे भूखे रहने पर मजबूर हैं, जिनमें से करीब 5 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि, इस साल करीब 13 लाख गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गंभीर कुपोषण का शिकार होना पड़ा है। मसूया ने यूएन द्वारा जारी एक वीडियो में कहा कि, "यह मेरे प्रोफेशनल लाइफ में अब तक की सबसे दुखद यात्राओं में से एक है।" उन्होंने कहा कि, यहां पर जरूरतें काफी ज्यादा हैं और यमन के आधे से ज्यादा अस्पताल काम नहीं कर रहे हैं। ये या तो युद्ध में पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं, या फिर उनके पास अब कोई सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि, हमें तत्काल यमन में बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की जान बचाने के लिए और समर्थन की जरूरत है।

महंगाई का मतलब मौत

महंगाई का मतलब मौत

संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव जॉयस मसूया ने कहा कि, "यूक्रेन में युद्ध ने यमन में मानवीय संकट की स्थिति को और गंभीर कर दिया है। यमनी आहार काफी हद तक गेहूं पर निर्भर करता है और यूक्रेन से यमन को करीब 40 प्रतिशत से ज्यादा गेहूं की आपूर्ति होती थी, लेकिन रूसी आक्रमण के बाद इस प्रवाह में काफी कमी आ गई है। विकसित देशों में लोग अधिक बिलों का भुगतान करने के लिए अधिक मेहनत कर रहे हैं। जबकि, यमन में, खाना पिछले साल की तुलना में 60% अधिक महंगा हो गया है और गरीब देशों में महंगाई का मतलब मौत हो सकता है"। वहीं, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के यमन विशेषज्ञ पीटर सैलिसबरी ने कहा कि, "यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से यमन तीन बार प्रभावित हुआ है। सबसे पहले, यूक्रेन से खाद्य आपूर्ति का नुकसान हुआ और फिर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सामानों की कीमतों में आई तेजी ने यमन की कमर तोड़ने का काम किया। वहीं, ईंधन की ऊंची कीमतों से यमन के बाजार बैठ गये हैं।"

गृहयुद्ध में कैसे फंसा हुआ यमन

गृहयुद्ध में कैसे फंसा हुआ यमन

यमन पिछले आठ सालों से गृहयुद्ध में फंसा हुआ है और लड़ाई सुन्नी संगठन हूती विद्रोहियों और सुन्नी बाहुल्य खाड़ी देशों की सेना के बीच हो रहा है, जिसका नेतृत्व सऊदी अरब कर रहा है और संयुक्त अरब अमीरात भी उसमें शामिल है। जबकि, हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन हासिल है। साल 2014 में ईरान समर्थित हूती विद्रोही पहाड़ों से नीचे आ गये और उन्होंने उत्तरी यमन और देश की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमन सरकार को निर्वासन में सऊदी अरब भागने के लिए मजबूर किया। तब से 150,000 से ज्यादा लोग हिंसा में मारे जा चुके हैं और 30 लाख से ज्यादा लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं। यमन की दो तिहाई आबादी भोजन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। इस महीने दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई है, लेकिन कब तक के लिए, कहा नहीं जा सकता। वहीं, 5 लाख से ज्यादा यमनी बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हुए हैं। सेव द चिल्ड्रन के अनुसार, यमन में हर 10 मिनट में एक बच्चे की मौत रोके जा सकने वाली बीमारी से होती है। वहीं, अस्पताल में भर्ती हफ्सा अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी है, जिसमें एक की मौत कुपोषण से हो चुकी है। वहीं, उसके 47 वर्षीय पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, जो अपनी कमाई से सिर्फ थोड़ा आटा और खाना पकाने का तेल ही खरीद सकते हैं।

बेरोजगारी से टूट रहे हैं लोग

बेरोजगारी से टूट रहे हैं लोग

हफ्सा और उसका परिवार बंदरगाह शहर होदेडा से लगभग 120 किलोमीटर (74 मील) दक्षिण में हेज़ जिले में रहते हैं, जिसने यमन के संघर्ष में भयंकर लड़ाई देखी है। हेज़ अस्पताल में बच्चों के पेट और टहनी जैसे अंग सूज गए हैं। डॉ. नबोता हसन ने समाचार एजेंसी एपी से कहा कि, लंबे समय तक कुपोषण "उनके अंग काम करना बंद कर देते हैं।" अस्पताल के कुपोषण वार्ड की देखरेख करने वाली डॉ. हसन ने कहा कि, हर महीने यहां 30 बच्चे गंभीर कुपोषण से संबंधित बीमारियों से पीड़ित आते हैं। वहीं, स्थानीय निवासी मोहम्मद हुसैन के अनुसार, हज्जाह के उत्तरी प्रांत के साथ, होदेदा में अत्यधिक गंभीर खाद्य असुरक्षा और तीव्र कुपोषण से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र शामिल हैं। वो पांच साल के एक बच्चे के पिता हैं और अब विस्थापित लोगों के लिए बनाए गये एक शिविर में रहते हैं। ये शिविर उत्तरी हज्जाह प्रांत में एब्स शहर के बाहरी इलाके में बनाया गया है। उन्होंने कहा कि, 2014 में युद्ध शुरू होने के बाद से वह चार बार विस्थापित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि, "मैंने अपना घर, खेत, सब कुछ खो दिया है।" उन्होंने फोन पर कहा कि, तीन साल पहले उनके 9 महीने के एक बेटे की भूख से मौत हो चुकी है और अब एक बच्चा 3 साल का है, जो भूख से मर रहा है।

दुनिया से कितनी मिलती है मदद?

दुनिया से कितनी मिलती है मदद?

एक तरफ यमन की स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है, तो दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय मदद मिलने के अभाव में यमन को दी जाने वाली खाद्य सहायता में कमी कर दी है। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA) के अनुसार, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने महीनों के लिए सबसे कमजोर 13 लाख 50 हजार यमनियों को प्राथमिकता दी है। यूएन ने कहा कि, सितंबर के अंत तक, यमन में लोगों तक मानवीय मदद पहुंचाने के लिए 4.27 अरब डॉलर में से सिर्फ 2 अरब डॉलर ही प्राप्त हुए हैं, जिससे एक करोड़ 79 लाख लोगों तक अत्यंत आवश्यक मानवीय सहायता पहुंचाना काफी मुश्किल है।यमन में ऑक्सफैम के लिए वकालत और मीडिया का काम देखने वाले अब्दुलवासी मोहम्मद ने कहा कि, उनके समूह को सबसे कमजोर लोगों तक मानवीय मदद पहुंचाने के लिए अधिक धन की जरूरत है, लेकिन उसके बाद भी वो हर संभव लोगों की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

US Army हो गई है बेहद कमजोर, रिपोर्ट में दावा, दुनिया के संघर्षों को संभालने की अब शक्ति नहींUS Army हो गई है बेहद कमजोर, रिपोर्ट में दावा, दुनिया के संघर्षों को संभालने की अब शक्ति नहीं

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English summary
The situation in Yemen has become extremely painful in the midst of the war and children are dying of malnutrition.
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