SCO का अध्यक्ष बनने पर शी जिनपिंग और पुतिन ने दी बधाई, जानें भारत का क्या होगा फायदा?
भारत अगले साल तक इसका अध्यक्ष रहेगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को भारत को भारत के शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता ग्रहण करने पर बधाई दी।
समरकंद, 16 सितंबरः एशिया के सबसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में से एक एससीओ का आयोजन इस बार उज्बेकिस्तान के समरकंद में हो रहा है। इस बार का एससीओ की समिट को देश के लिए खास माना जा रहा है, क्योंकि भारत इस साल एससीओ अध्यक्ष बनने जा रहा है और भारत अगले साल तक इसका अध्यक्ष रहेगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को भारत को भारत के शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता ग्रहण करने पर बधाई दी।
शी जिनपिंग ने दी भारत को बधाई
शी जिनपिंग ने भारत के एससीओ की मेजबानी को लेकर कहा कि चीन अगले साल सम्मेलन आयोजित करने में भारत की सहायता करेगा। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ने इस अवसर पर हाथ भी मिलाया। भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर सैन्य तनाव होने के बाद दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहली बार आमने-सामने मिले हैं।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी दिया बधाई संदेश
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी भारत को अगले साल राष्ट्रपति पद संभालने के लिए बधाई संदेश दिया। शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। इस दौरान दोनों नेताओं की बातचीत का एजेंडा व्यापार और राजनीति होगा।
देर रात पहुंचे पीएम मोदी
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुरुवार को औपचारिक रात्रिभोज सहित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सम्मेलन पूर्व समूह के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए थे। पीएम मोदी समरकंद पहुंचने वाले नेताओं में सबसे आखिरी थे। वह देर रात समरकंद पहुंचे। इस वजह से उन्होंने शिखर सम्मेलन से पहले के कार्यक्रमों में किसी तरह की भागीदारी से खुद को अलग ही रखा।
जानें भारत को क्या होगा फायदा?
बता दें कि एससीओ की मेजबानी हर सदस्य देश को दी जाती है। एससीओ के आठ सदस्य देशों को रोटनेशनल आधार पर इसकी अध्यक्षता दी जाती है, जो एक साल तक रहती है। इस बार एससीओ की मेजबानी का मौका भारत के हाथ लगा है। आगामी एक साल तक के लिए भारत के पास ये अध्यक्षता सुरक्षित रहने वाली है। एससीओ के अध्यक्षता होने का तात्पर्य किसी संस्थान की अध्यक्ष बनने से नहीं है। यह एक तरह से किसी एक देश को मेजबानी दी जाती है। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने मुख्य तौर पर सहयोग के तीन विषयों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। स्टार्ट अप और इनोवेशन, विज्ञान एवं तकनीक और पारंपरिक औषधि विज्ञान। इसके साथ ही भारत 2023 के समिट में कुछ ऐसे देशों को बुला सकता है जिससे चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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