अमीर लोगों में देश से भागने की लगी रेस, भारत में क्यों नहीं रहना चाहते हैं करोड़पति- अरबपति?
ईवाई इंडिया के नेशनल लीडर-टैक्स सुधीर कपाड़िया ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि, ‘अमीर भारतीयों का लगातार दूसरे देश में जाना या किसी दूसरे देश में निवास करना भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
नई दिल्ली, जून 20: बार बार किए गये सर्वेक्षणों से पता चला है कि, भारत में रहने वाले लोग जैसे जैसे अमीर बनते जाते हैं, भारत को लेकर उनका प्यार उसी रफ्तार से कम होती जाती है और जैसे ही लोग करोड़पति या अरबपति बनते हैं, वो भारत से भाग निकलते हैं। लंदन स्थित ग्लोबल सिटिजनशिप एंड रेसिडेंस एडवाइजरी हेनले एंड पार्टनर्स (एचएंडपी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि, इस साल 8 हजार अमीर लोग भारत हमेशा के लिए छोड़ देंगे।
23 हजार करोड़पतियों ने छोड़ा भारत
वॉल-स्ट्रीट इन्वेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टेनली के आंकड़ों से इन दावों का पता चलता है। 2018 की एक बैंक रिपोर्ट में पाया गया है कि, 2014 से 23,000 भारतीय करोड़पति देश छोड़ चुके हैं। हाल ही में, एक ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू रिपोर्ट से पता चला है कि लगभग 5,000 करोड़पति, या भारत में हाई नेट वर्थ वाले व्यक्तियों की कुल संख्या में से 2% ने सिर्फ 2020 में देश छोड़ दिया है। ये आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं, क्योंकि इससे भारत की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है। लेकिन, सवाल उठ रहे हैं, कि करोड़पति- अरबपति बनते ही भारतीयों का भारत से मोहभंग क्यों होने लगता है?
भारत क्यों छोड़ रहे हैं अमीर लोग?
एचएंडपी के अनुसार, 'भारत छोड़ने के ट्रेंड को कोविड-19 ने और भी ज्यादा बढ़ा दिया है और अमीर भारतीयों के अंदर खुद को 'जीवन और संपत्ति को ग्लोबलाइज' करने की प्रवृति में भारी इजाफा हुआ है'। सबसे दिलचस्प बात ये है कि, भारतीयों में भारत छोड़ने की भारी प्रवृति के बीच कोविड लॉकडाउन के बीच कार्यालय की स्थापना करनी पड़ी। हेनले एंड पार्टनर्स में प्राइवेट के ग्रुप हेड डोमिनिक वोलेक ने दुबई में बीबीसी को बताया कि, 'मुझे लगता है कि वे [ग्राहक] महसूस कर रहे हैं, कि वे महामारी की दूसरी या तीसरी लहर की प्रतीक्षा नहीं करना चाहते हैं। वे अब अपने कागजात चाहते हैं कि वे अभी अपने घर में बैठे हैं। हम इसे बीमा पॉलिसी या योजना के रूप में संदर्भित करते हैं'।
भारत में माइग्रेशन की तीसरी लहर
कनाडा मे भारतीय मबूल के रिएल एस्टेट दिग्गज और मैग्नेट और मेनस्ट्रीट इक्विडी कॉर्प के सीईओ बॉब ढिल्लो इसे 'भारत से प्रवास की तीसरी लहर के रूप में देखते हैं'। वो बताते हैं कि, करीब सौ साल पहले पंजाब के गरीब और किसानों ने पश्चिमी देशों की तरफ का रूख किया और उसके बाद भारतीय प्रोफेशनल्स में भारत छोड़ने की होड़ लग गई और अब भारत के अमीरों में देश छोड़ने की रेस लगी हुई है।
भारत पर क्या पड़ रहा प्रभाव?
ईवाई इंडिया के नेशनल लीडर-टैक्स सुधीर कपाड़िया ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि, 'अमीर भारतीयों का लगातार दूसरे देश में जाना या किसी दूसरे देश में निवास करना भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि भारत का लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने की है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों ने बीबीसी को बताया कि, 'अमीरों का पलायन अनिवार्य रूप से प्रकृति में स्थायी नहीं है, लोग अपने देश से अपना सारा पैसा निकालने और व्यापारिक संबंधों को काटने के बजाय काफी कम निवेश दूसरे देश में करते हैं। लेकिन यह भारत जैसे विकासशील देश के लिए शुभ संकेत नहीं है'। वहीं, जोहान्सबर्ग में रहने वाले न्यू वर्ल्ड हेल्थ के रिसर्च विंग के प्रमुख एंड्रयू एमोइल्स इसे बुरी चीजों का संकेत मानते हैं। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार को बताया कि, 'यह बुरी चीजों के आने का संकेत हो सकता है क्योंकि हाई-नेट-वर्थ वाले व्यक्ति अक्सर देश छोड़ने वाले पहले व्यक्ति होते हैं और उनके पास मध्यम वर्ग के नागरिकों के विपरीत जाने की सुविधा हासिल है'।
भारत का घट रहा है टैक्स कलेक्शन
अमीरों के देश से बाहर निकलने की वजह से भारत को टैक्स कलेक्शन के मोर्चे पर भी काफी नुकसान होता है। कई कारोबारी, खासकर वो जो इन्वेस्टमेंट कंपनियों को संभालते हैं या फिर इंटरनेशनल बिजनेस में शामिल हैं, उनकी आगे की योजना भारत से बाहर निकलने की है। वो अभी सिर्फ टैक्स के दायरे में आने से बचने के लिए भारत में रहने से बचते हैं। डेलॉयट इंडिया की पार्टनर सरस्वती कस्तूरीरंगन ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि, 'यूएई और सिंगापुर जैसे देशों में कई भारतीय अपना नया आशियाना बना रहे हैं, आखिर क्यों... क्योंकि इसका मुख्य कारण भारत में टैक्स की ऊंची दरें हैं। उन्होंने कहा कि, 'भारत में 30% टैक्स की दर से 37% सरचार्ज के साथ, मेक्सिमम मार्जिनल रेट 42.74% से ज्यादा है। लिहाजा, व्यक्तिगत टैक्स रेट को काम करना प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत में वैश्विक आय पर टैक्स लगाने के लिए देश में रहने वाले दिनों की संख्या भी महत्वपूर्ण है।
किन देशों में जा रहे हैं भारतीय अमीर?
भारतीय अमीरों के लिए अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा पसंदीदा गंतव्य स्थल हैं। यूरोपीय संघ के देश, साथ ही पारंपरिक पसंदीदा दुबई और सिंगापुर, भारतीयों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। जबकि सिंगापुर अपनी मजबूत कानूनी प्रणाली और विश्व स्तरीय वित्तीय सलाहकारों तक पहुंच के कारण डिजिटल उद्यमियों और पारिवारिक कार्यालयों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन चुका है। वहीं, दुबई ने भारतीयों के लिए गोल्डेन वीजा काफी आसान कर दिया है, लिहाजा कई भारतीयो के लिए अब दुबई में पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन डैशबोर्ड के अनुसार, इस साल सबसे ज्यादा विदेशी नागरिकों (4000) के संयुक्त अरब अमीरात में बसने की संभावना है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया (3,500) के बाद सिंगापुर तीसरे स्थान पर है।
इजरायल में भी बसने की भारी दिलचस्पी
अनुमान लगाया गया है कि, इस साल करीब 2500 करोड़पति कारोबारी इजरायल में जाकर बस सकते हैं और वो चौथे स्थान पर आ जाएगा, वहीं, 2200 के स्कोर के साथ स्विट्जरलैंड पांचवें और 1500 के स्कोर के साथ अमेरिका छठवें स्थान पर है।