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दुबई के शाही परिवार की पूर्व बहू ने यूएन से क्यों मांगी मदद

दुबई के शासक के भतीजे की पूर्व पत्नी की ओर से संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में एक अपील दर्ज की गई है. क्या है पूरा मामला?

By BBC News हिन्दी
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दुबई के शासक के भतीजे की पूर्व पत्नी की ओर से संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में एक अपील दर्ज की गई है. उनकी मांग है कि संयुक्त राष्ट्र हस्तक्षेप कर ज़ैनब जवादली और उनके बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.

यूएन को किए गए निवेदन में दावा किया गया है कि ज़ैनब जवादली दुबई में दुर्व्यवहार, उत्पीड़न और धमकी का सामना कर रही हैं.

जवादली दुबई के शाही परिवार के सदस्य शेख़ सईद बिन मकदूम बिन राशिद अल मकदूम की पत्नी हैं. इन दोनों का तलाक़ हो चुका है पर इनके बीच बच्चों की कस्टडी को लेकर रस्साकशी चल रही है.

बीबीसी को मिले एक वीडियो में ज़ैनब जवादली कह रही हैं, "प्लीज़ मेरी मदद करें. मैं और मेरे बच्चे अपनी ज़िंदगी और सुरक्षा के लिए भयभीत और आतंकित हैं. हम एक ढंग से बेघर हैं क्योंकि हमें दुबई के एक होटल तक सीमित कर दिया गया है. मेरे बच्चे बेख़ौफ़ बाहर नहीं निकल सकते क्योंकि उन्हें डर है कि पीछे से मुझे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा."

{image-"प्लीज़ मेरी मदद करें. मैं और मेरे बच्चे अपनी ज़िंदगी और सुरक्षा के लिए भयभीत और आतंकित हैं.", Source: ज़ैनब जवादली, Source description: दुबई की राजकुमारी, Image: ज़ैनब जवादली hindi.oneindia.com}

31 वर्षीय जवादली अज़रबैजान से हैं. वे एक अंतरराष्ट्रीय जिमनास्ट रह चुकी हैं. साल 2019 में शेख़ सईद से तलाक़ के बाद से जवादली दुबई में ही रह रही हैं.

वे तब से दुबई में अपनी तीन बेटियों के साथ रह रही हैं. राजकुमारी जवादली दुबई नहीं छोड़ना चाहती क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर वो एक बार देश के बाहर गईं तो वे अपनी बेटियों से दोबारा नहीं मिल पाएंगी.

तीन साल से वे अपने पति के साथ, अपनी बेटियों की कस्टडी के लिए अदालत में केस लड़ रही हैं.

दोनों का विवाह साल 2015 में हुआ था. दंपत्ति शादी के बाद दुबई में रहे जहां शेख़ सईद सत्तारूढ़ राजघराने के एक वरिष्ठ सदस्य हैं. शेख़ सईद, दुबई के शासक शेख़ मोहम्मद बिन राशिद अल मकदूम के भतीजे हैं.

बोलने और घूमने-फिरने की आज़ादी नहीं

दुबई

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन से हस्तक्षेप की अपील में राजकुमारी के ब्रिटेन स्थित वकीलों ने दावा किया है कि उनके मुव्विकल की बोलने और स्वतंत्रता से घूमने-फिरने की आज़ादी सीमित कर दी गई है. साथ ही उन्हें धमकियां भी दी जा रही हैं.

अपील में दावा किया गया है कि जवादली, उनके माता-पिता और उनकी बेटियों को दो साल पहले दुबई पुलिस ने होटल में घुसकर पीटा था. तब जवादली ने इस घटना का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण कर दिया था.

उस घटना ने दुनिया भर का ध्यान खींचा था. अब जवादली के माता-पिता अज़रबैजान लौट गए हैं.

अपील में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में उनके घर पर पुलिस के छापे, अदालती समन और गिरफ़्तारी के वारंट आम बात हो गई है.

पचास पन्नों के डॉक्यूमेंट में आरोप लगाया गया है कि उनका मुकदमा निष्पक्षता से नहीं सुना जा रहा और शेख़ सईद को बिना किसी उचित प्रक्रिया के बेटियों की कस्टडी सौंपने का फैसला दे दिया गया है.

अपील में दावा किया गया है कि जवादली को "स्पष्ट रूप से अनुचित, भेदभावपूर्ण और पक्षपातपूर्ण न्यायिक प्रक्रिया" का सामना करना पड़ रहा है.

जवादली ने इस दस्तावेज़ में कहा है कि उनके हक़ में इस दौरान सिर्फ़ एक फ़ैसला आया था और उसे भी कुछ दिनों के भीतर ही, बिना किसी प्रक्रिया का पालन करते हुए वापिस ले लिया गया था.

स्कूल भेजने पर विवाद

उधर शेख़ सईद का केस लड़ रहे वकीलों ने दुबई की एक अदालत में दावा किया है कि जवादली एक अनफ़िट माँ हैं जो अपनी बेटियों को स्कूल भेज पाने में असफल रही हैं.

साथ ही वे बच्चे के लिए एक असुरक्षित स्थान पर रह रही हैं जिससे सबसे छोटी बेटी की सेहत को ख़तरा है.

जवादली ने इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए अदालत में इसके विपरीत साक्ष्य जमा करवाए हैं.

फ़िलहाल इस वक़्त वे दुबई के स्थानीय प्रशासन से बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर उलझी हुई हैं. वे इस बात पर अडिग हैं कि वे अपने बेटियों को स्कूल नहीं भेजेंगी. उन्हें डर है कि बच्चे अगर होटल से निकले तो उन्हें दोबारा नहीं लौटने दिया जाएगा.

स्कूल ने जवादली से एक मीटिंग कर मसले का समाधान करने की गुज़ारिश भी की है.

जवादली और उनके वकील का कहना है कि किसी भी शेख़ मकदूम को अदालत के आदेश के मुताबिक बच्चों की कस्टडी दे दी जा सकती है. हालांकि वे इस निर्णय के ख़िलाफ़ अदालत में अपील कर चुकी हैं.

दुबई की न्याय प्रक्रिया का अनुभव रखने वाले एक सोर्स ने बीबीसी को बताया है कि जवादली जो कुछ कह रही हैं वो अतीत में हुए ऐसे ही केसों की और इशारा करता है. पहले भी शाही परिवार के सदस्यों या पत्नियों के साथ ऐसा ही हो चुका है.

पहला मामला नहीं

दुबई के शासक शेख़ मोहम्मद बिन राशिद अल मकदूम की पूर्व पत्नी प्रिंसेस हया 2019 में देश छोड़कर चली गई थीं. उन्होंने दुबई में अपनी जान को ख़तरा बताया था. इसी साल प्रिंसेस हया ब्रिटेन के एक कोर्ट ने अपने दो बच्चों की कस्टडी सौंपी है.

इसके बाद शेख़ मोहम्मद की बेटी प्रिंसेस लतीफ़ा की बेहद पेचीदा कहानी दुनिया के सामने आई थी. प्रिंसेस ने 2018 में अपने परिवार की नियंत्रण से ख़ुद छुड़ाने के लिए एक कोशिश की थी.

जिस नाव पर प्रिंसेस हया भाग रही थीं उसे हिंद महासागर में पकड़ लिया गया था और उन्हें ज़बरदस्ती दुबई ले जाया गया था. उसके बाद उन्होंने कई वीडियो जारी कर कहा था कि उन्हें अपनी इच्छा के विपरीत बंदी बनाकर रखा गया है.

लेकिन बाद में वो सीमित तौर पर सार्वजनिक जगहों पर दिखी हैं. अब प्रिंसेस हया कहती हैं कि वे अपनी इच्छा से राज़ी-ख़ुशी दुबई में रह रही हैं.

बीबीसी को मिले वीडियो में ज़ैनब जवादली कहती हैं, "हम अपने घर में बंदी हैं."

उनके एक वकील रॉडनी डिक्सन कहते हैं, "अब भी देर नहीं हुई है. इन हालात को और बदतर बनाने की ज़रूरत नहीं है. सभी पक्षों के हित में इस समस्या का समाधान अभी किया जा सकता है."

बीबीसी ने इस सारे मामले में संयुक्त राज्य अमीरात के अधिकारियों से प्रतिक्रिया मांगी थी लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है.

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English summary
Why did the former daughter-in-law of Dubai's royal family seek help from the UN
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