महिलाओं के लग्ज़री और ब्रांडेड हैंडबैग इतने महंगे क्यों होते हैं?
शनैल, फेंडी, लूइ विटां मार्क जैकब्स जैसे फ़ैशन ब्रांड्स के हैंड बैग इतने महंगे होने की वजह क्या है, जानिए इस रिपोर्ट में
अगर आपके पास कहीं से एक करोड़ रुपये आ जाएं, तो आप उनका क्या करेंगे? ज़्यादातर लोगों का जवाब होगा कि इस पैसे से वे प्लॉट ख़रीदेंगे, घर बनाएंगे या किसी कारोबार में लगाएंगे.
लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो उस पैसे से एक हैंडबैग ख़रीदना पसंद करेगा.
बस एक हैंडबैग.
ऐसे पाठक जो मेरी तरह एक बैग पर एक करोड़ रूपये ख़र्च करने का सुन कर चौंक गए हैं, उनके लिए सिर्फ़ इतना कहना ही काफ़ी है, कि "एक हर्मेज़ बर्कन बैग की क़ीमत तुम क्या जानो मिडिल क्लास बाबू."
हर्मेज़, शनैल, फेंडी, लुई विटां, मार्क जैकब्स फ़ैशन ब्रांड्स के ऐसे नाम हैं, जो अब कई महिलाओं की तस्वीरों के साथ पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर घूमते रहते हैं.
अगर किसी महिला का राजनीति या किसी राजनेता के साथ दूर का भी रिश्ता निकल आये, तो विरोधियों की उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों की क़ीमत में दिलचस्पी और भी ज़्यादा बढ़ जाती है. और अपने हिसाब से उन्हें इस 'लग्ज़री' के लिए 'जवाबदेह' भी ठहराया जाता है
ऐसी ही एक तस्वीर हाल ही में फ़राह ख़ान नाम की एक महिला की वायरल हुई, जो इमरान ख़ान की पत्नी की क़रीबी मानी जाती हैं और जिनके ख़ुद के इंस्टाग्राम अकाउंट से भी इसका पता चलता है, कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के घर 'बनी गाला' में उनका ख़ूब आना जाना रहता है.
वायरल होने वाली यह तस्वीर देश में राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान उनके दुबई जाने की ख़बरों को लेकर थी, लेकिन सोशल मीडिया यूज़र्स की नज़र सीधे उनके बैग पर पड़ी.
चमड़े से बने बैंगनी रंग के इस बैग की क़ीमत पाकिस्तानी रुपयों में एक करोड़ रुपये से भी अधिक बताई जा रही है.
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क्या ये बैग वाक़ई इतने महंगे हैं?
फ़ैशन डिज़ाइनर और समीक्षक मोहसिन सईद ने बीबीसी से बात करते हुए इस दावे की पुष्टि की.
इन विशेष बैग्स हर्मेज़ बर्कन और ऐसे कई अन्य ब्रांडों की क़ीमत इतनी अधिक क्यों है?
इस पर मोहसिन सईद के जवाब ने इस संवाददाता समेत 'मध्यम वर्ग' की क्लास लेते हुए कहा, कि ''आप लग्ज़री को समझो. लग्ज़री को समझाते हुए उनका कहना था कि ये सामान्य ब्रांड की तरह काम नहीं करते हैं. उनकी ब्रांडिंग, मार्केटिंग और सेल्स का अपना तरीक़ा है."
इन ब्रांड्स ने दशकों में अपने लिए एक नाम कमाया है, बल्कि कुछ ने तो सौ डेढ़ सौ साल के इतिहास में अपना नाम बनाया है. इनकी ख़ास बात यह है कि इनकी डिज़ाइन फ़ैक्ट्री में थोक के हिसाब से नहीं बनती है, बल्कि कस्टम ऑर्डर के तहत इन्हें हाथ से बनाया जाता है.
फिर आइडिया की क़ीमत है, जो उनके डिज़ाइनरों की संपत्ति है.
उनकी वेबसाइट या आउटलेट ऐसे नहीं हैं कि कोई भी जाकर प्राइस टैग देख कर ख़रीदारी कर ले. इसके अलावा उनकी तैयारी में इस्तेमाल होने वाला मैटेरियल बेहतरीन और बिकने के बाद की सर्विस उससे भी बढ़कर होती है.
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क्या ये बैग सच में मगरमच्छ की ख़ाल से बनते हैं?
हर्मेज़ ब्रांड के बर्कन बैग के बारे में मोहसिन सईद का कहना है कि यह सच में मगरमच्छ की ख़ाल से बना है. इसके अलावा, कई बैग शुतुरमुर्ग की ख़ाल से भी बने हैं.
मोहसिन सईद ने कहा, कि ''अब ये बकरियां तो हैं नहीं कि क़ुर्बानी के बाद ख़ाल इकट्ठा कर ली जाएं, इन दुर्लभ जानवरों की फ़ार्मिंग करनी पड़ती है. और उनकी ख़ालों को एक बहुत ही महंगी और जटिल प्रक्रिया से गुज़ार कर इस्तेमाल के क़ाबिल बनाया जाता है. मगरमच्छ की ख़ाल से बने बैग आमतौर पर रंगीन होते हैं और यह मलमल नहीं है, कि बाज़ार जाकर रंगवा ली जाये, इसलिए उनकी क़ीमत लाखों में पहुंच जाती है.
क्या कोई भी व्यक्ति इन बैग्स को ख़रीद सकता है?
मान लेते हैं कि आपके पास करोडो नहीं तो लाखो रूपये का डिज़ाइनर ब्रांड ख़रीदने के लिए, जेब में पैसा और दिल में इरादा है, तो क्या आप उनकी 'दुकान' पर चले जायेंगे? पैसे देंगे, बैग उठाएंगे और घर चले जायेंगे?
लॉन्च नहीं होतीं तो 'कॉन्सेप्ट कारें’ बनती क्यों हैं?
ऐसा नहीं है. हर्मेज़ जैसे ब्रांड्स के लिए, आपको सबसे पहले पत्र-व्यवहार करना होगा, और यह भी मुमकिन है कि उनका कोई प्रतिनिधि आपके ही ख़र्च पर किसी महंगे रेस्तरां में चाय या दोपहर के भोजन पर, मीटिंग तय करे. अगर आप उनके पुराने क्लाइंट नहीं हैं तो आपको कई महीनों तक इंतज़ार करना पड़ सकता है. कस्टम आर्डर के मामले ऐसे तय किये जायेंगे, जैसे कि दो परिवारों के बीच रिश्ते तय किए जा रहे हों. अगर आप उन्हें पसंद आये, तो आप प्रोडक्ट प्राप्त करने की उम्मीद कर सकते हैं.
जब अमेरिकी टॉक शो की होस्ट ओपरा विनफ्रे को बैग दिखाने से इनकार कर दिया था
अमेरिका की जानी-मानी शख़्सियत और मीडिया के क्षेत्र से जुडी जानी मानी हस्ती ओपरा विनफ्रे ने 2013 में दावा किया था कि स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख़ शहर में रहने के दौरान एक डिज़ाइनर बैग की सेल्स गर्ल ने उन्हें यह कहते हुए बैग दिखाने से मना कर दिया था कि यह उनके लिए ज़्यादा महंगा है. उस बैग की क़ीमत 38 हज़ार डॉलर थी.
ओपरा के अनुसार वह बैग को छू कर देखना चाहती थी और उनके साथ भेदभाव किया गया. बाद में जब मामला मीडिया में आया तो ब्रांड के मालिक ने उनसे माफ़ी मांगी और इसे ग़लतफ़हमी क़रार दिया.
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दुनिया का सबसे महंगा बैग कौन सा है?
डायमंड हिमालय बर्कन नामी बैग के बारे में कहा जाता है कि यह सबसे महंगे दाम में बिकने वाला बैग है. इसकी क़ीमत 3 लाख डॉलर तय की गई थी और 2017 में दुर्लभ होने के बाद एक बोली में ये 4 लाख डॉलर में बेचा गया था
मगरमच्छ की विशेष प्रकार की ख़ाल से बनाये गए इस बैग को सफ़ेद और सुरमई रंग में इस तरह रंगा गया है, कि सफ़ेद रंग पर हिमालय की उभरी हुई चट्टानों जैसा महसूस होता है. इसके हार्डवेयर में 18 कैरेट व्हाइट गोल्ड के अलावा हीरों का भी इस्तेमाल किया गया है.
पाकिस्तान में इंटरनेशनल लग्ज़री इस्तेमाल करने वाला वर्ग कौन सा है?
मोहसिन सईद के मुताबिक़ पाकिस्तान में एक वर्ग तो ऐसा है, जो कई पीढ़ियों से अमीर है. उनके पास हमेशा लाखों के बैग और गहने मौजूद हैं. हालांकि इनकी संख्या कम हैं.
"वे अपनी दौलत का दिखावा नहीं करते हैं. ये महिलाएं सादा सी गोल्ड के तार के पल्लू वाली सफ़ेद साडी के साथ, इतना क़ीमती बैग लेती हैं. लेकिन इसमें दिखावा नहीं होता है. वो ऐसे ही सम्मानित लगती हैं."
मोहसिन सईद के मुताबिक़ दूसरा वर्ग वो हैं, जिनके पास नई नई दौलत आई है. वो लोग भी दो चार लग्ज़री आइटम ले लेते हैं लेकिन चाइना की कॉपियां भी इस्तेमाल करते हैं.'
एक तीसरा वर्ग भी है जो केवल इन दोनों वर्गों की बराबरी करने और कॉपी करने के शौक़ में लग्ज़री ब्रांड्स की तरफ़ आकर्षित होता है.
इस पूरी बातचीत के नतीजे में, मुझे सबसे अहम् बात ये लगी कि अगर कौशल, हस्तशिल्प और डिज़ाइन का ऑरिजनल होना ही चीज़ों को 'लग्ज़री' बनाता है, तो यह 'लग्ज़री' पाकिस्तान की गली गली में मौजूद है. खाडी पर बुनाई का काम, ब्लॉक प्रिंटिंग, कपास से काता गया सूत, हाथ की कढ़ाई, हाथ से रंगे गए अजरक के थान... लग्ज़री तो हर तरफ मौजूद है.
बातचीत का अंत मोहसिन सईद के इस वादे पर हुआ, कि दस हज़ार रुपये लेकर मेरे साथ कराची की ज़ैनब मार्केट चलो और दिल खोलकर 'लग्ज़री' खरीदो.
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