37 लोगों की जान लेने वाली घटना में बची सिर्फ 3 साल की बच्ची, कंबल में लिपट सोती रही
रोंगटे खड़े कर देने वाली एक घटना उन लोगों ने मौत का सैलाब लेकर आई जब एक डेकेयर सेंटर में लोग मौजूद थे। उत्तरी थाईलैंड के इस भीषण नरसंहार 37 लोग शिकार हुए। लेकिन एक कंबल में लिपटी बच्ची की जान बचना उसके नए जन्म से कम नही
Thailand Dycare Center: रोंगटे खड़े कर देने वाली एक घटना उन लोगों ने मौत का सैलाब लेकर आई जब एक डेकेयर सेंटर में लोग मौजूद थे। उत्तरी थाईलैंड के इस भीषण नरसंहार 37 लोग शिकार हुए। लेकिन कहते हैं कि जिसकी मौत नहीं होनी होती उसे कोई मार नहीं सकता। एक कंबल में लिपटी बच्ची (Girl napping under blanket) की जान बचना उसके नए जन्म से कम नहीं है। आइए जानते हैं कि ये बच्ची मौत के मुंह से कैसे बच निकली।
थाईलैंड का नरसंहार
एक भीषण नरसंहार जिसमें 37 लोगों की एक साथ हत्या कर दी गई। ये उत्तरी थाईलैंड के एक डेकेयर सेंटर में हाल ही हुआ था। बंदूक और चाकू से लैस एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने डेकेयर सेंटर में घुसने के बाद 37 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उससे शिक्षकों और बच्चों पर हमला करना शुरू कर दिया।
घटना में बची एक बच्ची
इस घटना में एक तीन वर्षीय बच्ची पावीनट सुपोलवोंग की जान बच गई। हमले के दौरान सुपोलवोंग कंबल ओढ़ कर सो रही थी। जिससे हमलावर की नजर उस पर नहीं पड़ी। शायद इसी वजह से उसकी जान बची।
बच्ची के 11 सहपाठियों की हत्या
पिछले हफ्ते डेकेयर सेंटर में हुए नरसंहार पूर्व पुलिस अधिकारी बंदूक और चाकू दोनों लेकर पहुंचा था। 3 वर्षीय बच्ची पावनीट सुपोलवोंग की जान तो बच गई। लेकिन उसके साथ पढ़ने वाले 11 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया। विभिन्न समाचार आउटलेट्स के अनुसार पिछले हफ्ते गुरुवार को हुए नरसंहार में 24 बच्चों सहित कम से कम 37 लोग मारे गए थे। जिनमें बंदूकधारी की पत्नी और बेटा भी शामिल था। बाद में हमलावर ने खुद को गोली मार ली थी।
कंबल में लिपटी रही बच्ची
इस भीषण संहार की घटना के दौरान वो कंबल में दुबक कर सिसक रही थी। चेहरा ना दिखने के कारण हमलावर उसे देख नहीं पाया। हालांकि इस दौरान बच्ची ने बड़े ही साहस का परिचय दिया। वो बिल्कुल शांत बिना किसी मूवमेंट के अपनी जगह पर कंबल में लिपटी पड़ी रही और अपनी जान बचा पाई। उसके माता- पिता ने बताया की वो उस वक्त सो रही थी।
बच्ची के माता-पिता ने क्या कहा?
बच्ची पवनुत सुपोलवोंग को उनके माता-पिता प्यार से एमी कहकर पुकारते हैं। उन्होंने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि जब हमला हुआ तब उनका बच्चा सो रहा था। सुपोलवोंग की मां पनोमपई सिथोंग कहा, "मैं सदमें में हूं। एक ओर मेरे बच्चे के बचने की खुशी भी है। लेकिन घटना को लेकर काफी दुखी हूं...कई परिवारों के बच्चे मारे गए। सिथोंग ने कहा कि उसका बच्चा गहरी नींद में नहीं सो रहा था। एमी को कुछ भी याद नहीं। उसके सिर पर कंबल डालकर बाहर निकाला गया ताकि वह अपने मारे गए सहपाठियों को न देख सके।