असम जाने वाले पानी को नहीं रोका है भूटान ने, इस वजह से नहीं हो पा रही सप्लाई
थिम्पू। गुरुवार को शाम ऐसी खबरें आईं थी कि अब भूटान ने भी भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन खबरों में कहा गया था कि भूटान ने असम को सप्लाई होने वाला पानी रोक दिया है। अब भूटान ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है। भारत और भूटाने के मैत्री संबंध कई दशक पुराने हैं और ऐसे में जब यह खबर आई तो हर कोई सोच में पड़ गया कि क्या इस देश को भी चीन ने अपने प्रभाव में ले लिया है।
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बांध में मरम्मत की वजह से सप्लाई रुकी
भूटान की तरफ से इस पूरे मसले पर स्पष्टीकरण जारी किया गया है। भूटान की तरफ से कहा गया है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में ऐसे आरोप लगाए गए हैं कि भूटान ने असम के कुछ हिस्सों तक सप्लाई होने वाले सिंचाई के पानी को रोक दिया गया है। यह बात पूरी तरह से आधारहीन है और कुछ लोग अपने हितों के लिए जानबूझकर ऐसे प्रयास कर रहे हैं ताकि भूटान और असम के लोगों के बीच गलतफहमी पैदा की जा सके। सूत्रों के मुताबिक भूटान की तरफ से इस बात का खंडन किया गया है कि उसने भारत के असम राज्य को सप्लाई होने वाला पानी रोका है। भूटान का कहना है कि पानी को रोका नहीं गया है बल्कि इसे सप्लाई होने वाले बांध में मरम्मत का काम चल रहा था।
क्यों हो रही है बांध की मरम्मत
यह मरम्मत इसलिए की जा रही है ताकि असम के लोगों को पानी मिलने में कोई परेशानी न हो। गुरुवार को आई रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भूटान ने असम के बक्सा जिले के किसानों का पानी रोक दिया है। बक्सा जिले के 26 से ज्यादा गांवों के करीब 6000 किसान सिंचाई के लिए डोंग परियोजना पर निर्भर हैं। वर्ष 1953 के बाद से किसान धान की सिंचाई भूटान की नदियों के पानी से करते रहे हैं। दो-तीन दिनों से बक्सा के किसान खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने रोंगिया-भूटान सड़क जाम की थी। किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार भूटान के सामने इस मुद्दे को उठाए। दरअसल, धान के मौसम में हर साल बक्सा के किसान भारत-भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में जाते हैं और काला नदी का पानी सिंचाई के लिए लाते हैं।