टॉप तालिबान लीडर शेख रहीमुल्लाह हक्कानी की आत्मघाती हमले में मौत, मदरसा में पढ़ा रहा था हदीस
काबुल, 11 अगस्तः अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए एक आत्मघाती हमले में तालिबान के एक वरिष्ठ सदस्य शेख रहीमुल्लाह हक्कानी की मौत हो गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हक्कानी काबुल के एक मदरसे में हदीस पढ़ रहा था इसी दौरान उस पर ये आत्मघाती हमला हुआ। फिलहाल तालिबान ने इस घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। तालिबान सूत्रों के मुताबिक इस हमले के पीछे रेजिस्टेंस फोर्स या इस्लामिक स्टेट का हाथ हो सकता है। तालिबान की स्पेशल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। रहीमुल्ला हक्कानी को अफगानिस्तान के वर्तमान गृहमंत्री और हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी का वैचारिक गुरु माना जाता है। रहीमुल्ला को सोशल मीडिया पर तालिबान का चेहरा भी माना जाता था। एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस आतंकी के लाखों फॉलोअर्स हैं।
पहले भी कई बार हुए हमले
बताया जा रहा है कि हक्कानी को मारने की पूरी साजिश रची गई थी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि तालिबान की रहीमुल्ला की मौत अंदरूनी रंजिश की वजह से हुई है या उसकी मौत के लिए कोई और संगठन जिम्मेदार है। रहीमुल्लाह हक्कानी पर इससे पहले भी हमले हुए थे, जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसपर यह हमला 27 अक्टूबर 2020 में हुआ था। उस दौरान भी वह किसी मदरसे में हदीस पढ़ रहा था। कुलमिलाकर अबतक हक्कानी पर यह हमला तीसरी बार हुआ है। साल 2013 में उसके काफिले पर पेशावर के रिंग रोड पर बंदूकधारियों ने उसपर हमला किया था लेकिन वो सुरक्षित बच निकलने में कामयाब रहा था। हक्कानी अपने ऊपर हमलों के लिए ख्वारिज तत्वों पर बम धमाके का आरोप लगाया था।
हदीस साहित्य का विद्वान रहीमुल्लाह
स्थानीय समाचार रिपोर्टों के मुताबिक रहीमुल्लाह हक्कानी पाकिस्तान सीमा से लगे नंगरहार प्रांत के पचिर आगम जिले का एक अफगान नागिरक है। हक्कानी को सलाफी और दाइश विचारधारा के खिलाफ माना जाता है। शेख रहीमुल्लाह हक्कानी को उसके विचारों के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान में बेहद पसंद किया जाता है। रहीमुल्लाह हक्कानी को हदीस साहित्य का विद्वान माना जाता है। उसकी हत्या हक्कानी नेटवर्क के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। रहीमुल्ला हक्कानी नेटवर्क का वैचारिक चेहरा था। वह अफगानिस्तान समेत पूरे अरब मुल्कों में हक्कानी नेटवर्क का प्रतिनिधित्व करता था। ऐसे में सिराजुद्दीन हक्कानी के गृहमंत्री रहते राजधानी काबुल में हुई इस हत्या ने तालिबान की इस्लामिक अमीरात सरकार को हिला दिया है।
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