पृथ्वी के नजदीक दिखा सुपरनोवा, शौकिया खगोल शास्त्रियों की नजर पड़ी, भारत से कनेक्शन जानिए
खगोल वैज्ञानिकों को पांच वर्ष में धरती के बेहद करीब एक सुपरनोवा दिखा है। पिछले एक दशक में यह दूसरा सबसे करीब सुपरनोवा है। इसमें भारतीय शौकिया खगोल विज्ञानी भी शामिल हैं।
धरती से करीब 2.1 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर एक वृद्ध और फूला हुआ तारा दो करोड़ वर्ष पहले भयानक विस्फोट के साथ खत्म हो गया था। लेकिन, उसकी धमक अब पृथ्वी पर महसूस हुई है। यहां के कुछ शौकिया खगोलशास्त्रियों को इसका गवाह बनने का मौका मिला है, जिसमें भारतीय खगोलशास्त्री भी शामिल हैं।
19
मई
को
दिखा
सुपरनोवा
पॉपुलर
साइंस
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
दो
करोड़
साल
पहले
ब्रह्मांड
में
हुए
इस
भयानक
विस्फोट
से
पैदा
हुए
प्रकाश
पर
19
मई
को
जापान
में
एक
शौकिया
खगोल
विज्ञानी
कोइची
इतागाकी
के
टेलीस्कोप
की
नजर
पड़ी।
उसने
बाकी
खगोल
विज्ञानियों
तक
भी
इस
घटना
की
जानकारी
दी।
इसरो
के
खगोल
विज्ञानियों
ने
भी
देखा
सुपरनोवा
लेकिन,
कोइची
अकेले
शौकिया
खगोलशास्त्री
नहीं
हैं,
जिन्हें
इस
प्राकृतिक
घटना
को
अपने
टेलीस्कोप
के
माध्यम
से
कैद
करने
का
मौका
मिला
है।
उनसे
हजारों
किलोमीटर
दूर
भारतीय
अंतरिक्ष
अनुसंधान
संगठन
(इसरो)
के
तीन
शौकिया
खगोल
विज्ञानियों
को
भी
उस
घटना
के
गवाह
बनने
का
मौका
मिला
है।
'एसएन
2023आईएक्सएफ'
नाम
दिया
गया
इस
सुपरनोवा
को
'एसएन
2023आईएक्सएफ'
नाम
दिया
गया
है।
इसरो
के
तीनों
वैज्ञानिक
फहद
बिन
अब्दुल
हसीस,
किरण
मोहन
और
विशाखा
सशीधरण
लिक्विड
प्रप्लशन
सिस्टम
सेंटर
से
जुड़े
हुए
हैं।
इनकी
टीम
ने
सुपरनोवा
को
कैद
करने
के
लिए
Nikon
Z6
ii
कैमरे
का
इस्तेमाल
किया,
जिसमें
Samyang
135
एमएम
का
लेंस
लगा
था।
सुपरनोवा
क्या
है?
संक्षेप
में
समझें
तो
एक
सुपरनोवा
धरती
से
इंसान
को
नजर
आने
वाला
सबसे
विशाल
विस्फोट
है।
यह
तारे
के
फटने
की
वजह
से
पैदा
होता
है,
जो
की
बहुत
ही
ज्यादा
चमकीला
होता
है।
एक
सुपरनोवा
एक
तारे
की
मौत
के
साथ
बनता
है।
इस तरह से एक सुपरनोवा पृथ्वी से देखा जाने वाला सबसे बड़ा विस्फोट है। यह तब होता है जब सूर्य के द्रव्यमान से कम से कम पांच गुना विशाल तारा ईंधन समाप्त होने के साथ विस्फोट के साथ खत्म होता है।
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2
करोड़
वर्ष
पहले
हुआ
था
विस्फोट
लेकिन,
यहां
एक
ट्विस्ट
है।
जिस
सुपरनोवा
को
धरती
पर
टेलीस्कोप
के
माध्यम
से
अब
देखा
गया
है,
वह
दरअसल
दो
करोड़
साल
पहले
पैदा
हुए
था।
हार्वर्ड
यूनिवर्सिटी
के
खगोल
विज्ञानी
ग्रांट
ट्रेंबले
का
कहना
है,
'यह
अब
हो
रहा
है,
मतलब
हम
इसे
आखिरकार
फटते
हुए
देख
रहे
हैं,
लेकिन
उस
तारा
को
मरे
हुए
2
करोड़
वर्ष
हो
चुके
हैं।'
खगोल
विज्ञानियो
के
लिए
नया
अवसर
'एसएन
2023आईएक्सएफ'
इसलिए
महत्वपूर्ण
है,
क्योंकि
अमेरिकी
अंतरिक्ष
संगठन
नासा
के
मुताबिक
बीते
पांच
साल
में
यह
धरती
के
सबसे
नजदीकी
सुपरनोवा
है
और
पिछले
एक
दशक
में
दूसरा
नजदीकी
सुपरनोवा
है।
इस
वजह
से
यह
खगोलशास्त्रियों
के
लिए
तारों
की
मौत
के
बारे
में
रिसर्च
करने
के
लिए
दुर्लभ
अवसर
दे
गया
है।
ट्रेंबले के मुताबिक खुली आंखों के लिए सुपरनोवा बहुत ही धुंधला पड़ेगा, लेकिन यह सामान्य शौकिया दूरबीनों से दिखना चाहिए। यह पिनव्हील गैलेक्सी में हुआ है, इस गैलेक्सी को M101 भी कहा जाता है। (तस्वीरें- सांकेतिक)