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देखिए कैसा है तालिबान का इस्लामिक शासन, भूखी जनता बेच रही है घर का सामान, पाई-पाई को मोहताज लोग

काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान में सिर फुटौव्वल जारी है। तालिबान को लोगों से कोई मतलब नहीं है। अफगानिस्तान की सड़कों पर लोग चाहे घरों का सामान बेचते नजर आ रहे हैं, या फिर हाथ में बंदूक लिए तालिबान।

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काबुल, सितंबर 21: तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अंतरिम सरकार का गठन भी कर लिया है, लेकिन वो लोगों की जरूरतें पूरी करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी मर्जी का शरिया कानून लागू कर दिया है, लेकिन लोगों को भूख से बचाने के लिए उसके पास कोई उपाय नहीं है और अब आलम ये है कि भूख मिटाने के लिए अफगानिस्तान के लोगों को अपने घर का कीमती सामान गिरवी रखना पड़ रहा है।

लोगों के भूख से वास्ता नहीं

लोगों के भूख से वास्ता नहीं

15 अगस्त को तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था और 16 अगस्त को तालिबान ने इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की घोषणा कर दी। लेकिन, सरकार कैसे चलाना है, और लोगों की मूलभूत जरूरतों को कैसे पूरा करना है, इसकी अक्ल कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन के पास नहीं है। अफगानों की जो स्थिति है, उससे साफ जाहिर हो रहा है कि तालिबान अपने इस्लामिक शासन पद्धति से अफगानिस्तान को कबीलाई युग में लेकर चला जाएगा। सरकार बनाने के नाम पर इस आतंकवादी संगठन में सिर फुटौव्वल जारी है और किसी को फर्क नहीं पड़ रहा है कि देश में महंगाई और बेरोजगारी से कैसे निपटना है। आतंकी संगठन को अफगानिस्तान के आम लोगों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस जुनूनी इस्लामिक संगठन के राज में आम अफगानी अपनी तकदीर को कोस रहे हैं, कि आखिर वो क्यों अफगानिस्तान में पैदा हुए।

कीमती सामान बेचते लोग

कीमती सामान बेचते लोग

अफगानिस्तान की दर्दनाक स्थिति ये है कि ज्यादातर कंपनियां और उद्योग बंद हो चुके हैं और हर तरफ सिर्फ बेरोजगारों की भीड़ दिखती है या फिर हाथ में खतरनाक बंदूक लिए तालिबान के आतंकी। लोगों के पेट में दो निवाला कैसे जाएगा, इसकी परवाह इस आतंकी संगठन को नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक भारी संख्या में अफगानों ने घर के कीमती सामानों को औने-पौने दामों पर बेचना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों के पास टैक्सी है, वो बेहद कम कीमत पर अपनी गाड़ियों को बेच रहे हैं। अकमरूद्दीन नाम के एक अफगान, जो सरकारी कर्मचारी हैं, उन्होंने कहा कि सैलरी मिलनी बंद हो चुकी है और उनके पास परिवार का खर्च चलाने के लिए कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि, उन्होंने (तालिबान) सैलरी देना बंद कर दिया है और मुझे हर महीने 5 हजार रुपये (अफगानी रुपये) रूम का किराया देना पड़ता है और 2 हजार रुपये बिजली का बिल देना होता है, लेकिन अब मैं वो खर्चा नहीं चला पा रहा हूं।

अफगानों की दर्दनाक कहानी

अफगानों की दर्दनाक कहानी

मोहम्मद नसीर, जो पेशे से एक सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं, वो कहते हैं कि सैलरी मिल नहीं रही है और अब उनके लिए 9 लोगों का परिवार चलाना मुश्किल हो चुका है। उन्होंने कहा कि, तालिबान शासन से पहले हर महीने उनके घर का खर्च करीब 10 हजार था, जो अब कहां से लाएं, समझ नहीं आ रहा। उन्होंने कहा कि, बाजार में महंगाई की आग लगी हुई है और सामान खरीदना जंग जीतने जैसा हो गया है। राजधानी काबुल के लोगों में भी भयंकर स्तर पर बेरोजगारी फैल चुकी है। एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि, ''हम मौजूदा सरकार से अपील करते हैं कि वो हमारी तकलीफों पर ध्यान दे। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, रास्ते पर दुकान चलाने वाले गुलाम नबी नाम के एक दुकानदार ने कहा कि ''हमारे सामान बिक नहीं रहे हैं और हमारे खाने के लाले पड़ गये हैं''। टोलो न्यूज के मुताबिक, अफगानिस्तान सरकार के अलग अलग मंत्रालयो में करीब 43 हजार लोग काम करते हैं, जिन्हें सैलरी नहीं दी जा रही है।

राशन के लिए बिक रहा घर का सामान

राशन के लिए बिक रहा घर का सामान

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानों में भारी आर्थिक संकट और बेरोजगारी का आलम है। अफगानिस्तान की सड़कों पर आम अफगानी अपने घर का सामान लिए दिखाई दे रहे हैं और अलग अलग दुकानों पर मोलभाव करते हैं, ताकि थोड़ी ज्यादा कीमत उन्हें अपने घर के सामान की मिले। वहीं, जो अफगानी पहले सरकारी नौकरी में थे, या फिर किसी प्राइवेट नौकरी में थे, उनकी स्थिति अब काफी ज्यादा खराब हो चुकी है। 15 अगस्त की रात वो एक झटके में बेरोजगार हो गये और घरों का सामान सबसे ज्यादा ऐसे ही लोग बेच रहे हैं, ताकि घर में राशन आ सके।

5 हजार में बेचा फ्रीज

5 हजार में बेचा फ्रीज

टोलो न्यूज से बात करते हुए एक लाल गुल नाम के एक अफगान ने बताया कि उन्होंने 25 हजार रुपये में एक फ्रीज खरीदा था, लेकिन तालिबान के द्वारा देश पर कब्जे के बाद उनकी नौकरी जा चुकी है। घर में सामान लाने के लिए पैसा नहीं बचा था, लिहाजा उसने 25 हजार का फ्रीज सिर्फ पांच हजार रुपये में बेच दिया और फिर दुकान से घर में खाने-पीने का सामान ला पाया। उन्होंने कहा कि, 'मैं क्या कर सकता हूं, मेरे बच्चों को रात का खाना चाहिए था'। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी काबुल में कई लोगों को अपने घर से एक लाख से डेढ़ लाख का सामान महज 15 हजार से 20 हजार रुपये में बेचता देखा गया है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, काबुस के बाजारों में हैरान करने वाले नजारे हैं। लोग अपने घरों की टीवी, फ्रीज, सोफा, आलमारी समेत घर के दूसरे फर्नीचर लेकर बाजार में बेचने आ रहे हैं।

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English summary
People forced to sell household items under Islamic rule of Taliban. Unemployment and economic crisis at its peak in Afghanistan.
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