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खतरनाक स्तर पर पहुंचा सऊदी अरब-UAE का विवाद, पूरी दुनिया में मचा तहलका

सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच तनाव इस स्तर पर बढ़ गये हैं कि दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत भी बंद हो गई है और दोनों देशों के विदेश मंत्री अपने अपने देश के टीवी चैनलों के जरिए एक दूसरे को पैगाम दे रहे हैं।

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रियाद, जुलाई 07: सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच काफी घनिष्ठ संबंध रहे हैं लेकिन, पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे से तकरार होना शुरू हो गया था, जिसका पता अब दुनिया को चल रहा है। दोनों देशों के बीच के संबंध खतरनाक स्तर पर पहुंच गये हैं, और अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच की बातचीत भी बंद है। दोनों देशों के बीच फ्लाइट सेवा भी बंद कर दी गई है और सऊदी अरब ने यूएई के व्यापार में दी गई छूट में कटौती कर दी है।

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सऊदी अरब-यूएई में बढ़ा तनाव

सऊदी अरब-यूएई में बढ़ा तनाव

ओपेक+ की अंदरूनी कलह ने तेल बाजार में काफी हलचल मचा दी है और न्यूयॉर्क में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आ गया है, जो पिछले 6 साल के उच्चतम स्तर पर है। ओपेक प्लस की बैठक रद्द होने के बाद अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि क्या सोमवार को रद्द होने वाली ओपेक प्लस की बैठक के बाद सऊदी अरब और यूएई की लड़ाई काफी तेज होने वाली है और इसका असर कितना खतरनाक होने वाला है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के बीच की लड़ाई का बेहद खतरनाक अंजाम हो सकता है। अलजजीरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दोनों देशों के बीच की लड़ाई बहुत बड़े संकट को अंजाम दे सकती है।

काफी तेजी से बढ़ेंगे तेल के दाम ?

काफी तेजी से बढ़ेंगे तेल के दाम ?

मध्यपूर्व के तेल उत्पादक देशों ने इशारा दिया है कि वो अभी जो कच्चा तेल बेचेंगे, चाहे उसकी मात्रा काफी ज्यादा हो या कम...उसकी कीमत उसी तरह से निर्धारित की जाएंगी, जिस तरह से अभी तक होता आया है। कच्चे तेल की कीमत में इजाफा करने का मतलब होगा कि तेल का उत्पादन कम होगा, वहीं अगर कच्चे तेल की कीमत में ये देश कटौती करते हैं, तो फिर तेल के खरीदार देश ज्यादा से ज्यादा तेल खरीदना चाहेंगे। सऊदी अरब ने अपने पारंपरिक एशियाई बाजार के लिए अगस्त महीने के लिए कच्चे तेल की कीमत की घोषणा कर दी है, जिसे देखकर लगता है कि सऊदी अरब कच्चे तेल की सप्लाई और डिमांड के बीच संतुलन बिठाने की कोशिश में है और अगर ओपेक प्लस के सदस्य विवाद को खत्म करने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर उम्मीद की जानी चाहिए कि कच्चे तेल की कीमत में इजाफा नहीं होगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर विश्व को काफी महंगा कच्चा तेल खरीदने के लिए तैयार रहना होगा।

फंसा हुआ है यूएई

फंसा हुआ है यूएई

कच्चे तेल की कीमत को लेकर अगर गौर करें तो पता चलता है कि संयुक्त अरब अमीरात के हाथ पूरी तरह से बांध दिए गये हैं और यूएई का फ्लैगशिप मर्बन कच्चे तेल की कीमत को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तय कर दिया गया है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक एक बैरल मर्बन कच्चे तेल की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 72.34 डॉलर है। वहीं, ओपेक प्लस, जो तेल उत्पादक देशों का एक संगठन है, वो तभी तक कारगर रह सकता है, जबतक की उसके सदस्य देश उसका सम्मान करते हैं। लेकिन, सोमवार को ओपेक प्लस की बैठक सऊदी अरब और यूएई के बीच मचे कलह के बाद रद्द कर दी गई। ऐसे में आशंका इस बात को लेकर है कि अगर सऊदी अरब और यूएई अपने कोटे से अपनी मर्जी के मुताबिक क्रूड ऑयल का भंडार खोल देते हैं, तो प्रति दिन 10 लाख बैरल और ज्यादा कच्चे तेल की सप्लाई बाजार में हो जाएगी, जिससे तेल का बाजार सीधे तौर पर गिर जाएगा और कच्चे तेल की कीमत काफी कम हो जाएगी।

संयुक्त अरब अमीरात को नुकसान?

संयुक्त अरब अमीरात को नुकसान?

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक ऐसा नहीं दिख रहा है कि सऊदी अरब जल्दबाजी में ऐसा कोई कदम उठाने वाला है, क्योंकि अगस्त महीने तक के लिए सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमत को निर्धारित कर दिया है। और सऊदी अरब की तरफ से दूसरा सिग्नल ये दिया गया है कि उसने अपने खरीदारों से पूछ है कि उन्हें आने वाले महीनों में कितना तेल चाहिए और वो उस तेल की सप्लाई करने के लिए तैयार है। लेकिन, दूसरी तरफ देखें तो यूएई फंसा हुआ दिख रहा है। यूएई ने ओपेक प्लस की बैठक से पहले ही अपने खरीददारों को कह दिया है कि उसे काफी कम मर्बन क्रूड ऑयल मिल रहा है, लिहाजा आने वाले दिनों में मर्बन ऑयल की सप्लाई कम हो सकती है, जो संयुक्त अरब अमीरात के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।

बाहरी दबाव

बाहरी दबाव

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब और रूस के बीच पिछले साल के मूल्य युद्ध को समाप्त करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने सार्वजनिक रूप से दोनों देशों को बातचीत की मेज पर वापस ला दिया था और जब मेक्सिको ने सौदे की शर्तों पर आपत्ति जताई तो ट्रंप ने ही सुलह भी करवाई थी। लेकिन, मौजूदा स्थिति बदल चुकी है। अब व्हाइट हाउस मध्यस्थता के लिए ट्रंप की तरह डायरेक्ट दखल नहीं दे रहा है, बल्कि पारंपरिक तरीका अपना रहा है, लेकिन व्हाइट हाउस अभी तक सिर्फ ये दिखाने की कोशिश कर रहा है, कि वो घटनाओं को काफी खरीब से देख रहा है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने सऊदी अरब और यूएई के विवाद पर कहा कि 'अमेरिका हमेशा से शांतिपूर्ण ढंग से किसी विवाद को सुलझाना चाहता है और वो दोनों देशों से आग्रह करता है कि बातचीत के द्वारा समस्या का समाधान कर इस मसले को सुलझा लें और आगे बढ़ें'। वहीं, सऊदी-यूएई विवाद की वजह से अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत पिछले 6 सालों में सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिका में सोमवार को कच्चे तेल की कीमत 77 डॉलर प्रति बैरल थी, जिसमें काफी ज्यादा इजाफा होने की आशंका है।

पूरी तरह शांत डिप्लोमेसी

पूरी तरह शांत डिप्लोमेसी

ओपेक प्लस के देशों ने अभी तक डील को लेकर अपनी उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं। आपको बता दें कि ये तनाव तब उभर कर आया, जब सऊदी अरब के कहने पर ओपेक प्लस ने फैसला किया कि, दिसंबर 2022 तक कच्चे तेल के उत्पादन में इजाफा नहीं किया जाएगा, जिसका यूएई ने विरोध किया था और फिर दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ गया। वहीं, ओपेक के सदस्य इराक के तेल मंत्री एहसान अब्दुल जब्बार ने सोमवार को कहा कि ''वह अगले 10 दिनों के भीतर एक और बैठक के लिए "एक नई तारीख के ऐलान" की उम्मीद करते हैं।'' उन्होंने कहा कि ''ओपेक समूह को अभी भी एक ऐसा सौदा खोजने में सक्षम होना चाहिए जो सभी को संतुष्ट करे।'' ओपेस प्लस के बीच मचे इस भूचाल को शांत करने वाला सबसे बड़ा सदस्य देश भी इस तनाव पर मौन है और वो देश है रूस।

खामोशी से खेल देखता रूस

खामोशी से खेल देखता रूस

दरअसल, रूस की कंपनियां चाहती हैं कि कच्चे तेल का उत्पादन बढ़े, लेकिन इसके लिए कई हफ्ते पहले नोटिस देना पड़ता है, लिहाजा रूस खामोश होकर इस लड़ाई को देख रहा है। रूस में इस साल नवंबर में संसदीय चुनाव होने हैं और रूस में गैसोलीन पदार्थों की बढ़ती कीमत एक बड़ा मुद्दा है, लिहाजा रूस चाहता है कि कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़े, ताकि कीमत में कमी आए और रुस की स्थानीय राजनीति में फायदा हो। दरअसल, अपनी इच्छा के मुताबिक तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा पाना रूस के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर अलेक्जेंडर नोवाक के लिए भी एक बड़ा झटका था और वो चाहते हैं कि कच्चे तेल का उत्पादन बढ़े, ताकि सितंबर चुनाव में उन्हें फायदा हो। लिहाजा सोमवार को जब ओपेक प्लस की बैठक रद्द होने की घोषणा की गई, तो उन्होंने उसपर कोई प्रतिक्रिया देने के बजाए खामोशी ओढ़ ली।

सऊदी अरब-यूएई में चरम पर तनाव

सऊदी अरब-यूएई में चरम पर तनाव

अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच तनाव इस स्तर पर बढ़ गये हैं कि दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत भी बंद हो गई है और दोनों देशों के विदेश मंत्री अपने अपने देश के टीवी चैनलों के जरिए एक दूसरे को पैगाम दे रहे हैं। इससे पहले जब भी दोनों देशों के बीच कोई विवाद होता था, तो मिल बैठकर बातचीत के जरिए समाधान निकाल लिया जाता था, लेकिन इस बार डिप्लोमेटिक बातचीत पूरी तरह से बंद है। वहीं, पूरी दुनिया की नजर भी दोनों देशों के ऊपर है। चैथम हाउस में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम के एसोसिएशन फेलो नील क्विलियम ने अपने बयान में कहा कि '' हम उम्मीद कर सकते हैं कि इससे पहले की दोनों देशों के बीच संबंध काफी ज्यादा बिगड़ जाएं, दोनों देश समझौता कर लें''। वहीं, आशंका जताई जा रही है कि अगर ओपेक प्लस इस बार यूएई की बातों को नहीं मानता है तो यूएई ओपेक से बाहर निकलने का ऐलान कर सकता है।

सऊदी अरब और UAE में काफी तेज हुआ तनाव, फ्लाइट सेवा और OPEC+ की बैठक रद्दसऊदी अरब और UAE में काफी तेज हुआ तनाव, फ्लाइट सेवा और OPEC+ की बैठक रद्द

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English summary
The dispute between Saudi Arabia and the United Arab Emirates has reached an alarming level and there has been a stir all over the world.
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