आखिरी चरण में युद्ध की तैयारी? रूस ने की विध्वंसक मिसाइल ड्रिल्स शुरू करने की घोषणा, पुतिन संभालेंगे मोर्चा
रूस की घोषणा के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शनिवार को रूस के परमाणु बलों द्वारा बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के प्रक्षेपण से जुड़े अभ्यासों की देखरेख करेंगे।
मॉस्को, फरवरी 18: यूक्रेन से बढ़ते तनाव के बीच रूस ने शनिवार से नये मिलिट्री ड्रिल की घोषणा कर दी है और सवाल उठ रहे हैं, कि क्या रूस ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए आखिरी चरण की तैयारी शुरू कर दी है। आज रूस की तरफ से घोषणा की गई है कि शनिवार से नया मिलिट्री ड्रिल शुरू होगा, जिसमें रूस के 'रणनीतिक फोर्स' शामिल होंगे। सबसे खास बात ये है कि, खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस मिलिट्री ड्रिल की कमान संभालेंगे।
कल से नया मिलिट्री ड्रिल
रूस की घोषणा के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शनिवार को रूस के परमाणु बलों द्वारा बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के प्रक्षेपण से जुड़े अभ्यासों की देखरेख करेंगे। इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने रक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए इसकी घोषणा की है। रूस का ये मिलिट्री ड्रिल यूक्रेन संकट के बीच में है, जब अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में यूक्रेन पर रूसी हमले की आशंका जताई है। इस मिलिट्री ड्रिल को अंजाम देने के लिए यूक्रेन की सीमा के पास एक और सैन्य निर्माण किया गया है और सैन्य बिल्डअप ने आशंका जताई है कि मास्को पश्चिम में अपने पड़ोसी पर हमला कर सकता है। हालांकि, रूस ने अभी तक हमले की संभावनाओं से बार बार इनकार किया है। वहीं, बेलारूस के 'तानाशाह' राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको, जिन्हें पुतिन का 'चेला' कहा जाता है, वो भी मॉस्को में मौजूद हैं और माना जा रहा है कि, यूक्रेन को लेकर नई रणनीति दोनों देशों के नेता बना रहे हैं।
भारत के कदम का स्वागत
इसके साथ ही रूस ने शुक्रवार को यूक्रेन संकट पर भारत के कदम का स्वागत किया है। रूस की भारत को लेकर ये प्रतिक्रिया एक दिन बाद आई है, जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि, "शांत और रचनात्मक कूटनीति" समय की आवश्यकता है और तनाव को बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचा जाना चाहिए। वहीं, रूस ने यह नहीं बताया है कि यूक्रेन की सीमा के पास बड़े पैमाने पर अभ्यास में कितने सैन्य कर्मी भाग ले रहे हैं, लेकिन सैन्य अभ्यास के हिस्से के रूप में मास्को से जुड़े क्रीमिया प्रायद्वीप से अन्य क्षेत्रों में हवाई क्षेत्रों में 10 सुखोई-24 युद्धक विमानों को तैनात किया गया है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष की मूल वजह
यूक्रेन रूस का एक पड़ोसी देश है, जिसका क्षेत्रफल 603,628 वर्ग किलोमीटर है, जो रूस और यूरोप के बीच स्थित है। यह 1991 तक सोवियत संघ का ही हिस्सा था, लेकिन सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन एक अलग देश बन गया, जिसका अर्थव्यवस्था तुललात्मक तौर पर सुस्त रही है और यूक्रेन की विदेश नीति कहने के लिए पूरी तरह से लोकतांत्रिक और संप्रभु रहा है, लेकिन अमेरिका और नाटो देश का प्रभाव दिखाई देता रहा है और यूक्रेन के साथ रूस के विवाद की सबसे बड़ी वजह यही रही है कि, आखिर यूरोपीय देश यूक्रेन के इतने करीबी क्यों हैं? नवंबर 2013 में यूक्रेन की राजधानी कीव में यूरोपीय संघ के साथ अधिक से अधिक आर्थिक एकीकरण की योजना को रद्द करने के यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
यूरोप-रूस के बीछ फंसा यूक्रेन
यूक्रेन की सरकार ने जब यूरोपीय संघ के व्यापार फैसले का विरोध किया, तो रूस ने यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुकोविच का समर्थन किया, जबकि यूरोपीय संघ ने यूक्रेन के प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। लेकिन, साल 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुकोविच को उस वक्त देश छोड़कर भागना पड़ा, जब देश की राष्ट्रीय सुरक्षा बल ही अपने देश के राष्ट्रपति के खिलाफ खड़ी हो गई। राष्ट्रपति का देश छोड़कर भागने की घटना ने देश के प्रदर्शनकारियों को और भी ज्यादा उत्साहित कर दिया, मगर यूक्रेन संकट को काफी ज्यादा बढ़ाकर रख दिया। देश के शासन को अस्थिर करने का आरोप यूरोप और अमेरिकी देशों पर लगा। यूरोपीय देश रूस पर दवाब बनाने के लिए यूक्रेन को अपने पाले में रखने की कोशिश करने लगे और 2014 में राष्ट्रपति के देश से छोड़कर भागने के साथ ही वो इसमें कामयाब भी हो गये।
शांति स्थापना के लिए कोशिशें
यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों में कीव से स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए रूसी समर्थक अलगाववादियों के कदम के बाद कई महीनों तक भीषण रक्तपात किया गया था, जिसमें स्वतंत्र विश्लेषकों के मुताबिक, कम से कम 14 हजार लोग मारे गये थे। इन सबके बीच यूक्रेन और रूस के बीच साल 2015 में फ्रांस और जर्मनी द्वारा आयोजित मिन्स्क में एक शांति समझौते के दौरान दस्तखत भी किए गये, लेकिन उसके बाद भी दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जाता रहा। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, मार्च 2014 से संघर्ष के परिणामस्वरूप पूर्वी यूक्रेन में तीन हजार से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं। रूस, यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने दिसंबर 2019 में पेरिस में 2015 शांति समझौते के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए बुलाया, लेकिन राजनीतिक समझौते पर कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई।
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