क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

रोहिंग्या विद्रोहियों ने हमला करके कहा, म्यांमार सरकार से लड़ाई जारी रहेगी

शुक्रवार को सेना की एक गाड़ी पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी आराकान रोहिंग्या सैलेवेशन आर्मी ने ली है

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
जले हुए रोहिंग्या गांवों
STR/AFP/Getty Images
जले हुए रोहिंग्या गांवों

म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिम बहुल इलाके से जुड़े एक विद्रोही गुट अरसा ने कहा है कि वह सरकार के साथ अपनी लड़ाई जारी रखेगा.

बीते साल आराकान रोहिंग्या सैलवेशन आर्मी (एआरएसए) ने सेना पर हमला किया था जिसके बाद देश के रखाइन प्रांत में व्यापक पैमाने पर हिंसा शुरु हुई थी. इस हिंसा के कारण 6 लाख 50 हज़ार रोहिंग्या मुसलमानों देश छोड़ कर बांग्लदेश की ओर पलायन करना पड़ा था.

एआरएसए ने ये दावा किया है कि शुक्रवार को उसने रखाइन प्रांत में सेना के एक ट्रक पर हमला किया था जिसमें तीन लोग घायल हुए थे.

म्यांमार की सरकार की नज़र में आराकान रोहिंग्या सैलेवेशन आर्मी एक चरमपंथी संगठन है. लेकिन इस गुट का कहना है कि वह रोहिंग्या के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है.

'रोहिंग्या मुस्लिम गांवों को जलाने की सैटेलाइट तस्वीरें'

रोहिंग्या मुसलमानों पर भारत-चीन क्यों साथ?

क्या है एआरएसए?

रोहिंग्या शरणार्थी
REUTERS/Tyrone Siu
रोहिंग्या शरणार्थी

एआरएसए म्यांमार के उत्तरी सूबे रख़ाइन में सक्रिय है जहां अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

म्यांमार की सरकार ने रोहिंग्या समुदाय के लोगों को अपने देश का नागरिक मानने से इनकार करती रही है. सरकार उन्हें बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी मानती है.

रखाइन प्रांत में जातीय समूहों के बीच हिंसा होना आम बात है. लेकिन यहां बीते एक साल में एक सशस्त्र संगठन का जन्म हुआ है जो सरकार का विरोध करता है.

रोहिंग्या संकट से इंडोनेशिया में एकजुट होते चरमपंथी

रोहिंग्या शरणार्थी
EPA
रोहिंग्या शरणार्थी

एआरएसए ने कई बार हमले किए हैं. बीते साल 25 अगस्त को एआरएसए विद्रोहियों ने एक बड़े हमले को अंजाम दिया जिसमें 30 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और सेना की चौकी तबाह हो गई. इसके बाद सेना की तरफ से जवाबी कार्रवाई की गई थी.

साथ ही सेना ये भी आरोप लगाती है कि एआरएसए विद्रोहियों ने 28 हिंदुओं को मारा है और मृतकों के शव कथित तौर पर दफना दिए गए थे.

क्या रोहिंग्या मसले पर पीठ दिखा रहा है भारत?

रोहिंग्या शरणार्थी
REUTERS/Marko Djurica
रोहिंग्या शरणार्थी

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (एमएसएफ़) ने कहा है कि बीते साल अगस्त में म्यांमार के रखाइन प्रांत में शुरू हुई हिंसा के बाद पहले महीने में ही 6,700 रोहिंग्या मुसलमान मारे गए.

नवंबर में सेना ने इस संकट में अपना हाथ होने से इनकार किया और कहा कि हिंसा में 400 लोगों की मौत हुई है.

सेना ने नागरिकों की हत्या करने, गांवों को आग के हवाले करने, महिलाओं और लड़कियों का बलात्कार करने और लोगों का महंगा सामान लूटने के आरोपों को खारिज कर दिया है.

रखाइन में सामूहिक कब्र, बर्मा में यूएन को 'नो एंट्री'

सू ची पर चलेगा 'रोहिंग्या नरसंहार' का मुकदमा?

शुक्रवार को हुआ हमला

म्यांमार सरकार का कहना है कि एक व्यक्ति को अस्पताल ले जा रही सेना की एक गाड़ी पर 20 "उग्रवादी बांग्ला चरमपंथियों" ने हमला किया था. सरकार के अनुसार हमले में घर में बने विस्फोटकों और हथियारों का इस्तेमाल किया गया था.

रविवार को एआरएसए ने ट्विटर पर अपने नेता अताउल्लाह अबू अम्मार जुनूनी का एक बयान जारी किया और हमले में शामिल होने की पुष्टि की. बयान में लिखा गया था, "रोहिंग्या के ख़िलाफ़ 'बर्मा सरकार प्रायोजित चरमपंथ' से निपटने, ख़ुद को बचाने और रोहिंग्या समुदाय की रक्षा के लिए लड़ने के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं है."

बयान में कहा गया है कि "मानवीय जरूरतों और राजनीतिक भविष्य" के बारे में रोहिंग्या समुदाय से भी बात की जानी चाहिए.

रोहिंग्या संकट पर क्या कह रही है म्यांमार सरकार?

लश्कर-आईएस से जुड़े हैं रोहिंग्या लड़ाकों के तार?

भविष्य में और हमले हो सकते हैं

बैंकॉक में मौजूद बीबीसी दक्षिणपूर्व एशिया संवाददाता जॉनथन हैड के अनुसार म्यांमार की सेना एआरएसए को इस्लामी चरमपंथी समूह मानती है और इसके ख़िलाफ़ अपनी कठोर कर्रवाई को उचित ठहराती है.

बीते साल हुए हमले के बाद एआरएसए ने शांति की घोषणा की थी और माना जाता है कि ये समूह लाखों की तादाद में रोहिंग्या मुसलमानों के बांग्लादेश पलायन करने से काफी कमज़ोर हो गया था.

लेकिन शुक्रवार को हुए हमले से इस बात के संकेत मिलते हैं कि कुछ रोहिंग्या विद्रोही अभी म्यांमार में मौजूद हैं.

म्यांमार: रोहिंग्या विद्रोहियों ने की संघर्ष विराम की घोषणा

एक महीने में 6,700 रोहिंग्या मुसलमानों की मौत

इसके बाद एआरएसए ने अपनी लड़ाई को हक की लड़ाई कहते हुए म्यांमार सरकार के ख़िलाफ़ इसे जारी रखने का बयान दिया है. ये इस बात की ओर इशारा है कि आने वाले वक्त में सरकार और सेना पर और हमले हो सकते है.

इसके बाद हो सकता है कि सेना का रवैया और कठोर हो जाए और वह अंतरराष्ट्रीय मदद पहुंचाने वाली एजेंसियों और मीडिया को रखाइन प्रांत से दूर रखे.

इसका सीधा असर यहां से पलायन कर चुके रोहिंग्या शरणार्थियों के यहां वापस लौटने की संभावनाओं पर भी होगा.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Rohingya rebels attacked and said the fight from Myanmar government will continue
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X