बोस्निया के 'युद्ध अपराधी' की अदालत में ज़हर पीने से मौत
1992 से 95 के बीच बोस्निया में चले गृहयुद्ध के युद्ध अपराधी स्लोबोदान प्रालियेक ने हेग में चल रही सुनवाई के दौरान ज़हर पी लिया, जिससे उनकी मौत हो गई.
1992 से 95 के बीच बोस्निया में चले गृहयुद्ध के युद्ध अपराधी स्लोबोदान प्रालियेक ने हेग में चल रही सुनवाई के दौरान ज़हर पी लिया.
क्रोएशिया के सरकारी मीडिया के मुताबिक़ स्लोबोदान की बाद में अस्पताल में मौत हो गई. लेकिन ख़बर लिखे जाने तक क्रिमिनल ट्राइब्यूनल ने मौत की पुष्टि नहीं की है.
स्लोबोदान बोस्निया क्रोएशिया के उन छह राजनीतिक और सैन्य नेताओं में से थे, जिनकी सुनवाई हेग में अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल ट्राइब्यूनल (ICTY) में चल रही थी.
आख़िरी अपील पर सुनवाई
स्लोबोदान को मोस्टार शहर में किए गए युद्ध अपराधों के लिए 2013 में 20 साल की सज़ा सुनाई गई थी. यह सुनवाई उस सज़ा के ख़िलाफ़ की गई आख़िरी अपील पर हो रही थी.
जैसे ही स्लोबोदान को पता चला कि ट्राइब्यूनल ने उनकी सज़ा को बरक़रार रखा है, उन्होंने कहा, ''मैंने ज़हर पी लिया है.''
हेग में मौजूद बीबीस संवादादाता एना होलीगन ने बताया कि फ़ैसला आते ही स्लोबोदान खड़े हुए, हाथ मुंह तक ले गए और कुछ पीने के अंदाज़ में सर पीछे किया. ऐसा लगा जैसे उन्होंने गिलास से कोई तरल पदार्थ मुंह में डाला.
अदालत घटनास्थल बनी
जज कार्मेल एजिएस ने तुरंत ही कार्रवाई रोक दी और एंबुलेंस बुलाई गई.
जज एजिएस ने कहा, ''ठीक है, हम सुनवाई रोकते हैं. वह गिलास मत हटाना जिससे उन्होंने कुछ पिया है.''
पर्दे गिराए जाने से पहले तक अदालत में अफ़रातफ़री मची हुई थी.
थोड़ी ही देर में एंबुलेंस पहुंच गई. एक हेलीकॉप्टर ट्राइब्यूनल की इमारत के ऊपर मंडराने लगा.
डॉक्टरों की टीम अपने बैग के साथ तेज़ी से अंदर जाती नज़र आई. एक घंटे बाद अदालत के एक गार्ड ने रॉयटर्स को बताया कि प्रालियेक का तब भी इलाज चल रहा था.
बोस्निया क्रोएशिया की सेना (एचवीओ) के पूर्व कमांडर स्लोबोदान को मानवता के ख़िलाफ़ अपराध के जुर्म में सज़ा मिली थी.
मुसलमानों के ख़िलाफ़
संयुक्त राष्ट्र वॉर क्राइम ट्राइब्यूनल के मुताबिक़ जंग के दौरान 1993 में स्लोबोदान को ख़बर मिली कि सेना के जवान मुसलमानों को प्रोज़ोर में इकट्ठा कर रहे हैं. लेकिन इसके बाद भी स्लोबोदान ने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया.
बताया जाता है कि उनके पास यह जानकारी भी थी कि मुसलमानों की हत्या, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर हमले और शहर की ऐतिहासिक मस्जिदों और पुलों को तबाह करने की योजना बनाई जा रही है, लेकिन उन्होंने फिर भी कुछ नहीं किया.