पहली बार सेंट्रल एशियाई देशों के साथ महाशिखर सम्मेलन, 5 देशों के राष्ट्रपतियों की मेजबानी करेंगे पीएम मोदी
शिखर सम्मेलन में मध्य एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कदमों पर चर्चा करेगा।
नई दिल्ली, जनवरी 19: सेन्ट्रल एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश तो पहले से ही भारत करता आया है, लेकिन पहली बार सेन्ट्रल एशियाई देशों के राष्ट्रपतियों के साथ भारतीय प्रधानमंत्री की महा शिखर सम्मेलन होने वाली है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मबीने की 27 तारीख को मध्य एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे।
कितने देश लेंगे हिस्सा?
27 जनवरी को होने वाली सेन्ट्रल एशियाई देशों के साथ बैठक में कजाकिस्तान, रिपब्लिक ऑफ किर्गिज यानि किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपति मौजूद रहेंगे और पीएम मोदी शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। भारत पहली बार सेन्ट्रल एशियाई देशों के सभी राष्ट्रपतियों को एक साथ एक मंच पर लाने में कामयाब रहा है और कूटनीतिक लिहाज से भारत ने काफी महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हालांकि, इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री ने साल 2015 में सभी मध्य एशियाई देशों की यात्रा की थी, लेकिन इस वर्चुअल शिखर सम्मेलन से साबित होता है कि, भारत के लिए सेन्ट्रल एशिया कितना महत्वपूर्ण होने वाला है, खासकर तब, जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है।
गणतंत्र दिवस की भरपाई!
कोविड महामारी की वजह से लगातार दूसरी बार गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि नहीं होगा, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि, 27 जनवरी को होने वाली वर्चुअल बैठक सरकार के उसी फैसले का अनुसरण करता है। भारत ने पहले कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, हालांकि किसी भी देश द्वारा कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के राष्ट्रपति आभासी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और पहली बार भारत इस तरह के शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
शिखर सम्मेलन में मध्य एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए कदमों पर चर्चा करेगा। इसके साथ साथ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी भी विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा। खासकर, तालिबान की अफगानिस्तान में वापसी के बाद बदले हालातों पर खास चर्चा किए जाने की उम्मीद है। मोदी ने 2015 में सभी मध्य एशियाई राज्यों का दौरा किया था और उसके बाद से सेन्ट्रल एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर भारत के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। और पिछले महीने ये बात उस वक्त साबित हो गई थी, जब पाकिस्तान में इस्लामिक सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान सेन्ट्रल एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने पाकिस्तान ना जाकर भारत आने का फैसला किया था और ये पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका माना गया था।
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