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चीन की नाक के नीचे तैनात होगा भारतीय 'ब्रह्मास्त्र', फिलीपिंस ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने को दी मंजूरी

भारत और रूस द्वारा तैयार किया गया सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल जल, थल और वायु कहीं से भी दुश्मन पर हमला कर सकता है साथ ही ये दुनिया के किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आ सकने वाला मिसाइल है।

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नई दिल्ली/मनीला, जनवरी 14: साउथ चायना सी में दादागीरी पर उतारू ड्रैगन को फिलीपिंस ने बहुत बड़ा झटका दिया है और भारतीय ब्रह्मास्त्र माने जाने वाली मिसाइल ब्रह्मोस को खरीदने की मंजूरी दे दी है। भारत और फिलीपिंस के बीच हुई इस सौदे के बाद जहां भारत और चीन संबंध में और तनाव बढ़ने की आशंका है, वहीं दक्षिण चीन सागर में चीन को अब फिलीपिंस से बहुत बड़ी चुनौती मिलने वाली है। खासकर काफी छोटा देश होने के बाद भी पिछले कुछ सालों में फिलीपिंस ने जिस तरह से चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया है, उसे देखने के बाद कहा जा सकता है कि, कि ब्रह्मोस मिसाइल मिलने के बाद फिलीपिंस काफी ज्यादा आक्रामक हो जाएगा।

भारत-फिलीपिंस में समझौता

भारत-फिलीपिंस में समझौता

फिलीपींस ने शुक्रवार को भारत में बने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड को अपनी नौसेना के लिए दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल एंटी शिप क्रूज मिसाइल खरीदने को मंजूरी दे दी है। ब्रह्मोस मिसाइल के लिए भारत और फिलीपिंस के बीच करीब 37 करोड़ 40 लाख डॉलर का समझौता हुआ है और बहुत ही जल्द दोनों ही देशों के बीच इस डील पर हस्ताक्षर होंगे। आपको बता दें कि, भारत का ये पहला विदेशी सौदा है और ब्रह्नोस मिसाइल का निर्माण स्वदेश में ही रूस के सहयोग से किया गया है। फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग ने ब्रह्मोस से संबंधित अधिकारियों को इस डील को लेकर खबर दे दी है।

ब्रह्मोस मिसाइल पर फिलीपिंस का भरोसा

ब्रह्मोस मिसाइल पर फिलीपिंस का भरोसा

सबसे खास बात ये है कि, फिलीपिंस अमेरिका के काफी नजदीक माना जाता है, बावजूद फिलीपिंस ने भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का समझौता किया है और भारत से खरीदकर फिलीपिंस ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती दक्षिण चीन सागर में करेगा। इतना ही नहीं, फिलीपिंस के बाद वियतनाम को लेकर भी कहा जा रहा है कि, वियतनाम भी भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का समझौता कर सकता है और भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीद सकता है।

भारत का पहला ग्राहक बना फिलिपिंस

भारत का पहला ग्राहक बना फिलिपिंस

डिफेंस एक्सपोर्टर बनने की दिशा में भारत ने पहला बड़ा कदम बढ़ा दिया है और अब भारत और फिलिपिंस के बीच ब्रह्मोस मिसाइल बेचने को लेकर आखिरी करार भी हो चुका है। भारत का फिलिपिंस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल का करार दो मायनों में बेहद अहम माना जा रहा है। पहली बात तो ये कि फिलिपिंस भारत का पहला डिफेंस क्लाइंट बन गया है वहीं भारतीय ब्रह्मोस को साउथ चायना सी में लगाकर फिलिपिंस चीन के आक्रामक रवैये को मुंहतोड़ जबाव देने की स्थिति में आ जाएगा।

साउथ चायना सी में चीन को सीधी चुनौती

साउथ चायना सी में चीन को सीधी चुनौती

भारत की तरह से फिलीपिंस और चीन के बीच कई मुद्दों पर जमकर विवाद है। ऐसे में भारत और फिलीपिंस आर्म्स पैक्ट के साथ जुड़ गये हैं जो भारत की डिप्लोमेसी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण कदम हैं। फिलीपिंस लगातार चीन को चुनौती देता रहता है और अब उसके पास ब्रह्मोस जैसा खतरनाक मिसाइल सिस्टम होगा जिससे उसका डिफेंस पावर में और भी ज्यादा इजाफा होगा। भारत और फिलीपिंस के बीच 'इम्प्लीमेंटिंग एग्रीमेंट' पर समझौता हुआ है। इसके तहत भारत और फिलीपिंस सरकार के बीच सीधी बात होगी। फिलीपिंस भारत से ब्रह्मोस मिसाइल चाहता है। पिछले साल फिलीपिंस के रक्षामंत्री डेल्फिन लोरेंनजना ने एग्रीमेंट साइन करते हुए कहा है कि 'हम भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीद रहे हैं'।

भारत से ब्रह्मोस क्यों खरीद रहा है फिलीपिंस?

भारत से ब्रह्मोस क्यों खरीद रहा है फिलीपिंस?

भारत और रूस द्वारा तैयार किया गया सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल जल, थल और वायु कहीं से भी दुश्मन पर हमला कर सकता है साथ ही ये दुनिया के किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आ सकने वाला मिसाइल है। यह एक सुपरसोनिक मिसाइल है मतलब इसकी गति आवाज की गति से ज्यादा है। लिहाजा ब्रह्मोस मिसाइल बेहद खतरनाक मिसाइल है और चीन का कोई भी रडार ब्रह्मोस को मार नहीं सकता है, लिहाजा भारत के ब्रह्मोस से चीन भी डरता है। भारतीय ब्रह्मोस की स्पीड साउंड की स्पीड से तीन गुना ज्यादा है और ये 290 किलोमीटर तक के क्षेत्र में बेहद खतरनाक तबाही मचा सकता है। ऐसे में फिलीपिंस ब्रह्मोस का इस्तेमाल अपने समुन्द्री तटों की रक्षा करने के लिए करना चाहता है। वहीं, फिलीपिंस की तरफ से चीनी कानून को खुलेआम धमकी देना कहा गया है और अब फिलीपिंस अपने क्षेत्र की मजबूती से रक्षा करना चाहता है।

हथियार विक्रेता बनने की तरफ भारत

हथियार विक्रेता बनने की तरफ भारत

पूरी दुनिया में भारत उन देशों शामिल है जो सबसे ज्यादा हथियार खरीदते हैं। मगर पिछले कुछ सालों में भारत ने अपना लक्ष्य बदलते हुए हथियार एक्सपोर्टर बनने की तरफ किया है। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, जिसकी मारक क्षमता 292 किलोमीटर है, भारत उसे अपने मित्र देशों को बेचना चाहता है और इस मिसाइल में इतनी खूबियां हैं कि कई छोटे देशों के लिए ब्रह्मोस मिसाइल फायदे का सौदा साबित हो रहा है। लिहाजा DRDO और डिपार्टमेंट और डिफेंस प्रोडक्शन यानि डीडीपी के लिए ब्रह्मोस 'हॉट सेलिंग' वीपन बन गया है। भारत सरकार ने 2025 तक ब्रह्मोस मिसाइल बेचकर 5 बिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा है। ब्रह्मोस का निर्माण हैदराबाद में हुआ है और इसकी रिपेयरिंग और मेंटिनेंस हैदराबाद में किया जाता है साथ ही इसके क्रूशियल पार्ट्स रसियन हैं। इसमें लगा इंजन और रडार सिस्टम रूस का है जो बेहद खतरनाक माना जाता है।

कैसे भारत का गर्व है ब्रह्मोस मिसाइल

कैसे भारत का गर्व है ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक मिसाइल है और इस मिसाइल को रूस के साथ मिलकर भारत में बनाया गया है। इस मिसाइल में कई तरह की खासियतें हैं। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या फिर जमीन से...कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानि डीआरडीओ ने मिलकर सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल को बनाया है। यह मिसाइल रूस की पी-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है। ब्रह्मोस मिसाइल को भारतीय सेना इस्तेमाल कर रही है।

हवा से हवा में मार करने में सक्षम

हवा से हवा में मार करने में सक्षम

ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही अपना टार्गेट बदल सकती है यानि हवा में ही ब्रह्मोस के रास्ते को बदला जा सकता है और ये चलते चलते लक्ष्य भेदने में सक्षम है। इसे वर्टिकल या फिर सीधे, कैसे भी दागा जा सकता है। सबसे खास बात ये है कि ब्रह्मोस मिसाइल थल सेना, वायु सेना और जल सेना तीनों के काम आ सकत है। ब्रह्मोस 10 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ान भरने में समझ है और दुनिया की कोई रडार इसे पकड़ नहीं सकती है। रडार ही नहीं किसी भी मिसाइल डिटेक्टिव प्रणाली को धोखा देने में ब्रह्मोस सझम है और इसको मार गिराना करीब करीब असम्भव है। ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका की टॉम हॉक से करीब दुगनी रफ्तार से वार करने में सक्षम है। भारत सरकार ने अगले 10 साल में करीब 2 हजार ब्रह्मोस मिसाइल बनाने का लक्ष्य रखा है और ब्रह्मोस मिसाइलों को रूस से लिए गये सुखोई विमानों में लगाया जाएगा।

खरबों रुपये खर्च कर दुनिया के नेताओं को खरीद रहा है चीन, क्या भारतीय नेता भी चीन के हाथों बिके?खरबों रुपये खर्च कर दुनिया के नेताओं को खरीद रहा है चीन, क्या भारतीय नेता भी चीन के हाथों बिके?

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English summary
Giving a blow to China in the South China Sea, the Philippines has decided to buy BrahMos missiles from India and with this, India has also become an arms exporter country.
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