चीन के चलते संकट में पैंगोलिन, EIA ने किया ड्रैगन की नई करतूत का खुलासा
नई दिल्ली- चीन की सरकार ने अभी भी पारंपरिक दवा बनाने के नाम पर पैंगोलिन शल्क के इस्तेमाल पर पाबंदी नहीं लगाई है। जबकि, उसने बार-बार इसके अवैध कारोबार के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया है। गौरतलब है कि चीन की वजह से पैंगोलिन आज विश्व का सबसे अवैध रूप से तस्करी किया जाने वाला स्तनधारी बन चुका है। पर्यावरण जांच एजेंसी (ईआईए) ने खुलासा किया है कि ईबे और ताओबाओ जैसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आज भी पैंगोलिन से जुड़े उत्पादों के प्रचार किए जा रहे हैं। वहीं चीन की टोंग रेन टैंग ग्रुप समेत तमाम बड़ी दवा कंपनियां सीधे अपनी वेबसाइट के जरिए इनका सीधा ऑफर देती हैं।
स्मोकर्स एंड मिरर्स से जुड़े शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में बताया गया है कि पैंगोलिंग शल्क से जुड़े उत्पादों को बेचने के लिए 221 कंपनियों को वहां लाइसेंस मिले हुए हैं। इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि पैंगोलिंग शल्क का इस्तेमाल 64 अलग-अलग उत्पादों के लिए किया जा रहा है। पर्यावरण जांच एजेंसी (ईआईए) ने पाया है कि विलुप्त होने वाले जंगली जानवरों की रक्षा करने में चीन की सरकार के स्तर पर भारी कमी है। गौरतलब है कि चीन में यह माना जाता है कि पैंगोलिंग के शल्क में औषधीय गुण हैं, खासकर जिन महिलाओं को स्तनपान कराने में दिक्कत होती है, उनके लिए यह बहुत ही कारगर होते हैं।
यही वजह है कि चीन से यह जानवर अब लगभग पूरी तरह से गायब हो चुके हैं और इसलिए तस्करी का दायरा उसके पड़ोसी मुल्कों से होते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया और अब अफ्रीका तक पहुंच चुका है। एक अनुमान के मुताबिक एशिया में हर साल 2,00,000 पैंगोलिन मार दिए जाते हैं। इनके मांस का भी धड़ल्ले से उपयोग किया जाता है और इसके शल्क की सबसे ज्यादा खपत चीन में परंपरागत दवा बनाने में की जाती है। यूनाइटेड नेशन से जुड़े वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ क्राइम रिपोर्ट के ताजा नतीजों के मुताबिक दुनिया भर में जितने भी पैंगोलिन शल्क पकड़े गए हैं, उनमें से 71% चीन भेजे जा रहे थे। उसके बाद वियतनाम इसका दूसरा सबसे बड़ा बाजार है।
चीन ने सबसे बड़ा धोखा तो यह दिया है कि गर्मियों में उसने घोषणा की थी कि पैंगोलिन शल्क को पारंपरिक दवा के लिए मंजूर सामग्रियों की आधिकारिक लिस्ट से हटाया जा चुका है। लेकिन, ईआईए की ताजा रिपोर्ट से जाहिर हो गया है कि लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की तरह ही शी जिनपिंग की सरकार की कथनी और करनी में इस क्षेत्र में भी बहुत बड़ा अंतर है। चीन की सरकार दवा कंपनियों को पैंगोलिन शल्क के इस्तेमाल करने की छूट दे ही रही है और इस रहस्य पर ऐसा चादर ओढ़ा रखा है, जिसकी पूरी वास्तविकता का पता चलना बहुत ही मुश्किल है। ईआईए के एक सीनियर पैंगोलिन कैंपेनर ने कहा है कि, 'चीन ने थोड़े-बहुत कदम उठाए हैं, लेकिन पैंगोलिन शल्क से दवा बनाने में पूरी तरह पाबंदी नहीं लगाई गई है।' इसके चलते वहां बड़े पैमाने पर गैर-कानूनी धंधा चल रहा है और ठोस कानून नहीं होने से दवा कंपनियां अवैध तरीके से धड़ल्ले से शल्क का उपयोग कर रही हैं।
उन्होंने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस से कहा है कि जब वह जब चीन की वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन लॉ की समीक्षा करे तो इन खामियों को दूर करे। दवा कंपनियों और उनके यूरोपियन निवेशकों को भी यह घोषणा करनी चाहिए कि वह पैंगोलिन शल्क का इस्तेमाल नहीं करते और उसकी जगह पर किसी हर्बल उत्पाद का उपयोग किया जा सकता है।