तबाह हो गई पाकिस्तानी करेंसी पौने 300 के पास पहुंचा, शहबाज के मंत्री ने जताई गृहयुद्ध की आशंका
पाकिस्तान में सत्ता में आने वाली सरकारों की गलत नीतियां और सरकार पर सेना के कंट्रोल ने देश को कंगाली के हालत में ला खड़ा किया है।
Pakistani Currency: आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान की करेंसी पिछले दो दिनों में तबाह हो गई है और पिछले दो दिनों में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया करीब 38 रुपये गिर गया है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले 25 प्वाइंट गिरकर 250 के पार पहुंच गया था और आज भी पाकिस्तानी रुपया फिर से औंधे मुंह गिर गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, आज दोपहर तक पाकिस्तानी रुपया 12 प्वाइंट और गिर गया है और उसका वैल्यू 268.30 हो गया है। यानि, आपको एक डॉलर से पाकस्तान के 268.30 रुपये मिलेंगे।
औंधे मुंह गिरा पाकिस्तानी रुपया
जियो न्यूज के मुताबिक, इंटरबैंक मार्केट में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा में 12 रुपये से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है और पिछले दो दिनों में पाकिस्तानी रुपये बुरी तरह से टूटा है। रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ से लोन हासिल करने के लिए और बेलऑउट पैकेज हासिल करने के लिए शहबाज शरीफ की सरकार ने पाकिस्तानी रुपये पर अपना कंट्रोल कम कर दिया है, लिहाजा आने वाले हफ्तों में पाकिस्तानी रुपये का कितना पतन होगा, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। जियो के मुताबिक, इंटरबैंक बाजार में गुरुवार को पाकिस्तानी रुपये का वैल्यू 255.43 पर बंद हुआ था, जो शुक्रवार को और टूटने के साथ 268.30 पर पहुंच गया है।
IMF की शर्तों को पूरा करती सरकार
गुरुवार से इंटरबैंक बाजार में ग्रीनबैक में डॉलर ने पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले 30.41 रुपये की वृद्धि हुई है, क्योंकि शहबाज शरीफ की सरकार ने विदेशी मुद्रा कंपनियों के ऊपर से एक्सचेंज रेट पर कैप को हटा दिया है, जो 2018 में बेलआउट कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आईएमएफ की एक प्रमुख मांग थी। पाकिस्तान की सरकारी संस्था ईसीएपी ने बताया है, कि ओपन मार्केट में रुपया एक दिन पहले की तुलना में जबरदस्त गिरावट के साथ 265 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया है। आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार के सामने शर्त रखी थी, कि बेलऑउट पैकेज पर तभी बात होगी, जब पाकिस्तान सरकार 'बाजार संचालित मुद्रा दर' के लिए तैयार होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, रुपये के गिरने के डर से ही शहबाज शरीफ इस कदम को उठाने से डर रही थी।
किस तरह गिरता गया पाकिस्तानी रुपया?
एक दिन पहले इंटरबैंक बाजार में रुपया 24.11 गिरकर डॉलर के मुकाबले 255.43 रुपये पर आ गया था, जो एक सत्र में 9.6% के साथ दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले पाकिस्तानी रुपया का सबसे नीचला स्तर 239.94 रुपये का था, जो 28 जुलाई 2022 को दर्ज किया गया था। वर्ल्ड इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी रुपये का वैल्यू डॉलर के मुकाबले साल 2014 में 105 था, जो 2015 में घटकर 101 हो गया था। लेकिन, 2016 में ये फिर बढ़कर 105 हो गया, जबकि 1017 में 104, 1018 में 110, 1019 में 138, 2020 में 154, 2021 में 160 और 2022 के जनवरी में 175 था। लेकिन पिछले एक साल में पाकिस्तानी रुपया करीब 90 रुपया और गिर गया है और जनवरी 2023 में ये 265 के स्तर तक पहुंच गया है।
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पाकिस्तानी विदेशी मुद्रा भंडार भी गिरा
दूसरी तरफ, पाकिस्तान के स्टेट बैंक ने कहा है, कि देश का मुद्रा भंडार अब घटकर सिर्फ 3.7 अरब डॉलर ही रह गया है और वो (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) आईएमएफ से बातचीत करने के प्रयास कर रहा है, ताकि बेलऑउट पैकेज हासिल कर डिफॉल्ट होने से बच सके। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है, कि 20 जनवरी तक बाहरी कर्ज भुगतना की वजह से देश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर सिर्फ 3.7 अरब डॉलर तक रह गया है, जो पाकिस्तान को एक महीने से भी कम आयात कवर प्रतान करता है। यानि, अब पाकिस्तान के पास ज्यादा से ज्यादा 2 हफ्तों तक के लिए ही विदेशों से सामान आयात करने का विकल्प देता है और अगर पाकिस्तान को इन दो हफ्तों में मदद नहीं मिली, तो फिर उसकी स्थिति श्रीलंका की ही तरह हो जाएगी।
योजना मंत्री ने जताई दंगे की आशंका
पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने कहा, कि "अगर हम आईएमएफ की शर्तों का पालन करते हैं, जैसा कि वे चाहते हैं, तो सड़कों पर दंगे होंगे।" उन्होंने कहा, कि "हमें एक लचीले कार्यक्रम की आवश्यकता है ... अर्थव्यवस्था और समाज आईएमएफ कार्यक्रम के झटके या लागत को सहन नहीं कर सकते हैं।" वहीं, आईएमएफ साफ तौर पर कह चुका है, कि पहले पाकिस्तान उसकी शर्तों को माने, उसके बाद ही उसके अधिकारी पाकिस्तान का दौरा करेंगे। हालांकि, शहबाज सरकार मौखिक तौर पर तो कह चुकी है, कि वो आईएमएफ के सभी शर्तों को मानने के लिए तैयार है, लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्हें लागू करने से सरकार बुरी तरह डरी हुई है और यही वजह है, कि आईएमएफ के अधिकारी पाकिस्तान नहीं आ रहे हैं।
पाकिस्तान में आगे क्या हो सकता है?
विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट के कारण आयात से भरे शिपिंग कंटेनर, उद्योगों के लिए कच्चे माल, खाद्य सामग्री और चिकित्सा उपकरण, पाकिस्तानी बंदरगाहों पर जमा हो गए हैं, क्योंकि पाकिस्तान के खरीदारों के पास भुगतान के लिए डॉलर नहीं हैं। दक्षिण एशियाई पाकिस्तान में इस वक्त महंगाई विकराल स्तर तक जा पहुंचा है, लिहाजा एक्सपर्ट्स का मानना है, कि पाकिस्तान में गंभीर भोजन संकट पैदा हो जाएगा, जिससे 20 करोड़ से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिक प्रभावित होंगे। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं के लिए देश की मुद्रास्फीति अब रिकॉर्ड 28.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। खाने में प्रमुख, प्याज पिछले साल की तुलना में 501 प्रतिशत महंगा था और इसी अवधि में चावल, गेहूं, दालें और नमक 50 प्रतिशत अधिक महंगे हो गये हैं। देश से गेहूं के आटे की कमी ने विकराल रूप धारण कर लिया है, लिहाजा माना जा रहा है, कि पाकिस्तान का आने वाला वक्त काफी मुश्किल होने वाला है।
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