PAK आर्मी चीफ ने अब सऊदी अरब-UAE से मांगी 'भीख', मुस्लिम-मुस्लिम भाई-भाई का कार्ड चलेगा?
जनरल कमर जावेद बाजवा ने सऊदी-यूएई के सामने हाथ फैलाने से पहले आईएमएफ से पाकिस्तान को 1.7 अरब अमरीकी डालर की महत्वपूर्ण किस्त को शीघ्र जारी करने के लिए अमेरिकी अधिकारी को फोन किया था।
इस्लामाबाद, अगस्त 06: भयानक आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने अब मुस्लिम-मुस्लिम भाई-भाई का कार्ड एक बार फिर से खेला है और सऊदी अरब के साथ साथ संयुक्त अरब अमीरात से भी पाकिस्तान को बचाने के लिए भीख मांगी है। इससे पहले पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने अमेरिका से पाकिस्तान को आईएमएफ का लोन जल्द दिलवाने के लिए हाथ फैलाई थी और अब उन्होंने सऊदी अरब और यूएई के पास भीख का कटोरा फैलाया है।
सऊदी-यूएई से मांगी मदद
जनरल कमर जावेद बाजवा ने सऊदी-यूएई के सामने हाथ फैलाने से पहले आईएमएफ से पाकिस्तान को 1.7 अरब अमरीकी डालर की महत्वपूर्ण किस्त को शीघ्र जारी करने के लिए अमेरिकी अधिकारी को फोन किया था। जिसके बाद पाकिस्तान में बवाल मच गया था, कि शहबाज सरकार ने सेना को भी भीख मांगने के लिए हाथों में कटोरा दे दिया है, लेकिन ऐसा लगता है, कि पाकिस्तानी सेना ने हथियार छोड़कर भीख का कटोरा सच में अपने हाथों में थाम लिया है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी अरब और यूएई से वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए आर्मी चीफ ने फोन किया था। आपको बता दें कि, पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है और अगर उसे अगले महीने तक अरबों डॉलर नहीं मिले, तो वो विदेशों से सामान नहीं खरीद पाएगा और उसकी स्थिति भी श्रीलंका जैसी हो जाएगी।
IMF की इसी महीने होगी बैठक
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड की इस महीने के अंत में बैठक होने वाली है, जिसमें पाकिस्तान को 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर की अगली किश्त जारी करने की औपचारिक रूप से मंजूरी मिल सकती है। ऐसा माना जा रहा है, कि आईएमएफ ने पाकिस्तान से कहा है, कि वह इस बात की पुख्ता गारंटी दे कि उसके दोस्त उसकी बाहरी जरूरतों के लिए 4 अरब डॉलर मुहैया कराएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि, पाकिस्तान आवश्यक धन मुहैया कराने के लिए सऊदी अरब, यूएई और चीन जैसे प्रमुख सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहा है।
सऊदी ने प्रधानमंत्री को खाली हाथ लौटाया
पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक, प्रधानमंत्री बनने के ठीक बाद जब अप्रैल महीने में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब की यात्रा की थी, तो उन्हें खाली हाथ लौटा दिया गया था। उस वक्त सऊदी अरब ने पाकिस्तान को कर्ज देगा या नहीं, इसको लेकर कोई पक्का आश्वासन नहीं दिया था। यूएई भी पाकिस्तान को बचाने के लिए सामने आने से परहेज कर रहा है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात ने कर्ज देने के बजाय पाकिस्तान को शेयर और संपत्ति खरीदने की पेशकश की थी, जिसके बाद पाकिस्तान सरकार ने आनन-फानन में कैबिनेट में पाकिस्तान की सरकारी संपत्ति को बेचने का प्रस्ताव पास किया था और प्रस्ताव में कहा गया था, कि संपत्ति बेचने को लेकर अगर भविष्य में कोई विवाद होता है, तो उस विवाद को लेकर अदालतों में नहीं जाया जा सकता है। कैबिनेट के इस प्रस्ताव को लेकर पाकिस्तान में अभी भी हंगामा जारी है। वहीं, अब पाकिस्तानी अखबार ने कहा है, कि सेना अध्यक्ष ने वित्तीय मदद के लिए सऊदी अरब और यूएई दोनों में अधिकारियों से बात की है।"
पाकिस्तानी सेना ने की कॉल की पुष्टि
वहीं, पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ने शुक्रवार को एक बयान जारी करते हुए कहा है, कि जनरल बाजवा को संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल-नाहयान का एक टेलीफोन कॉल आया था, जिसमें यूएई के शीर्ष नेता ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सेना के हेलीकॉप्टर के 'हादसे' का शिकार होने और उसमें जवानों के मारे जाने को लेकर गहरा शोक जताया था। हालांकि, पाकिस्तानी सेना के बयान में पाकिस्तान को वित्तीय सहायता से संबंधित किसी भी बातचीत का कोई जिक्र नहीं किया, जबकि, जब जनरल बाजवा ने पिछले हफ्ते जुलाई महीने में अमेरिकी विदेश राज्य मंत्री वेंडी शेरमेन से बात की थी और आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड की जल्द बैठक के लिए वाशिंगटन की मदद मांगी थी, तो इमरान खान ने कहा था, कि शहबाज सरकार ने पाकिस्तानी सेना को 'भीख' मांगने वाला बना दिया है। सरकारी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (एपीपी) ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, बाजवा ने वेंडी शेरमेन के साथ फोन पर बात की थी और व्हाइट हाउस और अमेरिकी ट्रेजरी विभाग से आईएमएफ को लगभग 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण में तेजी लाने के लिए प्रेरित करने की अपील की।
झूठ बोल रहा है पाकिस्तानी विदेश विभाग?
पाकिस्तानी अखबार के मुताबिक, हालांकि, विदेश कार्यालय ने अज्ञानता का नाटक किया था, क्योंकि अगर दोनों नेताओं ने अर्थव्यवस्था के बारे में बात की है, तो क्या उन्होंने पाकिस्तान को जल्द कर्ज जारी करने की अपील नहीं की होगी? बाजवा ने अतीत में भी वित्तीय मामलों पर एक प्रमुख वार्ताकार के रूप में काम किया है, और उन्होंने साल 2018 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के लिए वित्तीय सहायता के लिए खाड़ी देशों की यात्रा की थी। यह उनकी सैन्य कूटनीति के कारण था, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब ने वित्तीय खैरात पैकेजों को बढ़ा दिया था। पाकिस्तानी अखबार में कहा गया है, कि सेना प्रमुख को भूमिका निभाने का कारण इस तथ्य से उपजा कि अन्य देश शायद नागरिक सरकार के आश्वासनों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन ने अतीत में हमेशा कठिन परिस्थितियों में पाकिस्तान को वित्तीय मदद दिया है, लेकिन इस बार उन्होंने कुछ शर्तों के तहत सहायता देने की बात कही है, जबकि सूत्रों ने बताया है कि, चीन ने मदद देने से इनकार कर दिया है। वहीं, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात विशेष रूप से पाकिस्तान के लिए वित्तीय सहायता पर आईएमएफ और अन्य पश्चिमी देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
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