रूस-यूक्रेन जंग के बीच अब हुई उत्तर कोरिया की एंट्री, पुतिन को 1 लाख सैनिक देंगे किम जोंग-उन
मॉस्को, 05 अगस्तः रूस और यूक्रेन के बीच जंग जब शुरू हुई थी तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यह इतनी लंबी खींच जाएगी। फिलहाल इस जंग के दूर-दूर तक खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस युद्ध में रूस ने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को खोया है, जिसके बाद पुतिन को दूसरे देशों से सैनिक आयात करने की जरूरत आ पड़ी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस ने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग से 1 लाख सैनिकों की डिमांड की है।
रूस उत्तर कोरिया को क्रूड ऑयल और गेंहू देगा
रूस ने 1 लाख सैनिकों के बदले उत्तर कोरिया को क्रूड ऑयल और गेहूं देने की बात कही है। वहीं उत्तर कोरिया भी रूस को सैनिक देने के लिए राजी हो चुका है। रेग्नम न्यूज एजेंसी के मुताबिक उत्तर कोरिया ने राजनयिक चैनलों के जरिए ये स्पष्ट कर दिया है कि वह युद्ध के नुकसान की भरपाई के लिए रूस का सहयोग करेगा। वह रूस के पक्ष में संतुलन बनाने के प्रयास में एक विशाल लड़ाकू बल की आपूर्ति करने के लिए तैयार है।
उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था सुधारेंगे पुतिन
इन सैनिकों के लुहांस्क और दोनेस्क में रूस समर्थित अलगाववादी सेना में शामिल किया जाएगा। बता दें कि यूक्रेन के इन दो प्रांतों के हाल ही में किम जोंग उन ने स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी है। क्रेमिलिन समर्थक समाचार एजेंसी के मुताबिक उत्तरी कोरिया अपने 1 लाख सैनिकों को डोनबास में स्थानांतरिक करने के लिए तैयार हो गया है। इसके बदले पुतिन, किम जोंग की त्रस्त अर्थव्यवस्था को उबारने का काम करेंगे।
रूस को सैनिक मांगने में नहीं आनी चाहिए
मॉस्को में एक रक्षा विशेषज्ञ कर्नल इगोर कोरोटचेंको ने रोसिया चैनल-1 पर कहा कि ऐसी खबरें है कि 1 लाख उत्तर कोरियाई स्वंयसेवक सैनिक यहां आने और संघर्ष में अपना योगदान देने को तैयार हैं। अगर यह सच है तो अच्छी बात है। हमें किम जोंग-उन द्वारा हमारे लिए बढ़ाए गए हाथ को स्वीकार करने में शर्म नहीं आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरियाई लोग कोई मांग नहीं करते और सबसे खास बात ये कि वे प्रेरित होते हैं।
फासीवाद से लड़ना चाहता है उत्तर कोरिया!
कर्नल इगोर कोरोटचेंको ने कहा, 'अगर उत्तर कोरिया के वालेंटियर अपने आर्टिलरी सिस्टम, काउंटर बैटरी वारफेयर और मल्टीपल लॉन्च रॉकेस सिस्टम के अनुभव के साथ इस संघर्ष में आने चाहें तो हमें उन्हें हरा सिग्नल देना चाहिए।' उन्होंने कहा कि अगर उत्तरी कोरिया यूक्रेनी फासीवाद के खिलाफ लड़ने के अपने अंतरराष्ट्रीय कर्तव्य को पूरा करने की इच्छा व्यक्त करता है तो हमें उन्हें ऐसा करने देना चाहिए।
बेहद पुराना है रूस-उत्तर कोरिया संबंध
रूस और उत्तर कोरिया के बीच संबंध 1948 से हैं जब सोवियत संघ डीपीआरके को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने वाला पहला देश बना था। कोरियाई युद्ध के दौरान कोरियाई पीपुल्स आर्मी को यूएसएसआर द्वारा समर्थित किया गया था। सोवियत संघ के विघटन के बाद भी दोनों देशों के बीच संबंध बने रहे। जब 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो उत्तर कोरिया उन 5 देशों में से एक था जिसने आक्रमण की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था।
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