चीन प्रेमी नेपाल के पीएम केपी ओली चीन की जगह आ रहे हैं भारत, छह से आठ अप्रैल तक होंगे भारत में
नेपाल के नए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली छह अप्रैल से आठ अप्रैल तक भारत में होंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद ओली की यह पहली भारत यात्रा है और न सिर्फ भारत बल्कि वह अपनी पहली विदेश यात्रा पर होंगे।
काठमांडू। नेपाल के नए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली छह अप्रैल से आठ अप्रैल तक भारत में होंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद ओली की यह पहली भारत यात्रा है और न सिर्फ भारत बल्कि वह अपनी पहली विदेश यात्रा पर होंगे। ओली की इस भारत यात्रा की सबसे अहम बात है कि उन्हें चीन की ओर से भी बीजिंग दौरे का आमंत्रण मिला है और चीन ने उन्हें आठ अप्रैल को चीन आने के लिए इनवाइट किया था। ओली का पहला भारत दौरा, नई दिल्ली के लिए मौका होगा कि वह नेपाल के साथ आई संबंधों में खटास को दूर कर सके। आपको बता दें कि ओली, चीन के करीबी हैं और उनके कुछ बयान भारत के लिए सिरदर्द बन चुके हैं।
पहले भी आए हैं भारत
ओली पहले भी भारत आ चुके हैं लेकिन उनकी यह भारत यात्रा, देश के लिए काफी अहम है। बिजनेस लाइन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ओली ने भारत यात्रा के लिए अपना चीन का दौरा कैंसिल कर दिया है। इसे भारत एक रणनीतिक कदम मान रहा है। बिजनेस लाइन के मुताबिक नेपाल में लेफ्ट सरकार की वजह से भारत के साथ संबंधों में कुछ खिंचाव आ गया है। पिछले दिनों ओली ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह बदलते समय के साथ भारत के साथ संबंधों में भी बदलाव करना चाहते हैं। ओली भारत-नेपाल संबंधों के सभी आयामों की समीक्षा करने के पक्ष में हैं। नेपाल की सत्तारूढ़ सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने इंटरव्यू में कहा था कि भारत के साथ हमारी बेहतरीन कनेक्टिविटी है, खुले बॉर्डर हैं। यह सब तो ठीक है, हम कनेक्टिविटी और बढ़ाएंगे भी लेकिन हम यह नहीं भूल सकते कि हमारे दो पड़ोसी हैं। हम किसी एक देश पर ही निर्भर नहीं रहना चाहते न कि सिर्फ एक विकल्प।
कुछ लोगों की गलतफहमी का शिकार रिश्ते
ओली के मुताबिक भारत में कुछ तत्वों ने गलतफहमी पैदा की लेकिन भारतीय नेताओं ने हमें आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसी कोई दखलअंदाजी नहीं होगी और हम एक-दूसरे के स्वायत्ता के अधिकारों का सम्मान करते हैं। 65 वर्ष के ओली इससे पहले 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त 2016 तक नेपाल की कमान संभाल चुके हैं। नेपाल में हुए मधेसी आंदोलन के बाद ओली को इस्तीफा देना पड़ा था। दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ओली से भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नेपाल में मुलाकात की थी। उनके अलावा भारत के वाम दलों के नेता भी ओली से मिले थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी ओली से फोन पर बात की थी।
चीन के साथ संबंधों की भी वकालत
ओली की मानें तो वह चीन के साथ संबंधों को और मजबूत और गहरा करना चाहते हैं। उनके मुताबिक वह चीन के साथ रिश्तों को और गहरा करने के लिए नए मौकों को तलाशेंगे। केपी ओली को हमेशा से ही चीन के लिए झुकाव रखने वाला पीएम माना जाता है। इसके साथ ही ओली ने यह भी कहा कि जहां वह चीन साथ संबंधों को और गहरा करना चाहते हैं तो वहीं भारत के साथ समझौतों में अधिक फायदा लेंगे। ओली ने कहा कि वह बदलते समय के साथ भारत के साथ संबंधों में भी बदलाव करना चाहते हैं।
सुषमा गईं थी काठमांडू
फरवरी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज काठमांडू गई थी और यहां पर उन्होंने कहा था कि भारत नई सरकार के साथ मिलकर साथ काम करने का इच्छुक है। सुषमा के नेपाल दौरे की वजह से दोनों देशों में बरकरार तनाव में कुछ कमी देखी थी। ओली सरकार का मानना है कि भारत उनकी सरकार को कमजोर समझने की गलती कर सकती है। साल 2015 मे भारत ने नेपाल के रास्तों को मधेसी आंदोलन की वजह से बंद कर दिया था। इसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव आए थे।