क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बहुत बड़े आर्थिक संकट में फंस सकता है नेपाल, वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा ने दिया इस्तीफा

सोमवार को संसद में बोलते हुए, यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने कहा था कि, प्रधानमंत्री देउबा बिल्कुल असहाय प्रतीत होते हैं क्योंकि वह शर्मा पर गंभीर आरोपों के बावजूद उन्हें बर्खास्त करने में विफल रहे हैं।

Google Oneindia News

काठमांडू, जुलाई 06: श्रीलंका के बाद भारत का एक और पड़ोसी देश नेपाल आर्थिक संकट में फंस गया है और नेपाल के वित्तमंत्री जनार्दन शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है। देश की अर्थव्यवस्था के खराब होने बाद पिछले दिनों जनार्दन शर्मा की इस्तीफे की मांग तेज हो गई थी और और न केवल मुख्य विपक्षी नेता केपी शर्मा ओली ने संसद में नित्तमंत्री को पद छोड़ने के लिए कहा था, बल्कि सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के महासचिव गगन थापा ने भी जनार्दन शर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था।

नेपाली वित्तमंत्री ने दिया इस्तीफा

नेपाली वित्तमंत्री ने दिया इस्तीफा

हालांकि, नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, जो नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने अभी तक वित्तमंत्री के इस्तीफे की मांग को अनसुना कर रखा था, लेकिन अर्थव्यवस्था पर संकट बढ़ने के साथ ही प्रधानंमत्री पर भी भारी दबाव आ चुका है। आपको बता दें कि, जनार्दन शर्मा, नेपाल सरका को समर्थन दे रही प्रमुख सहयोगी पार्टी सीपीएन यानि माओवादी सेंटर के कोटे से मंत्री थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो कई और अलग अलग वजहों से सुर्खियों में थे। नेपाल की अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभालने के कारण जनार्दन शर्मा की काफी आलोचना की जा रही थी और आरोप लग रहे थे, कि जनार्दन शर्मा देश की आर्थिक स्थिति को संभालने में नाकाम रहे हैं। वहीं, उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अलार्म बजाने वाले नेपाली रिजर्व बैंक के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी को भी पद से हटा दिया था, और नेपाल का बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले अनाधिकृत व्यक्तियों को टैक्स व्यवस्था में सुधार लाने के लिए बुला लिया था। लिहाजा, नेपाल की राजनीति में बवाल मच गया था।

जनार्दन शर्मा को बर्खास्त करने की थी मांग

जनार्दन शर्मा को बर्खास्त करने की थी मांग

सोमवार को संसद में बोलते हुए, यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने कहा था कि, प्रधानमंत्री देउबा बिल्कुल असहाय प्रतीत होते हैं क्योंकि वह शर्मा पर गंभीर आरोपों के बावजूद उन्हें बर्खास्त करने में विफल रहे हैं। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने काफी सख्त शब्दों में पीएम शेर बहादुर देउबा की आलोचना की थी और उन्होंने कहा था, कि 'क्या सत्ताधारी गठबंधन को बचाना ही प्रधानमंत्री की एकमात्र प्राथमिकता है? क्या प्रधानमंत्री ऐसी स्थिति में पहुंच गये हैं, जहां से वो कुछ नहीं कर सकते हैं'। ओली ने आरोप लगाया था कि, प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा वित्तमंत्री की गलत हरकतों और गलत नीतियों को देखते हुए भी चुप बने हुए हैं। ओली ने आरोप लगाया था कि, वित्तमंत्री दनार्दन शर्मा ने बजट पेश करने से एक दिन पहले बाहरी लोगों और बिचौलियों का इस्तेमाल किया और उन्हें बजट की कॉपी दिखाई। वहीं, जनार्दन शर्मा ने 28 मई के सीसीटीवी फुटेज प्रदान करने से इनकार कर दिया था।

केन्द्रीय बैंक ने दी थी चेतावनी

केन्द्रीय बैंक ने दी थी चेतावनी

आपको बता दें कि, नेपाली अर्थव्यवस्था की लगातार खराब होती स्थिति को लेकर नेपाली केन्द्रीय बैंक ने अप्रैल महीने में ही सरकार को आगाह कर दिया था, लेकिन उसके बाद केन्द्रीय बैंक के गवर्नर को ही पद से हटा दिया गया था। केन्द्रीय बैंक के गवर्नर महा प्रसाद अधिकारी ने नेपाली वित्त मंत्रालय को लिखी एक चिट्ठी में आगाह करते हुए कहा था, कि सरकार को फौरन पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर नियंत्रण लगाना चाहिए। उन्होंने देश के वित्त मंत्रालय को जो चेतावनी भरी चिट्ठी भेजी थी, उसमें सरकार से कहा गया था कि, सरकार को फौरन गाड़ियों के साथ साथ दूसरी चीजों पर दी जाने वाली लोन पर रोक लगानी चाहिए। देश के दरवाजे पर खड़े बड़े आर्थिक संकट को देखते हुए नेपाल राष्ट्रीय बैंक ने वित्त मंत्रालय को निर्देश दिया था, कि अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ईंधन के आयात पर नियंत्रण जरूरी है।

फंसने के कगार पर नेपाली अर्थव्यवस्था

फंसने के कगार पर नेपाली अर्थव्यवस्था

अप्रैल महीने में नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन ने कहा था कि, जुलाई 2021 तक वह ईंधन पर लगभग 14 अरब रुपये प्रति माह खर्च करेगा। हालांकि, निगम के एक कार्यवाहक प्रबंध निदेशक नागेंद्र साह के अनुसार, निरंतर मूल्य वृद्धि ने खर्च को लगभग दोगुना कर दिया है। सिर्फ पेट्रोलियम उत्पाद ही नहीं, बल्कि नेपाली बैंकों ने कहा था कि, वे देश के तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार के बहाव को रोकने के लिए गैर-जरूरी सामानों के आयात के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) खोलने से व्यापारियों को "हतोत्साहित" करे और केंद्रीय बैंक के "मौखिक निर्देश" का पालन करें। नेपाली बैंक के अधिकारियों ने कहा था कि हाल के महीनों में भारी मात्रा में आयात से विदेशी मुद्रा देश से बाहर जा रही है, जिससे भुगतान संतुलन चरमरा गया है और संकट की चिंता बढ़ गई है।

संकट में क्यों है नेपाल की अर्थव्यवस्था

संकट में क्यों है नेपाल की अर्थव्यवस्था

अप्रैल महीने की नेपाली रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 के पहले सात महीनों के दौरान नेपाल में आयात 42.8 प्रतिशत बढ़कर 1.14 ट्रिलियन रुपये हो गया, जबकि पिछले साल इसमें सिर्फ 0.01 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसके साथ ही, पेट्रोलियम उत्पादों, दवाओं, कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल, परिवहन उपकरण, वाहनों और अन्य भागों की खरीद में तेजी से वृद्धि हुई है। नेपाल राष्ट्र बैंक के अनुसार, भुगतान संतुलन ने समीक्षा अवधि में 247.03 अरब रुपये का घाटा दिखाया, जबकि पिछले साल समान अवधि में 97.36 अरब रुपये का फायदा हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जुलाई में नेपाल के पास 11.75 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जो इस साल फरवरी महीने में घटकर 9.75 अरब डॉलर हो गया है, यानि, अब नेपाल के पास जरूरी सामान खरीदने की क्षमता घटकर सिर्फ 6 महीने की रह गई है, जबकि ये क्षमता कम से कम 7 महीने का होना चाहिए। लिहाजा, नेपाल केन्द्रीय बैंक ने सरकार को आगाह किया था।

अफ्रीकी देश जिम्बॉब्वे पर कब्जे की तैयारी में जुटा चीन, संसद बनाने में खर्च कर दिए 14 करोड़ डॉलरअफ्रीकी देश जिम्बॉब्वे पर कब्जे की तैयारी में जुटा चीन, संसद बनाने में खर्च कर दिए 14 करोड़ डॉलर

Comments
English summary
Nepal's finance minister resigns amid economic crisis.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X