क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नज़रियाः सऊदी-इसराइल नज़दीकियों से क्यों उड़ी ईरान की नींद?

ट्रंप के आने के बाद दोनों देशों के बीच राजनीतिक और ख़ुफ़िया संबंध मज़बूत हुए हैं.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
हसन रूहानी
Getty Images
हसन रूहानी

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने हाल ही में सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था कि 'जब तक सऊदी अरब, यमन पर बमबारी नहीं रोकता और इसराइल से संबंध नहीं तोड़ता तब तक रियाद से कूटनीतिक रिश्ते बहाल नहीं किए जाएंगे.'

रूहानी के अनुसार, 'सऊदी अरब ने इसराइल के सामने घुटने टेक दिए हैं और यहूदीवाद से रिश्ते की भीख मांगी है जबकि उसे एक रीढ़विहीन राज्य की बजाय अपने लोगों के लिए खड़े होना और अपने इलाक़े के देशों पर भरोसा करना चाहिए.'

उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सऊदी अरब यहूदीवाद से अपने रिश्ते तोड़े और यमन पर अमानवीय बमबारी ख़त्म करे. हमें सउदी अरब से कोई दिक्कत नहीं है हम उसके साथ रिश्ते रख सकते हैं."

ईरानी अधिकारी लगातार यमन में सैन्य हस्तक्षेप को लेकर सऊदी अरब की लगातार आलोचना करते रहे हैं लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब देश के शीर्ष नेता ने सार्वजनिक रूप से इसराइल को लेकर सऊदी अरब की विदेश नीति में बदलाव की मांग की है.

दूसरी तरफ़ सऊदी अरब ने पिछले साल जनवरी से ही तेहरान से अपने सारे कूटनीतिक रिश्ते तोड़ लिए थे, जब उसके दूतावास पर ईरानी प्रदर्शनकारियों ने हमला बोला था और अन्य अरब देशों से भी ऐसा करने की अपील की थी.

सऊदी अरब और इसराइल के बीच बीच ख़ुफ़िया और सुरक्षा सहयोग बढ़ा है और इससे तेहरान काफ़ी असहज है.

ईरान शर्तें मानेगा, बशर्ते दूसरे भी मानें: रूहानी

क्या युद्ध की तरफ़ बढ़ रहे हैं सऊदी अरब और ईरान?

सउदी अरब और इसराइल के राष्ट्राध्यक्ष
Getty Images
सउदी अरब और इसराइल के राष्ट्राध्यक्ष

सउदी अरब और इसराइल में क़रीबी

मध्य पूर्व के देशों की तरह सऊदी अरब का इसराइल के साथ कोई औपचारिक राजनयिक रिश्ता नहीं रहा है. इसके पीछे इसराइल के प्रति अरब जनमत का विरोध और इसके संभावित राजनीतिक दुष्परिणाम मुख्य कारण हैं.

हालांकि सऊदी अरब और इसराइल के बीच वाणिज्यिक और आर्थिक क्षेत्र में कोई व्यापक संबंध नहीं हैं. उदारहण के लिए इसराइली एयरलाइन्स को एशियाई देशों की उड़ानों के लिए सउदी अरब की वायु सीमा पार करने की इजाज़त नहीं है.

हालांकि, पिछले कुछ सालों में, ख़ासकर कथित 'शांतिपूर्ण शक्तियों' के साथ तेहरान के परमाणु संबंध के बाद, इसराइल और सऊदी अरब क़रीब आए हैं और इसका मक़सद है ईरान के क्षेत्रीय ताक़त के रूप में उभार से निपटना और मध्यपूर्व में अपने प्रभाव को बढ़ाना.

एक अमरीकी अधिकारी के अनुसार, कम से कम पिछले पांच सालों तक इसराइली और सऊदी अधिकारियों के बीच वार्ता चली थी जिसका परिणाम दोनों देशों के बीच क़रीबी सहयोग है.

सऊदी अख़बार 'इल्लाब' में 16 नवंबर को एक अभूतपूर्व साक्षात्कार में इसराइली सेना प्रमुख जनरल गैडी आइसेनकॉट ने इस इलाक़े के लिए 'ईरान को सबसे बड़ा ख़तरा' बताया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि 'ईरान से निपटने के लिए उदार अरब देशों के साथ इसराइल सहयोग करने को तैयार है.'

आईसेनकॉट ने ट्रंप की उस बात की तस्दीक भी की कि, "इलाक़े में एक नए अंतरराष्ट्रीय गठबंधन का मौका है और हमें ईरान के ख़तरे से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीतिक योजना बनानी चाहिए."

कुछ दिन पहले, पहली बार सऊदी अरब और इसराइल ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में सीरिया के ख़िलाफ़ के प्रस्ताव का समर्थन किया था. लगभग इसी समय इसराइली संचार मंत्री अयूब कारा ने सऊदी के मेजर जनरल अब्दुलअज़ीज़ अल-शेख़ को तेल अवीव आने का न्योता दिया.

दूसरी तरफ़, सऊदी अरब ने भी इसराइल के क़रीब आने की कोशिशें की है. पिछले साल गर्मियों में, डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के कई महीने पहले, सऊदी अरब ने इलाक़े में शांति के मुद्दे पर बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल को तेल अवीव भेजा था.

अमरीका के प्रतिबंधों का ईरान ने दिया जवाब, मिसाइल खर्च में भारी इजाफ़ा

सऊदी और इसराइल की दोस्ती से ईरान का क्या बिगड़ेगा?

ट्रंप और सउदी प्रिंस
AFP
ट्रंप और सउदी प्रिंस

ट्रंप फ़ैक्टर

हालांकि सऊदी अरब की ओर से होने वाली ये गतिविधियां ट्रंप के आने के बाद और तेज़ हुई हैं.

पिछले महीने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास रियाद में मिले थे और ट्रंप के दामाद और मध्य पूर्व में उनके विशेष दूत जैरेड कूशनर की शांति योजना को स्वीकार करने की अपील की थी.

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, कूशनर की सबसे बड़ी उपलब्धि सऊदी अरब और इसराइल के बीच सहयोग को बढ़ाने की रही है, जिसमें इसराइली एयरलाइन्स को सऊदी वायु सीमा में प्रवेश और वहां इसराइल के व्यापार का मुद्दा भी शामिल है.

शांति योजना में फ़लस्तीनी अथॉरिटी को इसराइल के साथ संबंध सुधारने की अपील की गई है.

कहा जा रहा है कि महमूद अब्बास की अहम भूमिका को देखते हुए सऊदी क्राउन प्रिंस ने उनपर शांति योजना को स्वीकार करने के लिए दबाव डाला है.

लेकिन इसे नहीं भूलना चाहिए कि फ़लस्तीनी अथॉरिटी अपने सामान्य कामकाज के लिए भी सऊदी अरब और अमरीका पर बहुत अधिक निर्भर है.

सऊदी के क्राउन प्रिंस सलमान बहुत भोले हैं: ईरान

सऊदी अरब और ईरान क्यों हैं दुश्मन?

मोहम्मद बिन-सलमान और डोनल्ड ट्रंप
Getty Images
मोहम्मद बिन-सलमान और डोनल्ड ट्रंप

ईरान के लिए ख़तरे की घंटी

रियाद और तेल अवीव के बीच राजनीतिक, सुरक्षा और ख़ुफ़िया सूचनाओं के आदान प्रदान में सहयोग, ईरान के लिए ख़तरे की घंटी की तरह है.

सऊदी अरब मध्यपूर्व में एक अलग थलग देश नहीं है, बल्कि वो सुन्नी ब्लॉक का नेता है. ईरान के पड़ोसी देश, बहरीन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात से उसके अच्छे ताल्लुक़ात हैं.

इसका मतलब है कि ये देश भी इसराइल के साथ अपने रिश्ते सुधारने की ओर जाएंगे.

एक अभूतपूर्व कदम के रूप में, 25 एनजीओ के एक प्रतिनिधिमंडल ने इसराइल के अधिकारियों के साथ 11 दिसम्बर को मुलाक़ात की थी.

एक पूर्व अमरीकी राजदूत के मुताबिक, इसराइल और अरब देशों के बीच सहयोग के लिए कई लोग पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं.

ईरान और इसराइल के बीच हाल के दिनों में सबसे बड़ा विवाद, चरमपंथी ग्रुपों को कथित रूप से तेहरान के आर्थिक सहयोग का रहा है.

दिलचस्प है कि ईराक़ी कुर्दों और इसराइल के बीच संबंधों के चलते तेहरान अपने पड़ोस में कुर्दिस्तान बनाए जाने का तीखा विरोध करता रहा है.

और मुख्य बात ये है कि अरब देशों के राजनीतिक साझेदार के रूप में इसराइल के प्रति जनमत तैयार होने से इसराइली नीतियों को ही बल मिलेगा और ईरान का इसराइल विरोधी रुख़ कमज़ोर होगा, जिसे अरब जनमत के 'दिल और दिमाग' को जीतने के लिए तेहरान ने अपनी नीति बना रखी है.

इसका सबसे पड़ा परिणाम तो ये होगा कि इसराइल के प्रति अरब जगत में जो एक टैबू है वो हटेगा और इससे न केवल अरब देशों के बीच, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ईरान अलग थलग पड़ जाएगा.

57 मुस्लिम देशों ने कहा, 'यरुशलम हो फलस्तीनी राजधानी'

यरुशलम को इसराइल की राजधानी नहीं मानेंगे: यूरोपीय संघ

यमन के मुद्दे पर सऊदी अरब-ईरान में घमासान

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Nazriya Why Saudi-Israel sleeps close to Saudi Arabia
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X