मरी: बर्फ़बारी में गाड़ियों के अंदर मौतें, कैसे हैं अब पाकिस्तान के इस शहर के ज़मीनी हालात
अब तक बर्फ़बारी में कम से कम 19 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. मरी तक पहुंचने वाली सड़कें बंद कर दी गई हैं.
मरी में भारी बर्फ़बारी के बाद सड़कों पर पेड़ और बिजली के खंभे गिर गए हैं और लोग जगह-जगह फंसी गाड़ियों के शीशों पर दस्तक देकर लोगों का हालचाल जानने की कोशिश कर रहे हैं. कोई जवाब नहीं मिलने पर गाड़ी खोलकर अंदर मौजूद लोगों को मदद देने की कोशिश की जा रही है. आपातकालीन सेवा 1122 की ओर से जो सूची जारी की गई है उसके मुताबिक़ मरने वालों में 10 पुरुष, 10 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल हैं. मरी के स्थानीय प्रशासन के बचावकर्मी और स्थानीय लोग गाड़ियों में फंसे यात्रियों और बेहोश लोगों को फ़र्स्ट एड दे रहे हैं और सुरक्षित जगहों तक पहुंचा रहे हैं. ग़ौरतलब है कि मरी में सालों बाद हुई भारी बर्फ़बारी के कारण पर्यटक घंटों ट्रैफ़िक में फंसे रहे. गाड़ी में लंबे समय तक बैठे रहने और शीशे बंद होने और हीटर चालू होने के कारण, गाड़ी के भीतर ऑक्सीजन की कमी हो गई जिससे बहुत से पर्यटकों के बेहोश होने की ख़बर है.
पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख़ रशीद ने इस बात की पुष्टि की है कि अब तक बर्फ़बारी में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन सड़क बंद होने के बावजूद पर्यटक अभी भी वहां जाने की कोशिश कर रहे हैं. इस्लामाबाद से मरी रोड की तरफ़ जाने वाले मुख्य मार्गों पर अधिकारी तैनात हैंऔर सड़क को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. लेकिन मरी जाने वाले टोल प्लाज़ा पर अभी भी सैकड़ों गाड़ियां खड़ी हैं.
'लोग आने-जाने वाली गाड़ियों से पूछ रहे हैं- मरी जाएंगे?'
मरी के रहने वाले शफ़ीक़ ने बीबीसी को बताया, "अभी यहां काफ़ी ट्रैफ़िक है और सत्रह मील टोल प्लाज़ा पर कम से कम तीन सौ गाड़ियां अभी भी खड़ी हैं, जबकि मोटरवे पर जाने वाले रास्ते पर लगभग पांच सौ गाड़ियां फंसी हुई हैं." शफ़ीक़ के मुताबिक़, वहां मौजूद लोग कह रहे हैं, "हमें रात से यही पता था कि रास्ते बंद हैं. कुछ लोग यहां रात तीन बजे से खड़े हैं तो कुछ सुबह पांच बजे से यहां खड़े हैं." शनिवार सवेरे शफ़ीक़ ने इस्लामाबाद से अपनी यात्रा शुरू की थी और वह कहते हैं, कि "पहला पॉइंट आते हुए, सेरेना होटल के पास और दूसरे पॉइंट पर ढोकरी चौक के पास एक चेक पोस्ट बनाया हुआ है. सड़क एक तरफ से बंद की गई है. सेरेना चौक बंद है. आगे भारा काहू में आने वालों की काफ़ी भीड़ होती है."
शफ़ीक़ का कहना है, "मरी में सड़क बंद होने की ख़बरों के बावजूद भारा काहू के मुख्य मरी रोड पर बहुत से लोग आने जाने वाली गाड़ियों को हाथ देकर पूछ रहे हैं कि क्या मरी जाएंगे?" मरी के रहने वाले शफ़ीक़ एक कच्चे रास्ते से घोड़ा गली के पास अपने घर पहुंचने में कामयाब हो सके.
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'मैं बर्फ़ की क़ब्र में धंसा हुआ हूँ'
बीबीसी संवाददाता सहर बलोच से बात करते हुए सानिया दाऊद ने बताया कि वह शुक्रवार रात को अपने पति और बच्चों के साथ मरी के लिए निकली थीं. उन्होंने कहा कि "इस समय स्थिति और भी ख़राब होती जा रही है. हम लोग इस समय झिका चौक से दो सौ मीटर की दूरी पर हैं. यहां वॉशरूम जाने के लिए लाइन लगी हुई है और सड़क पर दूर-दूर तक सिर्फ़ गाड़ियां फंसी नज़र आ रही हैं. हम सुबह थोड़ी दूर पैदल चलकर बच्चों को नाश्ता कराने लेकर गए, लेकिन अब पता चला कि गैस भी कम हो गई है. रास्ते में फिसलन होने के कारण अब गाड़ी भी बाहर नहीं निकल सकती और हम लोग भी अब कहीं बाहर नहीं निकल सकते."
शुक्रवार रात को अपने गृहनगर बेरूट जा रहे रेहान अब्बासी ने बताया कि वह कल शाम छह बजे से बर्फ़ में फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा, "मैं अभी तक बर्फ़ में फंसा हुआ हूं. लोगों की गाड़ियों में ईंधन ख़त्म हो गया है. यहां बहुत ज़्यादा ठंड है. मैंने अपनी कार में समय ऐसे बिताया है मानो मैं बर्फ़ की क़ब्र में धंसा हुआ हूं. मेरी क़िस्मत अच्छी थी कि मैं बच गया हूं."
मरी के रहने वाले मेहताब अब्बासी का कहना है कि मैंने अपने पूरे जीवन में बर्फ़बारी के दौरान कभी भी ऐसी स्थिति नहीं देखी. उन्होंने बताया कि इस समय वह सनी बैंक में मेन हाईवे पर मौजूद हैं, जबकि उनकी गाड़ी शनिवार से गिल्डना से दो किलोमीटर पीछे फंसी हुई है. उन्होंने बताया, "शुक्रवार सुबह 11.30 बजे जब वे बाड़या से निकले तो बर्फ़बारी शुरू हो चुकी थी. बर्फ़बारी दोपहर 12 बजे से शुरू हुई. मैं ट्रैफिक में फंस गया तो गिल्डना से दो किलोमीटर पीछे ही गाड़ी से उतर कर पैदल चलने लगा. सुबह छह बजे के बाद बर्फ़बारी रुक गई है और अब हल्की हल्की धूप निकल गई है."
मेहताब कहते हैं कि रात में तो प्रशासन कहीं नज़र नहीं आ रहा था, लेकिन अब राहतकर्मी पैदल चलकर वाहनों में फंसे पर्यटकों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. मेहताब कहते हैं कि मुख्य क्षेत्रों में होटल खुल गए हैं, लेकिन भारी ट्रैफ़िक के कारण पर्यटक ऐसी जगहों पर हैं जहां से उनका होटलों तक पहुंचना मुश्किल है. उन्होंने बताया कि "इस समय मशीनरी को आगे-पीछे करने में भी दिक्कत हो रही है. सनी बैंक पर हाईवे की एक गाड़ी फंसी हुई है और दो मशीनें उससे आगे फंसी हुई हैं." वो कहते हैं कि मरी में फिलहाल बिजली नहीं है और कुछ जगहों पर बिजली के तार भी टूट गए हैं.
राहत और बचाव कार्य में शामिल एक स्थानीय व्यक्ति ने बीबीसी संवादाता फ़रहत जावेद को बताया कि स्थानीय लोगों ने पर्यटकों को अपने घरों में ठहराया है, जबकि लोगों को होटलों के साथ-साथ दफ़्तर-ए-इस्लाम अकादमी में भी ठहराया जा रहा है.
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स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि रात में प्रशासन का पूरा ध्यान इस पर्यटन स्थल पर रहा. गिल्डना का ज़्यादातर इलाक़ा जंगलों से भरा है. प्रशासन शनिवार सवेरे यहां तक पहुंचा. मैं ख़ुद यहीं मौजूद हूं. स्थानीय लोग वोलिंटियर के तौर पर प्रशासन के साथ मिलकर पर्यटकों की मदद कर रहे हैं. पत्रकार ज़ुबैर ख़ान के मुताबिक़, मरी रोड के आसपास के इलाक़े में राहत कार्य में लगे एक व्यक्ति गुल हसन ने कहा कि कुछ गाड़ियां ऐसी हैं जिन पर दस्तक दने पर वहां से कोई जवाब नहीं मिल रहा. वो कहते हैं, "कुछ गाड़ियों पर दस्तक दे रहे हैं, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिलता. मैंने ऐसी दो गाड़ियों की पहचान की है और अधिकारियों को सूचित किया है."
राहत कार्य में शामिल एक और व्यक्ति मोहम्मद मोहसिन का कहना है कि "मुझे लगता है कि जो स्थिति बताई जा रही है असल में हालात उससे भी बदतर हैं." उनका कहना है कि "राहत कर्मी शनिवार सवेरे से यात्रियों की मदद में लगे हुए हैं और उनके साथ स्थानीय लोग भी बर्फ़ में फंसे लोगों को बाहर निकाल रहे हैं. हमें लगता है कि ये बहुत कम हैं, हमें राहत प्रयासों में बहुत तेज़ी लाने की ज़रूरत है."
'पहली बार सुन रहे हैं कि मरी में इतने लोग मारे गए'
मरी में एक होटल के मालिक काज़िम अब्बासी ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने कल ही दस परिवारों के ठहरने की व्यवस्था की थी, लेकिन सुबह उन्हें रोकने के बावजूद वो होटल छोड़ कर चले गए. उनका कहना है कि शाम 5 बजे से फिर बर्फ़बारी शुरू हो जाएगी. वो कहते हैं कि पहले ही यहां पांच फ़ीट तक बर्फ़ गिर चुकी है और जो दूरी पहले पैदल चल कर 10 मिनट में तय हो जाती थी अब उसमें दो घंटे लगते हैं. और फिर गाड़ी चलने का तो कोई सवाल ही नहीं है.
वो कहते हैं, "पहले से ही पता था कि भारी बर्फ़बारी होगी और हमने अपने सोशल मीडिया पन्नों पर पर्यटकों से अपील भी की थी कि अगर मरी आना है तो रविवार या सोमवार को आएं. लेकिन अब भी हम सुन रहे हैं कि लोग टोल प्लाज़ा से पैदल मरी आने की कोशिश कर रहे हैं." राहत प्रयासों का ज़िक्र करते हुए काज़िम ने कहा, "एक ही समाधान है कि जो भी एजेंसियां काम कर रही हैं, वो फावड़ा चलाने वाले लोगों को लेकर आएं." काज़िम के अनुसार इससे पहले जब भी मरी में बर्फ़बारी हुई "तहसील म्यूनिसिपल कमेटी के फावड़ा चलाने वाले लोग होते जो शहर को साफ करते थे. उनके साथ हाइवे वाले काम करते थे और जमी बर्फ हटाया करते थे."
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काज़िम का कहना है कि तीन साल पहले भी यहां ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई थी, जब काफी बर्फ गिरी थी लेकिन उस वक्त मरी में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई थी. वो कहते हैं कि उस वक्त एजेंसियों ने मौसम का मुक़ाबला करने के लिए पहले से एहतियाती उपाय कर लिए थे. काज़िम अब्बासी कहते हैं, "जब भी मरी में बर्फ़बारी होती है, छीका गली, माल रोड, जीपीओ चौक, गिल्डना, कार्ट रोड (सनी बैंक से बस स्टैंड की तरफ जाने वाला रास्ता) पर यहां की अपनी मशीनें होती थीं. लेकिन इस बार पहले से कोई बचाव उपाय नहीं दिखाई दिए. ये पहली बार है जब हम सुन रहे हैं कि मरी में बर्फबारी में इतने लोग मारे गए हैं."
भारी बर्फ़बरी में फंस जाएं तो क्या करें?
दुनियाभर में कई देशों में बर्फ़ गिरने से पहले लोगों के लिए चेतावनी जारी की जाती है. लोगों से कहा जाता है कि मौसम ख़राब हो सकता है इसलिए लोग घरों पर रहें, लेकिन मरी में अलर्ट जारी करने में बहुत देरी हुई. पर्यावरणविद तौफ़ीक़ पाशा मेराज ने बीबीसी संवाददाता सहर बलोच से कहा कि बर्फ़बारी की स्थिति में प्रशासन को सबसे पहले मरी जाने वाले रास्तों को बंद करना चाहिए था. पाशा कुछ एहतियाती उपाय बताते हैं जिन पर अमल करने से बर्फ़ में फंसे पर्यटक और ज़्यादा नुक़सान से बच सकते हैं. - अगर कभी ऐसी स्थिति हो और आप अपने बच्चों या परिवार के साथ गाड़ियों में फंस जाएं, तो मदद आने तक पेट्रोल या डीज़ल बचाने के लिए वो गाड़ियों को बंद कर दें. - गाड़ी को किसी की मदद से सड़क के किनारे पार्क करें, न कि सड़क के बीच में. टायरों पर लोहे की जंज़ीर लगा दें और हो सके तो गाड़ी को गर्म रखने के लिए हीटर न चलाएं. - लोगों से भरी हुई गाड़ी में लोग हीटर ऑन कर देते हैं, जिससे गाड़ी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और दम घुटने की संभावना बढ़ जाती है. लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है. अगर एक गाड़ी में दो या तीन लोग हैं, तो इंसान की गर्मी से गाड़ी अंदर से गर्म रहेगी.
- किसी भी स्थिति में अपनी कार को छोड़ कर पैदल न चलें, क्योंकि आप जहां खड़े हैं उससे आगे कैसा मौसम है इसका आप अनुमान नहीं लगा सकते. सड़क पर अकेले खुले में फंसने से गाड़ी के भीतर बैठना कहीं ज़्यादा बेहतर उपाय है.
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