अनवर इब्राहिम या मुहिद्दीन यासिन, कौन होगा मलेशिया का नया प्रधानमंत्री? क्या लागू होगा शरिया कानून?
देश में कट्टर इस्लामिक पार्टी से मिलकर बने गठबंधन ने अब पुरानी मलय हितों की राजनीति करने वाली पार्टियों की जगह ले ली है।
मलेशिया के राजनीतिक इतिहास में पहली बार आम चुनावों ने त्रिशंकु संसद का निर्माण किया है। हैरानी की बात यह है कि देश के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले महातिर मोहम्मद को अपनी सीट गंवानी पड़ी है। 97 साल की उम्र में महातिर का चुनाव लड़ने का फैसला भी कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था। इस चुनाव में विपक्षी दलों का नेतृत्व अनवर इब्राहिम कर रहे थे, जबकि उनके सामने पूर्व पीएम मुहयिदीन यासिन की अगुवाई वाला गठबंधन था। दोनों के बीच कांटे का मुकाबला तो हुआ, लेकिन किसी को भी इतनी सीटें नहीं मिली हैं कि सरकार बना सके।
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पाकटन हरपन रही सबसे बड़ी पार्टी
विपक्ष के नेता, अनवर इब्राहिम के पाकटन हरपन (PH) ने 222 सदस्यीय विधानसभा में सबसे अधिक 82 सीटें हासिल की हैं। हालांकि, उनकी पार्टी बहुमत से पीछे रह गई। पूर्व प्रधानमंत्री मुहीदीन यासिन की मलय स्थित पेरिकटन नैशनल (पीएन) 73 सीटें हासिल हुई हैं। वहीं, प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकोब की पार्टी को 30 सीटें मिली हैं। जैसा कि परिणाम बता रहे हैं सत्तारूढ़ यूनाइटेड मलयेज नेशनल ऑर्गेनाइजेशन को जनता ने बुरी तरह से नकार दिया है। दशकों से मलेशियाई राजनीति पर राज करने वाली पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका बताया जा रहा है।
मलेशिया में बनेगी गठबंधन की सरकार
राजनीतिक दलों को अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों को प्रस्तुत करने के लिए मंगलवार (22 नवंबर) तक का समय दिया गया है, क्योंकि शाही महल ने त्रिशंकु संसद बनने के बाद विपक्षी प्रतिद्वंद्वियों मुहीदीन यासीन और अनवर इब्राहिम के लिए समय सीमा बढ़ा दी है। वहीं, अनवर इब्राहिम और पूर्व प्रधानमंत्री मुहीदीन यासिन दोनों ने कहा कि वे अन्य दलों के समर्थन से सरकार बना सकते हैं। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि मलेशिया में एक गठबंधन सरकार बनने जा रही है जिसमें मुहयिद्दीन का ब्लॉक, इस्माइल साबरी की पार्टी और एक अन्य ग्रुप मिलकर सरकार बना सकते हैं।
किंगमेकर की भूमिका में छोटे दल
चूंकि किसी भी राजनीतिक दल ने सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें हासिल नहीं की हैं, इसका मतलब यह है कि छोटे दल अब किंगमेकर की भूमिका निभाने की स्थिति में होंगे। इस्माइल साबरी के बीएन गठबंधन को 30 सीटें मिलीं, उन्होंने कहा कि उन्होंने निर्णय को स्वीकार कर लिया है, हालांकि उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी एक स्थिर सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि अनवर इब्राहिम का गठबंधन सोमवार सुबह बैरिसन नैशनल गठबंधन के साथ बैठक कर रहा था।
किंग से किंग मेकर बने पीएम साबरी
यह दिलचस्प चीज है कि पीएम साबरी के सत्तारूढ़ बीएन गठबंधन को भले ही सिर्फ 30 सीटें मिली हों, लेकिन उसके पास सत्ता की कुंजी है क्योंकि कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई है। इससे पहले बीते महीने एक इंटरव्यू में इब्राहिम ने मुहयिद्दीन और इस्माइल के साथ यह कहकर गठबंधन करने से इंकार कर दिया था कि उन दोनों के साथ उनके मूलभूत मतभेद हैं। मुहयिद्दीन और इस्माइल दोनों ही मलय लोगों के हितों को प्राथमिकता देते हैं, वहीं अनवर बहुसांस्कृतिक प्रणाली के समर्थक हैं।
यासीन मुहिद्दीन बन सकते हैं पीएम
गठबंधन को सरकार बनाने के लिए कम से कम 112 सीटों की जरूरत होगी। मलेशियाई राजा सुल्तान अब्दुल्ला सुल्तान अहमद शाह ने राजनीतिक दलों को अपने पीएम उम्मीदवारों की घोषणा करने के लिए 24 घंटे का समय दिया है। निक्केई एशिया ने बताया, "किंग ने लोगों से नई सरकार के गठन और 10वें प्रधानमंत्री का नामकरण पूरा होने तक धैर्य और शांत रहने का आह्वान किया है।" यासीन मुहिद्दीन, जिनकी पार्टी पीएन ने 73 सीटें जीतीं, ने दावा किया कि उन्हें बोर्नियो पार्टियों का समर्थन प्राप्त है जिन्होंने कुलमिलाकर 28 सीटें जीतीं हैं। बोर्नियों पार्टियां मलय हित की राजनीति करती हैं और देश में शरिया कानून लाने की बात करती हैं।
मलेशिया में लागू होगा शरिया कानून?
मलेशिया में धर्म और नस्ल एक निर्णायक मुद्दा है जहां ज्यादातर मुस्लिम मलय हैं। इनकी आबादी मलेशिया की जनसंख्या का दो तिहाई है। ऐसे में मलय समुदाय की राजनीति कर अबतक एक ही गठबंधन आजादी के बाद से मलेशिया में सरकार चला रहा था। हालांकि इस गठबंधन की हार का मतलब ये नहीं है कि मलेशिया अब इन सबसे उपर उठ गया है। दरअसल मलेशिया में कट्टर इस्लामिक पार्टी से मिलकर बने गठबंधन ने अब पुरानी मलय हितों की राजनीति करने वाली पार्टियों की जगह ले ली है। मलेशिया में चीनी और भारतीय मूल के लोग भी हैं लेकिन वे अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में इन्हें कम ही पार्टियां भाव देती हैं। अनवर इब्राहिम के पीएम बनने से इनके हित जुड़े हुए हैं।
महातिर मोहम्मद को मिली बुरी हार
इसके साथ ही मलेशिया के सबसे अनुभवी नेता महातिर मोहम्मद को 53 सालों में अपनी पहली चुनावी हार का सामना करना पड़ा है। वे अपनी पारंपरिक सीट लैंगकावी के हॉलीडे रिसॉर्ट द्वीप गंवा बैठे हैं। यहां पर वे न सिर्फ हारे हैं बल्कि चौथे नंबर पर रहे हैं और उनकी जमानत तक जब्त हो गई है। यही नहीं महातिर मोहम्मद की पार्टी पेजुआंग को एक भी सीट नहीं मिली है। महातिर मोहम्मद 1981 से लेकर साल 2003 तक 22 साल मलेशिया के प्रधानमंत्री रहे थे। इसके बाद उन्होंने संन्यास का ऐलान कर दिया था। 92 साल की उम्र में 2018 में वह फिर से राजनीति में आए थे।
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