चीन से फैक्ट्रियों को छीनकर लाया जाएगा भारत, मेगा प्रोजेक्ट पर मोदी सरकार खर्च करेगी 1.2 ट्रिलियन डॉलर
भारत के लिए अपनी रुकी हुई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को फाइनल करने के लिए टेक्नोलॉजी के जरिए लालफीताशाही को कम करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि, भारत में अभी भी कई सौ परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं।
बीजिंग/वॉशिंगटन, अक्टूबर 03: भारत में अभी जितने भी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उनमें से आधी से ज्यादा परियोजनाएं आधी देरी से चल रही हैं और हर चार में एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की लागत, अनुमानित बजट की सीमा से काफी आगे निकल गई हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि, इन बारहमासी और कुख्यात बाधाओं को दूर करने का एकमात्र उपाय टेक्नोलॉजी है। लिहाजा, प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर भारत सरकार एक मेगा प्रोजेक्ट लॉन्च करने जा रही है, जिसके तहत भारत सरकार के 16 मंत्रालयों को एक साथ जोड़ा जाएगा और हर प्रोजेक्ट को तय समय सीमा के भीतर फाइनल किया जाएगा और इस प्रोजेक्ट का असल मकसद चीन से विदेशी कंपनियों को खींचकर भारत में लाना है।
100 लाख करोड़ खर्च करेगी सरकार
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार अपने इस मेगा प्रोजेक्ट पर 1.2 ट्रिलियन डॉलर यानि करीब 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी और इस प्रोजेक्ट का नाम 'PM गति शक्ति' रखा गया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी प्रशासन एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा है, जो 16 मंत्रालयों को एक साथ जोड़ता है। इस पोर्टल के जरिए निवेशकों और कंपनियों को एक ही छतरी के नीचे सारी समस्याओं का समाधान होगा और उन्हें प्रोजेक्ट्स के लिए स्वीकृति के साथ साथ प्रोजेक्ट डिजाइन, प्रोजेक्ट के लिए लागत का आशान अनुमान और निर्बाध गति मिल एक ही प्लेटफॉर्म से मिल सकेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में लॉजिस्टिक्स के विशेष सचिव अमृत लाल मीणा ने नई दिल्ली में एक इंटरव्यू में कहा कि, "इस मिशन का उद्येश्य समय से अधिक और लागत में वृद्धि के बिना परियोजनाओं को लागू करना है।" उन्होंने कहा कि, "ग्लोबल कंपनियां भारत को अपने मैन्यूफैक्चरिंग के लिए एक मुख्य केन्द्र के रूप में चुन रही हैं, लिहाजा उन्हें हर तरह की सुविधाएं पहुंचाना सरकार का प्रमुख उद्येश्य है।"
चीन से मुकाबला करने की तैयारी
फास्ट-ट्रैकिंग परियोजनाएं भारत को काफी ज्यादा फायदा दे सकती है और बाजार विशेषज्ञों का लंबे समय से कहना रहा है, कि भारत सरकार वैश्विक स्थितियों के मद्देनजर वैश्विक कंपनियों को भारत में लाने में अभी तक नाकाम रही हैं। लेकिन, मोदी सरकार का ये मेगा प्रोजेक्ट विदेशी कंपनियों को भारत में अपना व्यापार करने के लिए विशेष अवसर पैदा करेगा। चीन अभी भी बाहरी दुनिया के लिए काफी हद तक बंद है और कंपनियां तेजी से चीन-प्लस-वन नीति अपना रही हैं, जिसके तहत विदेशी कंपनियां चीन के बाहर अपना भविष्य तलाश रही हैं, क्योंकि आने वाले वक्त में तेजी से बदलती वैश्विक राजनीति को देखते हुए विदेशी कंपनियों को लगता है, कि आने वाले वक्त में उनके लिए चीन से कारोबार करना काफी मुश्किल होने वाला है।
भारत की तरफ देखती कंपनियां
खासकर अगर ताइवान पर चीन हमला करता है, तो फिर चीन पर सख्त पश्चिमी प्रतिबंध लगेंगे और ऐसे में उनके लिए चीन से व्यापार करना असंभव हो जाएगा। लिहाजा, ज्यादातर कंपनियां भारत की तरफ देख रही हैं, ऐसे में उन कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अगर भारत सरकार अपने प्रोजेक्ट्स लॉन्च करती है, तो निश्चित तौर पर उसका फायदा मिलेगा। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत, न केवल सस्ते श्रम की पेशकश करती है, बल्कि बड़े पैमाने पर अंग्रेजी बोलने वाले श्रमिकों का एक प्रतिभा पूल भी प्रदान करती है,लेकिन, अभी भी अधूरा और अल्पविकसित इन्फ्रास्ट्रक्चर कई निवेशकों और कंपनियों का दिल भारत से तोड़ती है।
प्रतिस्पर्धी बाजार बनाने की जरूरत
केर्नी इंडिया के पार्टनर अंशुमान सिन्हा ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा कि, "चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने का एकमात्र तरीका है, कि जितना संभव हो भारत को उतना प्रतिस्पर्धी बनाया जाए और इस तथ्य पर कम ध्यान दिया जाए, कि वैश्विक राजनीति से कंपनियां ऑटोमेटिक चीन से बाहर निकलेंगी। उन्होंने इसके लिए बुनियादी इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेज विकास लाने की दिशा में ध्यान देने की वकालत की और उन्होंने मोदी सरकार के मेगा प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि, "गति शक्ति देश की लंबाई और चौड़ाई में माल और निर्मित घटकों के प्रवाह को आसान बनाने के बारे में है।" इस मेगा प्रोजेक्ट का प्रमुख स्तंभ उन उत्पादन समूहों की पहचान करना है, जो आज भारत में मौजूद नहीं है और ऐसे उत्पादन समूहों की पहचान कर उन्हें देश के रेलवे नेटवर्क, बंदरगाहों और हवाई अड्डों से निर्बाध रूप से जोड़ा जाना मकसद है। अंशुमान सिन्हा ने कहा कि, "यदि आप गति शक्ति की परतों को टटोलते हैं, तो यह नोड्स की पहचान करने और उन नोड्स को जोड़ने वाले लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को मजबूत करना इसका मुख्य मकसद है।"
क्या लालफीताशाही हो पाएगा कम?
भारत के लिए अपनी रुकी हुई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को फाइनल करने के लिए टेक्नोलॉजी के जरिए लालफीताशाही को कम करना महत्वपूर्ण है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में लॉजिस्टिक्स के विशेष सचिव अमृत लाल मीणा के मुताबिक, वर्तमान में गति शक्ति के पोर्टल की देखरेख वाली 1,300 परियोजनाओं में से लगभग 40% भूमि अधिग्रहण, वन और पर्यावरण मंजूरी से संबंधित मुद्दों के कारण लंबित पड़े हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप लागत में वृद्धि हुई है। कम से कम 422 परियोजनाएं छोटी छोटी वजहों से रूके हुए थे और पोर्टल ने उनमें से सिर्फ 200 में समस्याओं का ही समाधान किया है। लेकिन, पीएम गति शक्ति योजना के मुताबित, सरकार रूकी हुई परियोजनाएं की क्या दिक्कत हैं, उसे सुलझाने के लिए इस प्लेटफॉर्म का उपयोग करेगी। भारत में निवेश को बढ़ावा देने वाली एक सरकारी एजेंसी के अनुसार, सरकार टेक्नोलॉजी के जरिए ये भी सुनिश्चित करेगी, कि फोन केबल लाइन बिछाने के लिए या गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए नई निर्नित सड़क को फिर से नहीं खोदा जाए। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार अब उस योजना पर काम करेगी, जो यूरोप ने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद तेज विकास के लिए किया था, या फिर चीन ने 1980 से 2010 के बीच जिस योजना को अपने तेज विकास के लिए अपनाया था।
निवेश लाने के लिए सरकार का संकल्प
पीएम मोदी ने पिछले साल एक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए एक भाषण में कहा था कि, "आज का भारत आधुनिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए अधिक से अधिक निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठा रहा है, कि परियोजनाओं को बाधाओं का सामना न करना पड़े और देरी न हो।" उन्होंने कहा था कि, "कई आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने और बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा होना महत्वपूर्ण है। आधुनिक बुनियादी ढांचे के बिना भारत में सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता।
भारत में प्रोजेक्ट्स की कछुआ रफ्तार
भारत सरकार के सांख्यिकी विभाग के मुताकि, कोविड महामारी के बाद जब पूरी दुनिया तेज रफ्तार से अपनी अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने की कोशिश कर रही है, उस वक्त मई महीने तक भारत के पास 1568 परियोजनाएं थीं, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है, कि उनमें से 721 परियोजनाएं लंबित पड़ी हुई हैं, जबकि 423 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिसका खर्च प्रोजेक्ट शुरू करते वक्त लगाए गये अनुमान से काफी ज्यादा आगे जा चुकी है, जिससे समय के साथ साथ प्रोजेक्ट्स को भारी नुकसान पहुंचा है। 2014 में सत्ता में आने के बाद से पीएम मोदी नई नौकरियों के सृजन के लिए बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ा रहे हैं और एक ऐसी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जो कोविड -19 संक्रमण की आक्रामक लहर से प्रभावित थी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, Apple Inc. अब चीन से बाहर निकलकर पहली बार भारत में iPhone 14 का निर्माण शुरू कर चुकी है, जबकि सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ने 2018 में देश में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन फैक्ट्री खोली है। घरेलू ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेट ने दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक स्कूटर फैक्ट्री भारत में बनाने का संकल्प लिया है।
बढ़ाना ही होगा इन्फ्रास्ट्रक्टर
मीना ने कहा कि, फर्स्ट एंड लास्ट माइल कनेक्टिविटी के जरिए भारत सरकार बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में जो ज्यादा वक्त लगा है, उस अंतराल को पाटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि, सरकार 196 परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रही है, ताकि कोयले, स्टील और भोजन की आवाजाही के लिए अंतराल को दूर किया जा सके और बंदरगाह संपर्क बढ़ाया जा सके। सड़क परिवहन मंत्रालय सरकार की 106 अरब डॉलर की भारतमाला योजना के तहत 2022 तक 83,677 किलोमीटर (52,005 मील) सड़कों के निर्माण के लिए 11 ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को डिजाइन करने के लिए पोर्टल का उपयोग कर रहा है। मीणा ने कहा कि, "मॉडर्न वेयरहाउसिंग, डिजिटलीकरण प्रोसेस, कुशल जनशक्ति और रसद लागत में कमी पर और ध्यान दिया जा रहा है।" उन्होंने उम्मीद जताई, कि बहुत जल्द "किसी भी निर्माता के लिए, भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब के सतौर पर चुनना एक बेहतरीन फैसला होने वाला है।"
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