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मॉडर्ना बनाएगा बूस्टर डोज, जानिए ओमिक्रॉन वेरिएंट से कितनी लड़ पाएंगी इंडियन वैक्सीन?

कोरोना वायरस के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर मॉडर्ना ने बूस्टर डोज बनाने का दावा किया है, ऐसे में सवाल ये हैं, कि भारतीय वैक्सीन इस नये वेरिएंट के खिलाफ कितना कारगर साबित होगीं?

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नई दिल्ली, नवंबर 27: कोरोना वायरस के नए म्यूटेंट से एकबार फिर खलबली मच गई है। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि वायरस का यह रूप बेहद खतरनाक है। दुनिया में बड़े पैमाने पर वैक्सीन प्रोग्राम चल रहा है। ऐसे में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वर्तमान में इस्तेमाल की जा रहीं वैक्सीन वायरस के इस वेरिएंट को रोक पाने में कारगर साबित होंगी? इस बीच अमेरिकन फार्मास्युटिकल कंपनी मॉडर्ना ने कहा कि वह बूस्टर डोज को विकसित करेगी। यह बूस्टर डोज ओमिक्रॉन वेरिएंट से लड़ने में सक्षम होगा।

वेरिएंट के खिलाफ मॉडर्ना का प्लान

वेरिएंट के खिलाफ मॉडर्ना का प्लान

ओमिक्रॉन वेरिएंट से लड़ने के लिए मॉडर्ना ने तीन अलग-अलग प्लान बनाया है। वैक्सीनेटेड लोगों को बूस्टर डोज इसमें से एक प्लान है। कंपनी के सीईओ स्टीफन बंसल ने कहा कि जब से ओमिक्रॉन वेरिएंट सामने आया है, कंपनी इस वेरिएंट से लड़ने की योजना पर काम कर रही है। ऐसे में हमारी मेडिकल टीम ने मिलकर यह फैसला लिया है कि बूस्टर डोज को लगाया जाएगा। बता दें कि मॉडर्ना के अलावा जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर ने भी इस वेरिएंट से लड़ने का अपना प्लान पेश किया है।

तेजी से फैलता है B.1.1.529 वेरिएंट

तेजी से फैलता है B.1.1.529 वेरिएंट

कोरोना का नया वेरिएंट अफ्रीकी देश में पाया गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायरस का B.1.1.529 वेरिएंट तेजी से फैलता है, और ये वेरिएंट चिंता बढ़ाने वाला है। इधर अमेरिकन प्रशासन ने आठ अफ्रीकन देशों के साथ किसी तरह के संपर्क को रोक दिया है। बूस्टर डोज को लेकर मॉडर्ना ने कहा कि वह अभी स्वस्थ लोगों पर बूस्टर डोज की टेस्टिंग कर रही है. यह डोज उन युवाओं को दी जा रही है जिन्हें वैक्सीन की कंप्लीट डोज दी जा चुकी है।

कोरोना का नया वेरिएंट और भारत

कोरोना का नया वेरिएंट और भारत

भारत में 121 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी है। इनमें से 78 लाख लोगों को एक डोज और 43 लाख लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा चुकी है। अपने देश में ज्यादातर लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई गई है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड कोरोना के नए वेरिएंट से लड़ने में कितना कारगर है? अगर यह कारगर नहीं है तो ऐसे में सरकार का क्या प्लान है, इन तमाम संभावनाओं के बीच पीएम मोदी कोरोना के नए वेरिएंट से लड़ने के लिए हाई लेवल बैठक कर रहे है।

डेल्टा वेरिएंट में कारगर रहा था दोनों वैक्सीन

डेल्टा वेरिएंट में कारगर रहा था दोनों वैक्सीन

ओमिक्रॉन वेरिएंट से पहले कोरोना का डेल्टा वेरिएंट सामने आया था. कोविशील्ड और कोवैक्सीन इस वेरिएंट से लड़ने में काफी असरदार रहा था. एक अन्य स्टडी के मुताबिक, कोविशील्ड और कोवैक्सीन के दोनों डोज के बीच जब 6-8 सप्ताह का गैप रखा जाता है तब यह ज्यादा कारगर होता है. मेडिकल रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि दोनों वैक्सीन डेल्टा और दूसरे वेरिएंट के खिलाफ बहुत असरदार है. हालांकि वायरस के दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट के खिलाफ यह कितना असरदार है इसको लेकर वर्तमान में कोई रिपोर्ट नहीं है। लेकिन, भारतीय वैक्सीन्स को लेकर एक्सपर्ट्स का दावा रहा है कि, ये वेरिएंट को रोकने में कारगर साबित हो सकता है। लिहाजा, भारतीय वैक्सीन को लेकर अभी प्रयोग किया जाना बाकी है।

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English summary
Moderna has claimed to have made a booster dose regarding the new variant of the corona virus, Omicron, so the question is, how effective will the Indian vaccine prove to be against this new variant?
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