पाकिस्तान में चार सालों में 42 पत्रकारों की हत्या, पत्रकारिता के लिए बना सबसे खतरनाक देश
पाकिस्तान के अलावा पत्रकारिता के लिए खतरनाक देशों में अफगानिस्तान, म्यांमार और चीन जैसे देश शामिल हैं, जहां पत्रकारों पर सरकार का हंटर चलता रहता है।
Pakistan Journalist: पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया है, जो पत्रकारों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक हो गया है। अफगानिस्तान और चीन की तरह ही पाकिस्तान में पत्रकारिता करना जानलेवा बन गया है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि पाकिस्तान के संसदीय मामलों के मंत्री मुर्तजा जावेद अब्बासी ने शुक्रवार को सीनेट को सूचित किया है, कि पिछले चार सालों में पाकिस्तान में 42 पत्रकार मारे गए हैं।
पाकिस्तान में पत्रकारिता जानलेवा
पाकिस्तान के सूचना मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान में जिन पत्रकारों की हत्या की गई है, उनमें 15 पत्रकारों की हत्या पंजाब प्रांत में, 11 पत्रकारों की हत्या सिंध प्रांत में, 13 पत्रकारों की हत्या खैबर पख्तूनख्वा में और तीन पत्रकारों की हत्या बलूचिस्तान में की गई है। पाकिस्तानी मंत्रालय ने कहा है, कि आतंकवादियों ने पत्रकारों को या तो गोली मार कर हत्या कर दी, या फिर उन्हें अलग अलग जगहों पर निशाना बनाकर मारा गया।
कितने आरोपियों पर कार्रवाई
आंकड़ों से पता चलता है, कि पत्रकारों को निशाना बनाने बनाने के मामलों में पंजाब सूबे में सात संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से दो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। गिरफ्तार किए गए सात में से पांच पर मुकदमा चल रहा है जबकि आठ संदिग्ध फरार हैं। एक आरोपी को कोर्ट ने रिहा कर दिया है। वहीं, सिंध में चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि सात पर मुकदमा चल रहा है। वहीं, केपी में दो संदिग्धों को बरी कर दिया गया, चार मुकदमे का सामना कर रहे हैं और एक संदिग्ध फरार है। बलूचिस्तान में दो संदिग्ध भाग निकले, जबकि एक मुकदमे का सामना कर रहा है, एक संदिग्ध को सजा सुनाई गई और दूसरा जांच का सामना कर रहा है।
पत्रकारों की सुरक्षा में सरकार फेल
सीनेट में बोलते हुए, जमात-ए-इस्लामी पार्टी के मुश्ताक अहमद ने कहा, कि संघीय और प्रांतीय सरकारें पत्रकारों की सुरक्षा करने में विफल रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर अपराधी पकड़े गए होते, तो "अरशद शरीफ शहीद नहीं होते।" आपको बता दें कि, पिछले दिनों पाकिस्तान के चर्चित पत्रकार अरशद शरीफ की केन्या में गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिसके लिए इमरान खान ने पाकिस्तान की सेना को खुले तौर पर जिम्मेदार ठहराय था। हालांकि, पत्रकारों की हत्या की इस रिपोर्ट पर सवाल भी उठाए गये हैं। बलूचिस्तान अवामी पार्टी के सीनेटर दानेश कुमार ने दावा किया है, कि दस्तावेजों में दिखाया गया है, कि बलूचिस्तान में 3 पत्रकारों की हत्या की गई है, जबकि बलूचिस्तान में 10 पत्रकारों की हत्या की गई है और सरकार ने आंकड़े को छिपाया है। वहीं, संसदीय मामलों के मंत्री ने अपने जवाब में कहा, कि रिपोर्ट सभी संबंधित हलकों से विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई है और अगर किसी ने गलत आंकड़ा दिया है, तो उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक संवेदनशील मामला है।
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