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ISRO करेगा धमाकेदार अंदाज में स्पेस प्रोग्राम की शुरूआत, मिशन-2022 का अमेरिकी मीडिया बना दीवाना

वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 2 प्रतिशत है, लिहाजा ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के लिए भारत एक नये खिलाड़ी जैसा जरूर है, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने टेक्नोलॉजी को लेकर जो विस्तार किया है...

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वॉशिंगटन, जनवरी 10: नये साल की शुरूआत के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम का दीवाना अमेरिकी मीडिया हो चुका है और साल 2022 में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की तारीफ में कसीदे बढ़ रहा है। इस साल भारतीय स्पेस एजेंसी धमाकेदार अंदाज में अंतरिक्ष कार्यक्रमों का आगाज करने जा रहा है और अगर भारत को कामयाबी मिलती है, तो विश्व कि क्षितिज पर भारत का परचन लहरा जाएगा। अमेरिकी मीडिया ने साल 2022 के भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम को लेकर विशेष रिपोर्ट पेश की है और कहा है कि, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने नये साल पर धमाकेदार वापसी की है।

भारत का धमाकेदार अंतरिक्ष प्रोग्राम

भारत का धमाकेदार अंतरिक्ष प्रोग्राम

साल 2021 भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए मिली जुली उपलब्धियों वाला रहा है और इसरो का मुख्य फोकस अलग अलग देशों के सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में लॉंच करने के साथ साथ कई कार्यक्रमों को गति देना रहा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुखिया के. सिवन इस बात को स्वीकार भी करते हैं, कि उन्हें साल 2022 को लेकर काफी ज्यादा उम्मीदे हैं, क्योंकि इस साल भारत कई ऐसे मिशनों को अंजाम देने जा रहा है, जो ऐतिहासिक होने वाले हैं और जिन कार्यक्रमों का लोहा पूरी दुनिया मानेगा। इसरो के प्रमुख के सिवन ने पिछले हफ्ते एक लेख में लिखा है कि, "ऐसा महसूस होता है कि 2021 के दौरान इसरो में बहुत कम काम हुआ। यह भावना मुख्य रूप से लॉन्च की कम संख्या के कारण है।" हालांकि, उन्होंने इसरो के कर्मचारियों को ऑपरेशन मिशन और विकास में "बहुत महत्वपूर्ण योगदान" के लिए धन्यवाद दिया है।

गगनयान पर वेरी गुड न्यूज

गगनयान पर वेरी गुड न्यूज

अंतरिक्ष में भारत का सबसे महत्वाकांक्षी उपक्रम, गगनयान अब टेस्टिंग के चरण में प्रवेश कर चुका है और भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) इस साल पहला मानव रहित मिशन शुरू करने के काफी करीब पहुंच चुका है। इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि, गगनयान मिशन के लिए काम कर रही टीमें मिशन के लिए 'विकास इंजन', क्रायोजेनिक स्टेज, क्रू एस्केप सिस्टम के परीक्षण पर काम कर रही हैं। इसके साथ ही इसरो प्रमुख ने कहा कि, L110 विकास इंजन, क्रायोजेनिक स्टेज, क्रू एस्केप सिस्टम मोटर्स और सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम के लिए परीक्षण जारी हैं।

मोदी का है महत्वाकांक्षी कार्यक्रम

मोदी का है महत्वाकांक्षी कार्यक्रम

गगनयान मिशन भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का काफी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है और साल 2018 में स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि, भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर, यानि अगस्त 2022 तक भारत मिशन गगनयान को लॉंच करेगा। हालांकि, कोरोना महामारी की वजह से गगनयान मिशन कार्यक्रम में काफी देरी पहुंचा है, लेकिन उम्मीद है कि, भारत निश्चित समयसीमा पर अपने मिशन को अंजाम दे सकेगा। वहीं, इसरो प्रमुख के सिवन ने भी उम्मीद जताई है कि, समय के साथ मिशन पूरा होगा।

ISRO का 'समुद्रयान मिशन'

ISRO का 'समुद्रयान मिशन'

इन सब मिशनों के अलावा इसरो समुद्र के अंदर भी एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा, जिसमें समु्द्र के अंदर 6000 मीटर की गहराई में इसरो अपने वैज्ञानिक को भेजेगा। भारत सरकार भी संसद में इस मिशन को लेकर जानकारी दे दी है। भारत सरकार ने कहा है कि, इसरो एक डीप ओशन मिशन पर काम कर रहा। इसमें एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। इस प्रोजेक्ट का नाम 'समुद्रयान' है। उन्होंने आगे बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान ने पहले 500 मीटर पानी की गहराई रेटिंग के लिए एक मानवयुक्त पनडुब्बी प्रणाली को विकसित कर उसका परीक्षण किया था।

कितना आ रहा खर्च?

कितना आ रहा खर्च?

भारत सरकार के मुताबिक अक्टूबर 2021 में हल्के स्टील का निर्मित पनडुब्बी को 600 मीटर गहराई तक भेजा गया। इसका व्यास 2.1 मीटर था, जो मानवयुक्त है। इसे 6000 मीटर गहराई के लिए विकसित करने पर काम किया जा रहा है, जिसमें टाइटेनियम का इस्तेमाल होगा। साथ ही इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो, तिरुवनंतपुरम का सहयोग है। इस प्रोजेक्ट पर 4100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि इसके लिए 2024 तक का लक्ष्य रखा गया है।

इसरो के पाइपलाइन में ये हैं मिशन

इसरो के पाइपलाइन में ये हैं मिशन

गगनयान के अलावा इसरो आदित्य एल-1 मिशन पर भी तेजी से काम कर रहा है। इसके अलावा इसरो ने कई कार्यक्रमों को पाइपलाइन में रखा हुआ है, जो काफी प्रमुख योजनाएं हैं जिनमें दिशा, एक जुड़वां एरोनॉमी उपग्रह मिशन, वीनस मिशन और ISROCNES, एक संयुक्त विज्ञान मिशन तृष्णा शामिल हैं। इसरो प्रमुख सिवन ने कहा कि, तृष्णा मिशन जमीन की सतह के तापमान की सटीक मैपिंग के लिए है। उन्होंने कहा, "यह मिशन विश्व स्तर पर भी सर्वोत्तम रिज़ॉल्यूशन और दोहराव पर तापमान डेटा प्रदान करने के लिए बेंचमार्क होगा।"

अंतरिक्ष सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी

अंतरिक्ष सेक्टर में भारत की हिस्सेदारी

वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 2 प्रतिशत है, लिहाजा ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के लिए भारत एक नये खिलाड़ी जैसा जरूर है, लेकिन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने टेक्नोलॉजी को लेकर जो विस्तार किया है, वो इसे विश्व के अग्रणी स्पेस एजेसियों में से एक बनाता है। संसद में भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने इसी महीने जानकारी देते हुए कहा है कि, अगले साल यानि 2022 में गगनयान मिशन से पहले इसरो दो मानवरहित मिशनों को पूरा करने वाला है और भारत सरकार की भी यही योजना है।

रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर होगा ध्यान

रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर होगा ध्यान

इसके साथ ही इसरो ने अब रिसर्च एंड डेवलपमेंट की तरफ अपना फोकस बढ़ाने की बात कही है। इसके अलावा रॉकेट और सैटेलाइट बनाने वाले निजी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए भी अगला साल अहम होने वाला है। छोटे रॉकेट निर्माता स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड और अग्निकुल कॉसमॉस 2022 के अंत तक अपने वाहनों को लॉन्च करने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि सैटेलाइट बनाने वालीसिजीजी स्पेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, जिसे आमतौर पर पिक्सेल के नाम से जाना जाता है, अगले साल किसी समय अपने उपग्रह को उड़ाने की उम्मीद है।

इसी साल आदित्य मिशन की शुरूआत!

इसी साल आदित्य मिशन की शुरूआत!

गगनयान के अलावा अगले साल इसरो आदित्य मिशन की शुरूआत भी करने वाला है। इसरो का ये एक सोलर मिशन है, जिसका पूरा नाम आदित्य सोलर मिशन है। कोरोना महामारी की वजह से इसरो के इस मिशन में काफी देरी आ चुकी है, लेकिन अगले साल इस मिशन के लॉन्च होने की संभावना है। अपने इस मिशन के तहत इसरो अपने रॉकेट को सूर्य के वायूमंडल में भेजने की कोशिश करेगा और रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो रॉकेट के जरिए अपने सैटेलाइट को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर सूर्य के वायुमंडल में भेजेगा। इसरो का ये उपग्र पृथ्वी और सूर्य के बीच एल-1 नामक प्वाइंट पर भेजा जाएगा। ये बिंदु अंतरिक्ष जगत में एक पार्किंग स्पाउट माना जाता है और अभी तक सिर्फ नासा ही अपने सैटेलाइट को यहां तक भेजने में कामयाब रहा है।

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English summary
In the year 2022, ISRO's space program is being praised in the world and this year ISRO will create history through Gaganyaan, Samudrayaan and Aditya mission.
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