बाग़ी अहवाज़ की वजह से क्यों तनी हैं ईरान-सऊदी के बीच तलवारें
इस संगठन के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है. लेकिन ईरान का कहना है कि अल-अहवाज़िया गुट को सऊदी अरब मदद करता है.
सरकारी बयान में ये बात कही भी गई है कि अहवाज़ी अरबों के दमन के जवाबी कार्रवाई में शनिवार के हमले को अंज़ाम दिया गया.
कुछ रिपोर्टों के मुताबिक़ अल-अहवाज़ नेशनल रेजिस्टेंस के नौजवान लड़ाकों ने इन हमलों को अंजाम दिया है.
ईरान के अहवाज़ शहर में शनिवार को सैन्य परेड के दौरान हुए हमलों के बाद गिरफ़्तारियों का सिलसिला जारी है.
ईरान के ख़ुफ़िया महकमे के मंत्री महमूद अलावी ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा है कि हमले के लिए ज़िम्मेदार 'संगठन के बड़े हिस्से' की गिरफ़्तारी हुई है.
मंत्रालय के हवाले से जानकारी दी गई है कि शनिवार की परेड पर हुए हमले के मामले में 22 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
एक अधिकारी के हवाले से जानाकरी दी गई है, "हथियार और संवाद के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरण जब्त किए गए हैं."
हमले के बाद ईरान ने सीधे तौर पर तो किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामनेई ने कहा है कि 'अमरीका की कठपुतलियां' ईरान में डर पैदा करने की कोशिश कर रही हैं.
ईरान अतीत में आरोप लगाता रहा है कि सऊदी अरब ईरान के अरब अल्पसंख्यकों के बीच विभाजनकारी गतिविधियों को समर्थन देता है.
जिस सैन्य परेड पर शनिवार को हमला हुआ वो ईरान के ताक़तवर रिवॉल्यूशनरी गार्ड की थी जो दरअसल मुल्क के निज़ाम की हिफ़ाजत का काम करती है.
इस बीच रिवॉल्यूशनरी गार्ड के उपप्रमुख ने शनिवार के हमले के लिए अमरीका और इसराइल पर इल्ज़ाम लगाते हुए अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने भी कहा कि हमलावरों को खाड़ी के एक देश और अमरीका का साथ हासिल था. उनका इशारा सऊदी अरब की तरफ़ था.
हालांकि अमरीका ने इस घटना की निंदा की है और ईरान के इल्ज़ाम को ख़ारिज किया है.
शनिवार को क्या हुआ था
साल 1980-88 के इराक़-ईरान युद्ध से जुड़े सालाना कार्यक्रम के मौक़े पर खुज़ेस्तान सूबे की राजधानी अहवाज़ में एक सैन्य परेड का आयोजन किया गया था.
परेड के दौरान सैन्य वर्दी पहने चार बंदूकधारियों ने हमला किया. हमलावरों के निशाने पर रिवॉल्यूशनरी गार्ड के जवान, परेड देख रहे लोग और अधिकारी थे.
इस हमले में मारे गए लोगों में कम से कम आठ रिवॉल्यूशनरी गार्ड के जवान थे. अधिकारियों ने बताया कि महिलाएं और बच्चों की भी मौत हुई है.
सोमवार को इस हमले में मारे गए लोगों का जनाजा निकला जिसमें हज़ारों लोग 'हम आख़िर तक लड़ेंगे' और 'चरमपंथ का बहिष्कार' करने वाली तख़्तियां लिए शामिल हुए.
रिवॉल्यूशनरी गार्ड
ये फ़ौज क़ानून और व्यवस्था लागू करने में मदद करती है. इसका साथ आर्मी, नौसेना और वायुसेना भी देती है.
वक़्त के साथ रिवॉल्यूशनरी गार्ड ईरान की फ़ौजी, सियासी और आर्थिक ताक़त बन गई.
माना जाता है कि रिवॉल्यूशनरी गार्ड में फ़िलहाल सवा लाख जवान हैं.
इनमें ज़मीनी जंग लड़ने वाले सैनिक, नौसैना और हवाई दस्ते हैं. ईरान के रणनीतिक हथियारों की निगरानी का काम भी इन्हीं के ज़िम्मे है.
रिवॉल्यूशनरी गार्ड की कमान ईरान के सर्वोच्च नेता के हाथ में है. सर्वोच्च नेता देश के सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर भी हैं.
हमलों के लिए ज़िम्मेदार
हालांकि ख़ुफ़िया विभाग के मंत्री महमूद अलावी ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन ईरानी अधिकारियों का मानना है कि ये हमला अहवाज़ी चरमपंथी गुट ने किया था.
खुज़ेस्तान की आज़ादी के लिए लड़ रहे अरब अलगाववादी गुट अल-अहवाज़ नेशनल रेजिस्टेंस ने इन हमलों की ज़िम्मेदारी ली है.
हालांकि हमले की दावेदारी करने वाले संगठनों में इस्लामिक स्टेट भी पीछे नहीं रहा. उसने एक वीडियो जारी कर ये संदेश देने की कोशिश की कि हमलावर उसी के थे.
वैसे इस वीडियो में एक भी हमलावर न तो अल-अहवाज़ नेशनल रेजिस्टेंस और न ही ख़ुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले चरमपंथी संगठन के लिए नारेबाज़ी करता हुआ दिखा.
अल-अहवाज़ नेशनल रेजिस्टेंस
इस संगठन के बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है. लेकिन ईरान का कहना है कि अल-अहवाज़िया गुट को सऊदी अरब मदद करता है.
सरकारी बयान में ये बात कही भी गई है कि अहवाज़ी अरबों के दमन के जवाबी कार्रवाई में शनिवार के हमले को अंज़ाम दिया गया.
कुछ रिपोर्टों के मुताबिक़ अल-अहवाज़ नेशनल रेजिस्टेंस के नौजवान लड़ाकों ने इन हमलों को अंजाम दिया है.
खुज़ेस्तान में सक्रिय एक और संगठन अरब स्ट्रगल मूवमेंट फ़ॉर लिबरेशन ऑफ़ अहवाज़ ने भी इन हमलों का समर्थन करते हुए इसे आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताया है.
हालांकि ये बात पक्के तौर पर नहीं कही जा सकती कि एसएलएमए और एएनआर अल-अहवाज़िया गुट से जुड़े हुए हैं या फिर दोनों के बीच किसी तरह का कोई गठजोड़ है.
अहवाज़ का इलाका
अहवाज़ खुज़ेस्तान की राजधानी है और यहां ईरान के सबसे बड़े तेल भंडार हैं.
इराक़ से भौगोलिक दृष्टि से पास होने और अरब अल्पसंख्यकों की बड़ी तादाद में होने के कारण यहां जातीय हिंसा होती रही है.
यही वो इलाका है जहां कभी इराक़ ने मोर्चा खोला था और उस युद्ध की कड़वी यादें इतिहास का हिस्सा हैं.
ईरान की जवाबी धमकी
ईरान ने अहवाज़ हमले के लिए सऊदी अरब, इसराइल और अमरीका पर साज़िश करने का इलज़ाम लगाया है. उसने अंजाम भुगतने की धमकी भी दी है.
सोमवार के जनाजे में शामिल ब्रिगेडियर जनरल हुसैन सलामी ने कहा, "आपने हमारा बदला पहले भी देखा है... हम वादा करते हैं कि करारा जवाब दिया जाएगा और उन्हें अपने किए पर अफसोस होगा."
लेकिन संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की स्थाई प्रतिनिधि निकी हेली का जवाब भी उतना ही तीखा था.
रविवार को उन्होंने कहा, "चरमपंथी हमले कहीं भी हों, हम इसकी निंदा करते हैं.... हमारे देश को जिम्मेदार ठहराने के बजाए ईरान के राष्ट्रपति को आईना देखने की ज़रूरत है."
हालांकि इसराइल ने इन आरोपों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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