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‘ड्रैगन’ का डैमेज कंट्रोल, कहा, भारत और चीन को एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि चीन और भारत के 'साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक हैं।

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बीजिंग, 23 जून : सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के रिश्ते बिगड़ गए हैं। सारी दुनिया जानती है कि चीन की विस्तारवादी सोच उनके पड़ोसी देशों के हित में नहीं है। बावजूद इसके वह (चीन) अपनी करतूतों से भारत के साथ अपने रिश्तों को खराब करता चला जा रहा है। वहीं, भारत भी चीन के समक्ष नहीं झुकने की रणनीति पर काम कर रहा है। वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका भी चीन के मसले पर भारत के पक्ष में बोलना शुरू कर दिया है। इससे चीन काफी तिलमिलाया हुआ है। बीजिंग का कहना है कि भारत और चीन मसले पर अमेरिका का कोई भी कदम निंदनीय है। चीन को लगता है कि अमेरिका उसके खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार कर रहा है। अब चीन ने अपनी नीतियों में कुछ सुधार लाते हुए कहा है कि चीन और भारत के साझा हित मतभेदों से कही अधिक है।

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चीन ने कहा भारत के साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक है

चीन ने कहा भारत के साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक है

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा है कि चीन और भारत के 'साझा हित मतभेदों से कहीं अधिक है। दोनों देशों को सीमा पर मतभेदों को अपने उचित स्थान पर रखना चाहिए और बातचीत और परामर्श के माध्यम से विवाद को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।

भारतीय राजदूत के साथ बैठक

भारतीय राजदूत के साथ बैठक

वांग यी ने बुधवार को बीजिंग में मार्च में चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत के साथ अपनी पहली बैठक में कहा, दोनों देशों को एक-दूसरे को कमजोर करने और संदेह करने के बजाय विश्वास बढ़ाने के बजाय समर्थन करना चाहिए।

आपसी संबंधों में सुधार की जरूरत

आपसी संबंधों में सुधार की जरूरत

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने आगे कहा कि, भारत और चीन दोनों पक्षों को एक स्वस्थ द्विपक्षीय संबंधों को वापस ट्रैक पर लाने किए लिए एक दूसरे से मिलना और बातचीत करना जरूरी है।

BRICS शिखर सम्मेलन से पहले डैमेज कंट्रोल

BRICS शिखर सम्मेलन से पहले डैमेज कंट्रोल

बता दें कि,14वें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन से पहले भारतीय राजदूत प्रदीप रावत के साथ ऑनलाइन बैठक करके चीनी विदेश मंत्री वांग यी बिगड़ते रिश्तों को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। भारत और चीन के रिश्तों में कई सालों से खटास चल रहा है। चीन अब बातचीत के जरिए दोनों देशों के बीच मिठास उत्पन्न करने का प्रयास कर रहा है।

सीमा विवाद को लेकर मतभेद

सीमा विवाद को लेकर मतभेद

बता दें कि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर द्विपक्षीय मतभेद काफी समय से चल रहा है और भारतीय राजूदत के साथ यह बैठक भारत और चीन के बीच एकजुटता की भावना व्यक्त करने का चीन प्रयास प्रतीत होता है। बैठक पर चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, 'चीन और भारत के साझा हित अपने मतभेदों से कहीं अधिक हैं। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि दोनों पक्षों को एक-दूसरे को कमजोर करने के बजाय समर्थन करना चाहिए, एक-दूसरे के खिलाफ सावधान रहने के बजाय सहयोग के रास्ते को मजबूत करना चाहिए, और एक-दूसरे के प्रति संदेह करने के बजाय पारस्परिक विश्वास को बढ़ाना चाहिए।

चीन का 4 सुत्रीय एजेंडा

चीन का 4 सुत्रीय एजेंडा

वांग, जो एक राज्य पार्षद भी हैं, ने भारत के साथ संबंधों को परिभाषित करने और आगे बढ़ाने के लिए चार सूत्रीय एजेंडा पेश किया। जिसमें मई 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में हुए सैन्य गतिरोध शामिल है।

नहीं निकला कोई नतीजा

नहीं निकला कोई नतीजा

बता दें कि, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर सशस्त्र बलों के बीच राजनयिक वार्ता और बातचीत के कई दौर के बावजूद कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पाया है। दोनों देशों की सेना पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तैनात हैं।

चीन ने भारत के समक्ष आपसी हितों के मद्देनजर जिन चार सिद्धांतों का उल्लेख किया है, वे इस प्रकार हैं-पहला सिद्धांत

चीन ने भारत के समक्ष आपसी हितों के मद्देनजर जिन चार सिद्धांतों का उल्लेख किया है, वे इस प्रकार हैं-पहला सिद्धांत

दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा महत्वपूर्ण रणनीतिक सहमति का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। चीन और भारत के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए। भारत चीन एक दूसरे के भागीदार हैं। दोनों देश (भारत-चीन) एक दूसरे के लिए खतरा पैदा नहीं करेंगे। दोनों देशों के पास पारस्परिक विकास के अवसर हैं।

दूसरा सिद्धांत

दूसरा सिद्धांत

भारत और चीन को सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों में एक उपयुक्त स्थिति में रखना चाहिए। इस दूसरे सिद्धांत के अनुसार बीजिंग और नई दिल्ली बातचीत और परामर्श के माध्यम से सीमा विवाद का समाधान तलाशना चाहिए।

तीसरा और चौथा सिद्धांत

तीसरा और चौथा सिद्धांत

शेष दो सिद्धांतों में "पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग" का विस्तार करने और "बहुपक्षीय सहयोग का विस्तार" करने और "संयुक्त रूप से"जटिल विश्व स्थिति" का सामना करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

एस जयशंकर के हालिया बयान का दिया हवाला

एस जयशंकर के हालिया बयान का दिया हवाला

वांग ने बैठक में कहा कि, स्वतंत्र विदेश नीति की भारत की परंपरा विदेश मंत्री एस जयशंकर के हालिया भाषण में परिलक्षित हुई थी, जहां उन्होंने "यूरोसेंट्रिज्म" की अपनी अस्वीकृति व्यक्त की थी और उनकी उम्मीद थी कि किसी भी बाहरी ताकत को चीन-भारत संबंधों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। वांग ग्लोबसेक 2022 ब्रातिस्लावा फोरम (GLOBESEC 2022 Bratislava Forum) में जयशंकर के 3 जून के भाषण का जिक्र कर रहे थे, जहां उन्होंने कहा कि दुनिया अब 'यूरोसेंट्रिक' नहीं हो सकती है, और यूरोप को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के संदर्भ में उस मानसिकता से दूर रहने की आवश्यकता है।

दुनिया अब यूरोसेंट्रिक नहीं हो सकती..

दुनिया अब यूरोसेंट्रिक नहीं हो सकती..

यूरोप के बाहर बहुत कुछ हो रहा है। दुनिया के हिस्से में बहुत सारी मानवीय और प्राकृतिक आपदाएं हैं, और कई देश मदद के लिए भारत की ओर देखते हैं। दुनिया बदल रही है और नए, नए खिलाड़ी आ रहे हैं। दुनिया अब यूरोसेंट्रिक नहीं हो सकती है, "जयशंकर ने अपने भाषण में कहा था, जिसके बारे में व्यापक रूप से चर्चा की गई थी और चीनी आधिकारिक मीडिया और ऑनलाइन में साझा किया गया था।

भारतीय राजदूत का बयान

भारतीय राजदूत का बयान

मंत्रालय के बयान के अनुसार, भारतीय राजदूत रावत ने कहा, "भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति को दृढ़ता से आगे बढ़ाएगा, और दोनों देशों के नेताओं द्वारा बनाई गई रणनीतिक सहमति का पालन करने, संचार को मजबूत करने, मतभेदों को ठीक से संभालने, पारस्परिक विश्वास बढ़ाने और द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए चीन के साथ काम करने के लिए तैयार है।

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Comments
English summary
China and India’s “common interests far outweigh differences”, Chinese foreign minister Wang Yi has said, adding that the two countries should put the differences on the border in its appropriate place and seek to resolve the dispute through dialogue and consultation.
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