LAC विवाद पर भारत-चीन में कमांडर लेवल की बातचीत शुरू, किन-किन मुद्दों पर हो रही चर्चा, जानिए सबकुछ
पिछले कुछ महीने से भारत और चीन के नेताओं के बीच अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर बातचीत हुई और इस दौरान चीन के विदेश मंत्रीं वांग यी भी भारत का दौरा कर चुके हैं।
India-China Talks: नई दिल्ली, जुलाई 17: भारत और चीन के बीच चार महीने के बाद एक बार फिर से एलएसी पर सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत शुरू हो गई है और इस बातचीत को लेकर काफी उम्मीदें लगाई जा रही हैं, कि इस बातचीत के सकारात्मक परिणाम निकल सकते हैं। दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल की 16वें दौर की बातचीत हो रही है और रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच ये बैठक चुशूल मोल्दो में हो रही है। इससे पहले इंडियन आर्मी और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच आखिरी बातचीत 11 मार्च को हुई थी।
किन-किन मुद्दों पर बातचीत?
भारत और चीन के सैनिकों के बीच आखिरी मीटिंग भी चुशूल मोल्दो में ही हुई थी, जो भारतीय क्षेत्र में है। बताया जा रहा है, कि इस बार की बातचीत का मुख्य एजेंडा एलएसी के फिक्शन प्वाइंट से डिसइंगेजमेंट रहने वाला है। इसके साथ ही बातचीत का मुख्य फोकस गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 पर रहने वाली है। इसके साथ ही दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच देमचोक और देप्सांग से भी सैनिकों को हटाने पर बातचीत होने की उम्मीद है। पिछली बैठक में इन दोनों क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने पर बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी थी। आपको बता दें कि, जून 2020 में हुए हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच 15 राउंड की बातचीत हो चुकी है और इस बार की बातचीत सबसे ज्यादा गैप के बात हो रही है। हालांकि, 15 दौर की बातचीत में कई फिक्शन प्वाइंट पर दोनों देशों के बीच समझौता हो चुका है।
पैंगोग झील के क्षेत्र में है मुख्य तनाव
पिछले कुछ महीने से भारत और चीन के नेताओं के बीच अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर बातचीत हुई और इस दौरान चीन के विदेश मंत्रीं वांग यी भी भारत का दौरा कर चुके हैं, वहीं, इसी महीने 7 जुलाई को इंडोनेशिया की राजधानी बाली में जी20 की बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच भी बैठक हो चुकी है, जिसमें एस जयशंकर ने वांग यी पर दबाव डालते हुए कहा था, कि एलएसी के मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए। इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा था कि, भारतीय विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में शांति बहाल करने और तनाव को कम करने के लिए सभी जरूरी स्टेप्स लिए जाने की बात पर भी चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत के दौरान जोर दिया था। आपको बता दें कि, पिछले 15 दौर की बातचीत के बाद चीन की सेना पैंगोग झील के उत्तरी हिस्से, दक्षिणी हिस्से, गलवान घाटी और गोगरा एरिया से पीछे हटी है।
तीसरे साल में पहुंचा विवाद
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध,जिसने द्विपक्षीय संबंधों को और भी तनावपूर्ण किया है, वो मई 2022 में अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है। भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने आखिरी बार 11 मार्च को इस मामले पर बातचीत की थी। हालांकि, अभी भी इस बात की पूरी उम्मीद नहीं है, कि बातचीत के बाद चीन की सेना पीछे हट जाएगी और तनाव खत्म हो जाएगा, फिर भी आंशिक सफलता मिलने की उम्मीद है। दोनों सेनाओं ने 2020 में आठ दौर की बातचीत की थी और उसी साल जून में पहली बार बातचीत हुई थी। वहीं, साल 2021 में पांच दौर और इस साल अब तक दो दौर की बातचीत हो चुकी है।
किन मुद्दों पर बना हुआ है विवाद
इन वार्ताओं के बावजूद कोंगका ला के पास पेट्रोल प्वाइंट-15, दौलेट बेग ओल्डी सेक्टर में देपसांग बुलगे और डेमचोक सेक्टर में चारडिंग नाला जंक्शन (सीएनजे) के मुद्दे अभी भी बातचीत की मेज पर हैं। पिछले दो सालों में भारत और चीन ने सीमा के दोनों ओर सैन्य गतिविधियों में वृद्धि, आधुनिक हथियारों की तैनाती, बुनियादी ढांचे के विकास और दोनों सेनाओं द्वारा युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला के साथ एलएसी पर अपना रुख सख्त किया है और सैन्य सूत्रों ने बताया है कि, एलएसी पर दोनों ही देशों के करीब 50 हजार से 60 हजार सैनिक मौजूद हैं, वहीं विध्वंसक हथियारों को भी एलएसी पर तैनात किया गया है।
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