'भारत ने कैलाश रेंज चीन को सौंप दिया और हमने अपना जमीन खो दिया, चीनी सैनिक हमपर मुस्कुराकर चले गये'
भारत ने कैलाश रेंज पर कब्जा करने के बाद भी उसे छोड़ दिया और लद्दाख में हमने अपना जमीन खोया है। सुब्रह्मण्यम् स्वामी ने भारत सरकार पर उठाए सवाल
लद्दाख, अप्रैल 19: भारत-चीन तनाव के बीच इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि 'चीन ने डोगरा और हॉट स्प्रिंग इलाके से पीछे हटने से इनकार कर दिया है और भारत को कहा है कि जितना मिल गया है उतने में खुश हो जाए'। इंडियन एक्सप्रेस के इस खुलासे के बाद देश की राजनीति में घमासान मचा हुआ है और विपक्षी पार्टियां सरकार से स्पष्टीकरण मांग रही है। इसीबीच सुब्रमण्यम स्वामी ने आज दिन के ठीक 12 बजे एक ट्वीट कर सनसनीखेज दावा किया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया है कि चीन ने भारत के हिस्से की जमीन पर ना सिर्फ कब्जा कर लिया है बल्कि भारत ने कैलाश रेंज पर कब्जा करने के बाद भी उसे चीन के हवााले कर दिया है। सुब्रमण्यम स्वामी का ये दावा बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि भारत सरकार की तरफ से लगातार यही कहा गया है कि भारत की एक इंच जमीन पर भी चीन का कब्जा नहीं हुआ है।
लद्दाख में अभी शांति नहीं
इंडियन एक्सप्रेस के खुलासे के बाद न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने लद्दाख लेकर दावा किया है कि अभी आने वाले निकट भविष्य में भारत और चीन के बीच शांति स्थापित नहीं हो पाएगी और ना ही दोनों देशों की सेना पीछे हटने वाली है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एलएसी पर लद्दाख क्षेत्र में अभी सैनिकों की डिसइंगेजमेंट नहीं होने जा रही है और निकट भविष्य में भारत और चीन के बीच का तनाव भी कम नहीं होगा। न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 'भारत-चीन सीमा पर इस वक्त करीब 50 हजार सैन्य जवान आधुनिक हथियार, मिसाइल्स और आर्टिलरी बंदूकों के साथ एलएसी पर तैनात हैं और निकट भविष्य में इन सैनिकों के बॉर्डर से पीछे हटने की भी संभावनी नहीं लग रही है।' न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने रिटार्यड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा कि 'मुझे नहीं लगता है कि एलएसी पर अभी दोनों देशों की सेना पीछे हटने वाली है या बॉर्डर पर तनाव कम होने वाला है क्योंकि चीनी सेना के रवैये को देखकर ऐसा नहीं लगता है कि उन्हें पीछे हटने की कोई जल्दबाजी है'।
कैलाश रेंज पर विवाद!
दोनों देशों के आधिकारिक बयान के मुताबिक पैंगोंग शो झील के उत्तरी हिस्से और दक्षिणी हिस्से से दोनों देशों की सेना पीछे हट चुकी है। पैंगोंग सो से डिसइंगेजमेंट हो चुका है। दोनों देश ने ये भी कहा है कि कैलाश रेंज से भारतीय सेना पीछे हट चुकी है, जबकि पिछले साल 27 जून 2020 को भारतीय सेना ने कैलाश रेंज पर अपना कब्जा जमा लिया था। कैलाश रेंज रणनीति के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। और सुब्रमण्यम स्वामी ने भी भारतीय सैनिकों के द्वारा कैलाश रेंज से पीछे हटने को लेकर भारत की सरकार पर सवाल उठाए हैं। स्वामी ने कहा है कि आखिर भारत सरकार ने कैलाश रेंज से पीछे हटने का फैसला क्यों लिया?
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सुब्रमण्यम स्वामी ने क्या कहा
सुब्रमण्यम स्वामी ने आज दोपहर 12 बजे एक ट्वीट करते हुए दावा किया है कि ''हमने अपना जमीन खोया, वो भी तब जब पिछले साल जून में हमारे सैनिकों ने कैलाश रेंज पर कब्जा कर लिया था लेकिन भारत सरकार ने चीन के सामने कैलाश रेंज सरेंडर कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कैलाश रेंज से पीछे हटने की बात को 'अच्छा माहौल बनाने की दिशा में पहल' बताया है। भारत के कैलाश रेंज से पीछा हटने पर चीनी सैनिक मुस्कुराए और कहा कि आपको जितना मिला है, उतने से खुश हो जाएं, जैसे हम अपना ही जमीन वापस लेने के लिए भिखारी बन गये हों''।
भारत-चीन बातचीत
पिछले साल हिंसक झड़प होने के बाद भारत और चीन के सैनिकों के बीच कॉर्प कमांडर लेवल की 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। वहीं, न्यू इंडियन एक्सप्रेस से रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना ने कहा कि 'पारंपरिक तौर पर ये महिला लद्दाख में पेट्रोलिंग का होता है और इन महीनों में उन जगहों पर निर्माण कार्य भी सैनिक करते हैं लिहाजा इस मौसम में किसी भी पक्ष के पीछे हटने की उम्मीद कम है'। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने कहा कि 'ये पूरा खेल धैर्य का है और ये लंबे वक्त तक चलने वाला है खेल है। हमने अभी तक सामरिक तौर पर, रणनीतिक तौर पर काफी अच्छा काम किया है और हम बिल्कुल भी पीछे नहीं हटे हैं ना ही हमारी रणनीति कमजोर है।' यानि एक तरफ सुब्रमण्यण स्वामी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं तो रिडायर्ट सैन्य अधिकारियों ने इसे भारत की रणनीतिक मुवमेंट कहा है।
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