सूर्य की 'मौत' के बाद भी सौरमंडल में 'जीवित' रहेगा कौन सा ग्रह? वैज्ञानिकों ने खोज लिया जवाब
सूर्य के बिना भी सौरमंडल में 'जीवित' रहेगा कौन सा ग्रह?
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर। पृथ्वी पर जीवन के लिए सूर्य का होना बेहद जरूरी है, अगर यह खत्म हो जाए तो धरती पर धीरे-धीरे ही सही लेकिन हमारा अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा। सिर्फ पृथ्वी ही नहीं बल्कि हमारे सौरमंडल में होने वाली हर भौगोलिक गतिविधि के लिए सूर्य जिम्मेदार है। कई बार लोगों के मन में ये सवाल उठे हैं कि सूरज की उम्र कितनी है, अगर इसका ईंधन खत्म हो जाए और यह जलना बंद कर दे तो हमारे सैरमंडल का क्या होगा?
कब होगी सूर्य की मौत?
हम ये तो जानते हैं कि सूरज के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं लेकिन क्या इस चमकते सितारे के बिना हमारे सौरमंडल में भी कुछ बचेगा? वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए एक रिसर्च में सामने आया परिणाम इसका जवाब हो सकता है। सूरज एक आग से धधकता हुआ तारा है जिसका ईंधन कभी ना कभी तो खत्म जरूर होगा। वैज्ञानिकों की मानें तो अगले 5 अरब सालों में सूरज की मौत हो जाएगी, यह एक मरे हुए तारे (व्हाइट ड्वार्फ) में बदल जाएगा।
सूर्य के बिना सौरमंडल में क्या बचेगा?
हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक रिसर्च में पता चला है कि सूर्य के बिना हमारा सौरमंडल की स्थिति बेहद भयानक होगी। पृथ्वी से लगभग 6,500 प्रकाश वर्ष दूर एक प्लेनेटरी सिस्टम (ग्रहों के समूह) के बारे में जानकारी जुटाने के बाद यह अंदाजा लगाया गया है कि सूर्य के बिना हमारे सौरमंडल का क्या होगा? शोधकर्ताओं ने पाया कि लगभग पांच अरब वर्षों में सूर्य के बौने (व्हाइट ड्वार्फ) होने पर भी बृहस्पति खुद को बचाने में कामयाब रहेगा।
दूर स्थित ग्रहों के समूह पर की गई खोज
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में एक बौने तारे की परिक्रमा करने वाले ग्रहों की पुष्टि की गई, इसे हमारे सौरमंडल के संभावित भविष्य के तौर पर देखा जा रहा है। रिसर्च के प्रमुख लेखक और तस्मानिया विश्वविद्यालय के डॉ जोशुआ ब्लैकमैन ने कहा, 'हमारे अवलोकन इस बात की पुष्टि करते हैं कि अपने सूर्य को खोने के बाद भी कई ग्रह जीवित हैं, जो अपने तारे की दूर से परिक्रमा करते थे।'
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बृहस्पति के पास खुद को बचाने का मौका
जोशुआ ब्लैकमैन ने आगे कहा कि अरबों सालों में हमारे सौरमंडल में सूर्य का प्रकाश खत्म होने के बाद बृहस्पति का भाग्य भी कुछ ऐसा ही होगा। ये नई खोज हमारे सौरमंडल और आकाशगंगा में विकास को समझने की दिशा में अगला कदम है। एस्ट्रोनॉट्स ने पाया कि बृहस्पति के पास लड़ाई का मौका हो सकता है, भले ही सूर्य अपने अंतिम दिनों में इंच के बराबर भी बौना हो जाए।
बृहस्पति से भी डेढ़ गुना है ग्रह
शोधकर्ताओं की यह रिसर्च आकाशगंगा के केंद्र की ओर पाए गए एक ग्रह के अध्ययन पर आधारित है। खगोलविदों ने कैनोपस हिल में तस्मानिया विश्वविद्यालय के एक मीटर ऑप्टिकल टेलीस्कोप का उपयोग करके ग्रह प्रणाली का पता लगाया। यह ग्रह बृहस्पति के आकार का लगभग डेढ़ गुना है और पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से लगभग 450 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करता है।
प्लेनटरी सिस्टम को समझने में मिलेगी मदद
MOA-2010-BLG-477-Lb नाम का यह विशाल ग्रह एक सफेद बौने तारे की परिक्रमा कर रहा है, जो हमारे सौरमंडल के भविष्य को दर्शाता है। जोशुआ ब्लैकमैन ने बताया कि इसके अलावा कुछ मुट्ठीभर अन्य ग्रह हैं जो उसी तारे की परिक्रमा करते हुए पाए गए। ग्रहों के इस समूह से यह पता करने में मदद मिलेगी कि आखिर प्लेनटरी सिस्टम कैसे विकसित होता है।
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