कुलभूषण जाधव पर वे पांच दलीलें जिन पर ICJ में पाकिस्तान हुआ पस्त
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) ने पाकिस्तान के उस तर्क को मानने से ही इनकार कर दिया कि कुलभूषण जाधव एक जासूस है। आईसीजे में गुरुवार को पाक, जाधव के मुद्दे पर हुआ है किनारे।
हेग। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में गुरुवार को कुलभूषण जाधव को मिली मौत की सजा पर फैसला आया। इस फैसले ने जहां पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया तो वहीं भारत को बड़ी जीत हासिल हुई। कोर्ट ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि किसी भी सूरत में अंतिम फैसला आने तक जाधव को फांसी नहीं होनी चाहिए। आइए आपको बताते हैं कि आईसीजे ने पाकिस्तान की कौन सी पांच दलीलों को खारिज किया है।
काउंसलर मुद्दे पर पाक को झिड़की
आईसीजे के 11 जजों ने जाधव की मौत की सजा पर फैसला दिया है। जज रॉने अब्राहम ने फैसला सुनाते समय साफ कर दिया कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही विएना संधि के पक्ष हैं। आईसीजे ने इस बात का जिक्र भी कि भारत ने कई बार जाधव को काउंसलर मुहैया कराने के लिए अनुरोध किया। जज अब्राहम का कहना था कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही विएना संधि को मानते हैं और इसलिए पाकिस्तान को भारत की काउंसलर मुहैया कराने की मांग को मान लेना चाहिए था।
जासूस नहीं है जाधव
पाकिस्तान अब तक अंतराष्ट्रीय मंच पर जाधव को भारत का जासूस कहता आया और आईसीजे ने इसे भी मानने से साफ इनकार कर दिया। आईसीजे ने साफ-साफ कहा कि अभी तक इस बात के सुबूत नहीं हैं कि जाधव भारत का जासूस है।
पाक का विरोध खारिज
जज अब्राहम ने कहा कि भारत ने जो भी आरोप लगाए हैं वे सभी विएना संधि के तहत आते हैं। ऐसे में जज ने पाकिस्तान के विरोध भी खारिज कर दिया और कहा कि भारत को अपील करने का पूरा अधिकार है।
वीडियो चलाने की अनुमति नहीं
पाकिस्तान को 15 मई को उस समय बड़ा झटका लगा था जब उसने आईसीजे से उस वीडियो को चलाने की अनुमति मांगी थी जिसमें कथित तौर पर जाधव का कुबूलनामा था। लेकिन आईसीजे ने इस वीडियो को चलाने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया।
कोर्ट के पास पूरा अधिकार
आईसीजे ने पाक को साफ कर दिया कि उसे इस बात को तय करने की जरूरत नहीं है कि विएना संधि के तहत द्विपक्षीय संबंधों पर अधिकारों को रोकती है या नहीं। द्विपक्षीय समझौते कभी भी कोई सीमा नहीं होते हैं। कोर्ट के पास इस बात का पूरा अधिकार है कि वह दोनों पक्षों के विवादों को सुने।
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