क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अपने नाम को हज़ारों साल तक कैसे यादगार बना सकते हैं आप?

असल में इंसान को पहचान उसके काम से ही मिलती है और नाम?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
मर्लिन मुनरो के लुक में पांच युवतियां
Getty Images
मर्लिन मुनरो के लुक में पांच युवतियां

हर इंसान की ख़्वाहिश होती है कि उसके मरने के बाद भी लोग सदियों तक उसे याद रखें. ये हसरत पूरी करने के लिए लोग सौ-सौ जतन करते हैं.

कोई जंग लड़ता है, तो कोई इंसानियत के लिए नेमत साबित होने वाली चीज़ें बनाता है. कोई तबाही का संदेश देकर इस दुनिया से रुख़सत होना चाहता है, तो कुछ लोग नयी रचना के ज़रिए अपने याद किए जाने का इंतज़ाम कर जाते हैं.

ऐसी बहुत सी शख़्सियतें हैं जिन्हें हम सदियों बाद भी जानते हैं और याद करते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने दौर में ही मशहूर होते हैं. उनके जीते-जी तो दुनिया उनकी दीवानी होती है. लेकिन दुनिया को अलविदा कहने के कुछ ही दिन में वो लोगों के ज़हन से उतर जाते.

जब अपू ने अमरीका में मचाई थी खलबली

आइंस्टाइन और न्यूटन से क्या सीखना चाहिए?

बेहद मशहूर था थॉमस सेयर्स

मिसाल के लिए ब्रिटेन का थॉमस सेयर्स अपने ज़माने का मशहूर मुक्केबाज़ था. वो पढ़ा-लिखा नहीं था. लेकिन बॉक्सिंग में उसका कोई सानी नहीं था. उसका फ़ाइनल मैच हैम्पशायर में हुआ था. इसे देखने के लिए हज़ारों लोगों का मजमा लगा. मैच के लिए प्रशासन की ओर से स्पेशल ट्रेन चलाई गई.

मैच देखने वालों में उस वक़्त ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे लॉर्ड पामरस्टन, लेखक विलयम थैकरे और चार्ल्स डिकेंस जैसे बड़े उपन्यासकार तक शामिल थे.

यहां तक कि उस दिन ब्रिटिश संसद की कार्रवाई भी कुछ घंटों के लिए ही चली. आदेश दिए गए थे कि महारानी विक्टोरिया को इस मैच की पूरी जानकारी दी जाए. 1865 में जब मुक्केबाज़ थॉमस सेयर्स की मौत हुई तो लाखों लोग उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

थॉमस सेयर्स को गुज़रे डेढ़ सौ बरस से ज़्यादा बीत चुके हैं. आज मुक्केबाज़ी के शौक़ीनों को छोड़कर शायद ही कोई थॉमस सेयर्स का नाम जानता है.

ट्रंप पहले आते तो ये दिग्गज कहां जाते?

जूलियस सीज़र
BBC
जूलियस सीज़र

कामयाबी के क़िस्से

अब सवाल उठता है कि शोहरत की बुलंदी हासिल करने वाले खिलाड़ी को लोगों ने इतनी आसानी से कैसे भुला दिया.

क्या वजह है कि कुछ लोग लंबे समय तक यादों में ज़िंदा रहते हैं. उनकी कामयाबी के क़िस्से बच्चों को सुनाए जाते हैं. उनकी ज़िंदगी पर फ़िल्में बनाई जाती हैं, किताबें लिखी जाती हैं. जबकि कुछ लोग चंद दिनों में भुला दिए जाते हैं.

चलिए आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे नुस्ख़े, जिन पर अमल करके आप ख़ुद को अमर कर सकते हैं.

अब भी चल रही है शेक्सपियर की नौटंकी

खुद की मार्केटिंग का दौर

आज मार्केटिंग का दौर है. जब तक आप अपने काम का बखान ख़ुद नहीं करेंगे, कोई आपको जानेगा नहीं. गुज़रे ज़माने में भी इस तरह की तरकीबें आज़माई जाती रही हैं.

मिसाल के लिए सिकंदर-ए-आज़म को ही ले लीजिए. उसने दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य बनाया. अब भला वो क्यों नहीं चाहेगा कि दुनिया उसे याद रखे. लिहाज़ा उसने अपने पूरे साम्राज्य में अपनी तस्वीर वाले एक जैसे सिक्के चलवाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी पता रहे कि वहां कभी सिकंदर का राज था.

इसी तरह सदियां बीत जाने के बावजूद लोगों को रोमन बादशाह जूलियस सीज़र याद है. इसकी बड़ी वजह है कि सीज़र ने ख़ुद का ख़ूब प्रचार किया था. अपने युद्धों के दौरान सीज़र इतिहासकारों की टोली अपने साथ रखता था. इन का काम ही था सीज़र के मिशन की एक एक तफ़सील दर्ज करना. सीज़र का मक़सद था आने वाली पीढ़ियों तक पैग़ाम पहुंचाना.

क्या गलत साबित हो गए कार्ल मार्क्स?

पहचान बनाने में पेशा मददगार

हालांकि आज के दौर में भी लोग इसी तरह की चीज़ों पर अमल करते हैं. अब चूंकि तकनीक का ज़माना है, लिहाज़ा खुद की मार्केटिंग के तरीक़े भी थोड़े से बदलने पड़ेंगे.

पहचान बनाने में पेशा बहुत मददगार होता है. इसलिए पेशे का इंतख़ाब बहुत सोच-समझकर करना चाहिए.

प्राचीन काल में दार्शनिकों की आम जनता के बीच कोई ख़ास पहचान नहीं थी. लेकिन आज सदियां बीत जाने के बाद लोग उन्हें याद करते हैं. उनका दर्शनशास्त्र बच्चों को पढ़ाया जाता है, क्योंकि उनके विचारों ने ज़िंदगी को एक अलग अंदाज़ में देखने का मौक़ा दिया.

क्यों संभाल कर रखा है आइंस्टीन का दिमाग?

आइंस्टाइन
Getty Images
आइंस्टाइन

यादगार बनने के लिए अलग नज़रिया ज़रूरी

यादगार बनने के लिए नए अंदाज़ में सोचना और ज़माने को नया नज़रिया देना बहुत ज़रूरी है. जैसे विज्ञान के क्षेत्र में हर रोज़ कोई ना कोई खोज हो रही है. फिर भी चार्ल्स डार्विन, न्यूटन और आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिक आज भी याद किए जाते हैं. क्योंकि, इन्होंने दुनिया को एक नई सोच दी.

जो लोग संगीत और खेलों में अपना करियर बनाते हैं, वो बहुत लंबे समय तक याद नहीं रह पाते. मिसाल के लिए डेविड बेकहम और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी मौजूदा दौर के हीरो हैं. अपने अपने खेल में इनका कोई सानी नहीं है. लेकिन ये कहना मुश्किल है कि आने वाले हज़ार साल तक लोग इन्हें याद रखेंगे. हो सकता है आने वाले समय में इनसे भी ज़्यादा अच्छे खिलाड़ी सामने आए जाएं.

दिमाग़ के दान की अपील कर रहे हैं वैज्ञानिक

मोज़ार्ट
Getty Images
मोज़ार्ट

मोज़ार्ट का सदियों तक नाम गूंजेगा

यही बात मौसीक़ी के साथ है. संगीत वक़्त के साथ बदलता रहता है. लेकिन मोज़ार्ट जैसी सिम्फ़नी आज तक कोई नहीं बजा पाया. लता, किशोर, रफ़ी जैसी आवाज़ और गाने का अंदाज़ किसी के पास नहीं है. यही वजह है कि आज भी लोग इन्हें पसंद करते हैं. इनका तिलिस्म तभी टूटगा जब इनसे बेहतर कोई अंदाज़ या आवाज़ संगीत जगत को मिलेगी.

लिहाज़ा करियर चाहे जो भी चुना जाए उसमें नई सोच का होना ज़रूरी है. अपना अंदाज़, अपना स्टाइल होना चाहिए. किसी की कॉपी करके मक़बूल नहीं हुआ जा सकता.

लुप्त हो रहे एक धर्म ने छोड़ी पश्चिम पर छाप

न्यूटन
Getty Images
न्यूटन

इंक़लाबी क़दम उठाएं

इसमें कोई दो राय नहीं कि बड़े और शाही घरानों के लोग लंबे वक़्त तक याद किए जाते हैं. लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि उन्हें हज़ारों साल तक याद ही किया जाएगा.

मिसाल के लिए लेडी डायना को आज बहुत लोग नहीं जानते. जबकि उनका ताल्लुक़ शाही घराने से था. इस बात की कोई गारंटी नहीं कि क्वीन विक्टोरिया को लोग आने वाले हज़ार साल तक याद रखेंगे.

हां, अगर शाही घराने के लोग अपने जीवन काल में कुछ इंक़लाबी क़दम उठा लें जिससे पूरे समाज का नक़्शा ही बदल जाए, तो हो सकता है उन्हें लंबे वक़्त तक याद रखा जा सके.

अंतरिक्ष में न्यूटन के सेब का पेड़

...तो एक भारतीय ने किया था हवाई जहाज़ का आविष्कार!

तूतेनख़ामेन
Getty Images
तूतेनख़ामेन

मरने के बाद मशहूर

मशहूर बनाने में क़िस्मत भी अहम रोल निभाती है. कुछ लोग अपने जीते जीते मशहूर नहीं बन पाते, लेकिन मरने के बाद महान हो जाते हैं. जैसे कि मिस्र का बादशाह तूतेनख़ामेन. उसकी बहुत कम उम्र में ही मौत हो गई थी. आनन-फ़ानन में उसे दफ़ना दिया गया.

सदियों तक किसी को उसके बारे में जानकारी नहीं थी. लेकिन 1922 में खुदाई में जब उसका मक़बरा निकला, तब लोगों को तूतेनख़ामेन के बारे में पता चला. आज तूतेनख़ामेन के ज़िक्र के बिना मिस्र का इतिहास अधूरा लगता है.

इस बार बॉक्स ऑफ़िस पर चलेगा 'ममी' का सिक्का

लेनिन कैसे बने आधुनिक दुनिया की पहली 'ममी'

ताजमहल
Getty Images
ताजमहल

विरासत से बने यादगार

कई बार बड़ी विरासत के ज़रिए भी लोग लंबे वक्त तक याद रखे जाते हैं. जैसे ताजमहल जब तक रहेगा, मुग़ल बादशाह शाहजहां का नाम रहेगा. इसी तरह चीन की दीवार बनवाने वाले सम्राट किन-शी-हुआंग का नाम याद रहेगा.

ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा. कई बार बुरे काम भी आपको पहचान दिलाते हैं. लेकिन इसका ये मतलब हरगिज़ नहीं कि आप नाम कमाने के लिए ग़लत राह पर चल पड़ें.

मिसाल के लिए नाथूराम गोडसे ने गांधी जी का क़त्ल किया. आज उसे सारी दुनिया जानती है. लेकिन उसकी पहचान एक क़ातिल की है.

नाथूराम गोडसे के लोग और उनकी सोच

'जब गोडसे ने गांधीजी पर दागी थी तीसरी गोली'

गौतम बुद्ध
BBC
गौतम बुद्ध

जब तक बौद्ध धर्म रहेगा, बुद्ध याद रहेंगे

कुछ जानकारों का मानना है कि अगर इंसान किसी धर्म की नींव रखता है, तो उसे भी लोग तब तक याद रखते हैं जब तक वो धर्म रहता है. मिसाल के लिए गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की नींव रखी. जब तक बौद्ध धर्म रहेगा गौतम बुद्ध याद रखे जाएंगे.

मशहूर होने के तरीक़े बहुत से हो सकते हैं. लेकिन, ज़्यादातर वही लोग याद रखे जाते हैं जो आम जनता के बीच मक़बूल होते हैं. हो सकता है कि आपको अपने घराने की वजह से पैसा और नाम मिल जाए. लेकिन असल में इंसान को पहचान उसके काम से ही मिलती है.

भारत के ये बाल बौद्ध भिक्षु

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
How can you make your name memorable for thousands of years
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X