हिटलर की 'पट्टी' पहनने वाले नेता को जॉर्जिया मेलोनी ने बनाया मंत्री, खतरनाक रास्ते पर इटली की राजनीति?
इटली में पीएम जॉर्जिया मेलोनी पद संभालने के बाद लगातार विवादित फैसले ले रही हैं। मेलोनी ने नाजी आर्मबैंड पहनने वाले नेता गलैजो बिग्नामी को मंत्री बना दिया है
इटली में सूदर दक्षिणपंथ की प्रतिनिधि नेता और प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी पद संभालने के कुछ ही समय बाद विवादों में घिर गई हैं। विवादों की वजह इटली की पहली दक्षिणपंथी पीएम की सरकार के फैसले हैं। मेलोनी ने नाजी आर्मबैंड (स्वास्तिक जैसा निशान) पहनने वाले नेता गलैजो बिग्नामी को मंत्री बना दिया है जिसके बाद से उनकी काफी आलोचना हो रही है।
गलैजो बिग्नामी ने लिया विवादित फैसला
गलैजो बिग्नामी ने पद संभालने के फौरन बाद एक फैसला लिया है जो और हंगामा खड़ा कर रहा है। बिग्नामी ने मंत्री पद संभालने के बाद कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने वाले डॉक्टरों पर लगी रोक हटा दी थी। गलैजो बिग्नामी, जॉर्जिया मेलोनी की ही पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली के नेता हैं। इससे पहले वह बुनियादी ढांचा मंत्रालय में अवर सचिव पद पर नियुक्त थे।
मंत्री बनने के बाद तस्वीर हुई वायरल
गलैजो बिग्नामी के मंत्री बनने के बाद ही पूरे सोशल मीडिया पर उनका नाजी आर्मबैंड पहनी तस्वीर हर जगह वायरल होने लगी। ऐसा कहा जा रहा है कि ये तस्वीर 2005 की है। अपनी बैचलर पार्टी सेलिब्रेट करने के दौरान गलैजो बिग्नामी ने इसे पहना था। जब इसे लेकर पूरे इटली में गलैजो की आलोचना होने लगी तो उन्होंने इसे एक हल्का-फुल्का किया गया मजाक बताया। हालांकि एक हफ्ते बाद उन्होंने अपना भाषण बदला और कहा कि वह अपनी इस हरकत से शर्मिंदा हैं।
सरकार ला रही रेव और डीजे पार्टी के खिलाफ कानून
इसके अलावा जॉर्जिया मेलोनी के जिस फैसले की भरपूर निंदा हो रही है वह रेव जैसी पार्टियों पर रोक लगाने का कानून पास करने को लेकर है। नए कानून से रेव पार्टियों और उन सभाओं पर रोक लग सकेगी। इसका उल्लंघन करने वाले आयोजकों को तीन से छह साल तक की सजा का प्रावधान है। सरकार का तर्क है कि ऐसे आयोजनों में नशे को बढ़ावा या यौन अपराध होने की आशंका बढ़ जाती है।
मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए ले रही विवादित फैसले
विरोधी पार्टी के नेताओं का कहना है कि सरकार के ऐसे फैसलों से संविधान में दिए गए नागरिकों के अधिकार खतरे में आ चुके हैं। उनका कहना है कि इस कानून की अस्पष्ट व्याख्या से इसकी आड़ में दूसरी सार्वजनिक सभाओं को रोका जा सकता है। इससे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को खतरा होगा और पब्लिक गैदरिंग पर भी रोक लगाई जा सकेगी। विपक्ष का कहना है कि ऐसे फैसले जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने के लिए, लिए जा रहे हैं। मेलोनी, जनता से किए गए अपने वायदे कभी पूरा नहीं कर सकतीं इसलिए वे ऐसे फैसले लागू कर विभाजनकारी एजेंडा चला रही हैं।