सूर्य से लेकर शिव तक... कैसे नंबर 108 करता है दुनिया को कंट्रोल, दुनियाभर के एक्सपर्ट्स हैरान
सनातन धर्म के अलावा 108 नंबर का महत्व बौद्ध धर्म में भी काफी माना जाता है और अगर हिंदुइज्म की बात करें, तो 108 का काफी गहरा महत्व है।
नई दिल्ली, जुलाई 02: हमारी दुनिया में गणित का बेहद अहम स्थान और आजतक दुनियाभर में जितने भी खोज हुए हैं, या हो रहे हैं, उनमें गणित अपनी गहरी भूमिका निभाता है और गणित का खेल नंबरों का है। लेकिन, गणित के अलावा दुनियाभर में कई ऐसे नंबर हैं, जो एक अलग महत्व रखते हैं और जिनकी एक अलग पहचान बन जाती है। जैसे 007- जेम्स बांड की पहचान बन चुकी है, तो नंबर 786 इस्लाम में एक पवित्र नंबर माना जाता है। उसी तरह से एक और नंबर है 108, जिसे दुनिया का सबसे रहस्यमयी नंबर माना जाता है और इस नंबर का सनातन धर्म से गहरा जुड़ाव रहा है। लेकिन, आज के वक्त में, जब विज्ञान ने काफी तरक्की की है, इस रहस्यमयी नंबर 108 को लेकर कई हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं।
कई धर्मों में 108 का महत्व
सनातन धर्म के अलावा 108 नंबर का महत्व बौद्ध धर्म में भी काफी माना जाता है और अगर हिंदुइज्म की बात करें, तो 108 का काफी गहरा महत्व है। हिंदूइज्म में शक्तिपीठों की संख्या 108 है, उपनिषदों की संख्या भी 108 है, तो हिंदुओं के अराध्य भगवान शिव के भी 108 नाम हैं और ऐसा माना जाता है, कि इन 108 नामों का जाप करने से किसी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इतना ही नहीं, भगवान शिव का विश्वप्रसिद्ध डांस स्टेप, नटराज, जिसे वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त है और जिसपर कई वैज्ञानिक अभी रिसर्च कर रहे हैं, उसमें भी डांस के 108 स्टेप हैं, जिसे ब्रह्मांड के निर्माण से जोड़ा जाता है और कॉस्मिक से इसे जोड़कर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।
सनातन से काफी जुड़ा है 108
नंबर 108 सनातन धर्म से काफी जुड़ा हुआ है और हाथ में माला लेकर जो जाप करते हैं, उनमें भी रूद्राक्ष के 108 दाने होते हैं। इनके अलावा हिंदुओं में किसी चीज का 108 होना बहुत शुभ माना जाता है और इसका सबसे अच्छा उदहरण दक्षिण-पूरीव एशियाई देश कंबोडिया है, जहां अंगकोर वट मंदिर में देखने को मिलता है, जिसका निर्माण 108 बड़े पत्थरों से किया गया है। इसके अलावा श्रीयंत्र में भी 108 नंबर बार बार आता रहता है, जो मेडिटेशन और पूजा के लिए काफी पवित्र माना जाता है। श्रीयंत्र में कुल 9 त्रिकोण होते हैं, जिनमें से 4 त्रिकोण ऊपर होते हैं, जो शिव का प्रतीक है और पांच त्रिकोण नीचे होते हैं, जो शक्ति को प्रतिनिधित्व करते हैं।
नंबर 108 का क्यों है महत्व?
नंबर 108 में शामिल तीनों संख्याओं को जब हम जोड़ते हैं, तो 1+0+8=9 होता है, और ये 9 त्रिकोण 54 बार एक दूसरे से मिलते हैं, पुरूष और महिला के क्वालिटी का प्रतिनिधित्व करता है और 54 को दो बार गुना करने पर भी 108 होता है। यानि, 108 नंबर का काफी महत्व है। वहीं, हिंदुइज्म के अलावा बौद्ध धर्म में भी नंबर 108 का काफी महत्व है और इसे एक रहस्यमयी नंबर माना जाता है, जो बार बार आता रहता है।
बौद्ध धर्म में भी 108 का है महत्व
भगवान शिव की तरह ही भगवान गौतम बुद्ध के 108 नाम हैं, वहीं, भगवान बुद्ध के ज्यादातर मंदिरों में सीढ़ियों की संख्या भी 108 ही होती है। वहीं, लंकावत्रत्रा सुत्र में भगवान बुद्ध और बोधित्सव के बीच महामाया बुद्धिइज्म पर 108 सवाल-जवाब किए गये थे। वहीं, तिब्बतन बुद्धिइज्म में गुप्त किताबों की संख्या भी 108 है, जिनमें 108 प्रकार के पापों की संख्या बताई गई है, जिन्हें दूर किए बिना निर्वाण की प्राप्ति नहीं हो सकती है। इसके साथ ही हिंदुइज्म और बौद्ध धर्म में कहा गया है, कि हर इंसान के पास 108 प्रकार के इमोशन होते हैं, जिनमें से 36 इमोशन भूतकाल से, 36 इमोशन वर्तमान काल से और 36 इमोशन भविष्यकाल से जुड़े होते हैं।
ईसाई धर्म में भी है 108 का महत्व
हिंदू और बौद्ध धर्म के अलावा ईसाई धर्म में भी नंबर 108 को एक रहस्यमयी नंबर माना जाता है और ईसाईयों की छुट्टियों में 108 नंबर का स्पेशल स्थान है। ईसाईयों में 'सोल डे' 2 नवंबर को होता है और क्रिसमस 25 दिसंबर को होता है और इनके बीच 54 दिन और 54 रात होते हैं, जिसे जोड़ने पर 108 आता है। ईसाई धर्म में ऐसा माना जाता है, कि 2 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच 54 बार सकारात्मक ऊर्जा, नकारात्मक ऊर्जा में बदलती है और फिर इतने ही बार वापस वो नकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
पृथ्वी और ब्रह्मांड से कैसे जुड़ा है 108?
साल 1170 में इटली के विद्वान वैज्ञानिक लियोनार्डो ऑफ पिसा ने अपनी रिसर्च में कहा था, कि नंबर 108 ब्रह्मांड की यूनिटी और अस्तित्व को दर्शाता है। लियोनार्डो की तरह ही एक और इटली के महान गणितज्ञ गैलीलियो का मानना था, कि हमारा पूरा ब्रह्मांड एक गणीतिय गणना पर आधारित है, जिसे हल करने से ब्रह्मांड के रहस्यों को समझा जा सकता है। उनका मानना था, कि ये नंबर एक सीक्रेट कोड की तरह है, जिसे डिकोड करने के बाद हम ब्रह्मांड के रहस्य को सुलझा सकते हैं और उन्होंने नंबर 108 को एक तिलस्मी सीक्रेट कोड करार दिया था।
सूर्य और पृथ्वी से जुड़ा है नंबर 108
इनके अलावा पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी और चंद्रमा से सूर्य की दूरी को देखें, तो उसमें भी नंबर 108 का काफी महत्व पता चलता है। अगर हम पृथ्वी से चांद की दूरी की बात करें, तो ये दूरी 3 लाख 84 हजार 400 किलोमीटर है, जो चंद्रमा के कुल डायमीटर का 108 गुना है। वहीं, पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 152.09 मिलियन किलोमीटर की दूरी है, जो सूर्य के डायमीटर का 108 गुना है।
अब वैज्ञानिक इस गणना को नहीं मानते हैं संयोग
पहले इसे महज संयोग माना जाता था, लेकिन जैसे जैसे वैज्ञानिकों ने दुनिया के रहस्यों को जानना शुरू किया है, उन्होंने 108 नंबर को महज संयोग मानना बंद कर दिया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वैज्ञानिकों को पता चला है, कि पृथ्वी और पृथ्वी के सराउंडिंग बॉडीज के बीच 108 बेस्ड सिमिलेरिटीज का होना महज संयोग नहीं है, लिहाजा अब वैज्ञानिकों ने इस पैटर्न को समझने के लिए गहरा रिसर्च शुरू कर दिया है और वैज्ञानिकों का मानना है, कि अगर उन्होंने इसे डिकोड कर लिया, तो वो ब्रह्मांड के बड़े रहस्य को सुलझा लेंगे।
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