ब्राजील में मिला डायनासोर के अंडों से भरा घोंसला, क्या पृथ्वी पर फिर होगा दैत्याकार जीवों का साम्राज्य?
पिछसे साल दिसंबर में वैज्ञानिकों ने चीन में डायनासोर के अंडे के अंदर से भ्रूण मिलने के बाद बताया था कि, उन्होंने कम से कम 70 मिलियन वर्ष यानि करीब 7 करोड़ साल पहले के एक असाधारण रूप से संरक्षित डायनासोर भ्रूण को खोजा है।
ब्रासीलिया, जनवरी 01: क्या धरती पर एक दिन फिर से विशालकाय मांसाहारी जीवों का साम्राज्य कायम होने वाला है और क्या एक बार फिर से इंसान अपनी आंखों से डायनासोर को घूमते उसी तरह से देख सकते हैं, जिस तरह से चिड़ियाघर में हम शेर और बाघ जैसे जंगली जानवरों को देखने जाते हैं? हालांकि, वैज्ञानिक लुप्त हो चुके कुछ जीवों के डीएनए के आधार पर उन्हें फिर से 'जिंदा' करने की कोशिश प्रयोगशाला में कर रहे हैं, इस बीच डायनासोर के अंडों का घोंसला मिला है, जिसने धरती से लुप्त हो चुके इन जीवों को लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है।
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अंडों का घोंसला मिला
दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील में डायनासोर के अंडों का घोंसला खोजने में वैज्ञानिकों ने कामयाबी हासिल की है। जब वैज्ञानिकों ने इस घोंसले के अंदर देखा, तो इसमें जीवाश्म अंडे मिले हैं, यानि वैज्ञानिकों के हाथ डायनासोर के वो अंडे लगे हैं, जिनमें से डायनासोर निकल सकते थे, लेकिन किन्हीं वजहों से अंडों से नये डायनासोर का जन्म नहीं हो पाया। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि, ये अंडे उन डायनासोर के हैं, जो करीब 6 करोड़ साल से 8 करोड़ साल के बीच शाकाहारी से मांसाहारी जीव में बदल गये होंगे। डायनासोर के घोंसले से वैज्ञानिकों को पांच अंडे मिले हैं, जो काफी अच्छी तरह से संरक्षित हैं।
मगरमच्छ से हैं संबंध?
वैज्ञानिकों ने कहा है कि, जब उन्होंने अंडों के घोंसले की खोज की थी, तो उन्होंने सोचा कि, ये अंडे मगरमच्छ के हो सकते हैं, लेकिन जब उन अंडों को लेकर प्रयोगशाला में स्टडी किया गया, तो पता चला कि ये अंडे असल में विशालकाय मांसाहारी डायनासोर के हैं। डायनासोर के ये अंडे उस जगह पर मिले हैं, जो मगरमच्छ के अंडों, क्रोकोडाइलोमोर्फ से संबंधित जीवाश्म साइट माना जाता है। विलियम रॉबर्टो नवा के नेतृत्व में जीवाश्म विज्ञानियों की एक टीम द्वारा गहन विश्लेषण के बाद बताया गया है कि, ये अंडे डायनासोर के हैं और इन अंडों का खोल कोडाइलोमोर्फ की तुलना में छोटा था।
कैसे हैं डायनासोर के अंडे
वैज्ञानिक विलियम रॉबर्टो नवा एक बहुत बड़े जीव विज्ञानी हैं और अभी तक कई प्राचीन और दिलचस्प खोज कर चुके हैं। उन्होंने ही डायनासोर के इन अंडों की भी खोज की है और उन्होंने जी-1 से बात करते हुए कहा कि, डायनासोर के ये अंडे चार से पांच इंच लंबे और दो से तीन इंच चौड़े हैं, जबकि प्राचीन मगरमच्छ के अंडे आमतौर पर तीन इंच से अधिक लंबे नहीं होते हैं। उन्होंने आगे बताया कि जीवाश्मित क्रोकोडाइलोमोर्फ अंडों का खोल एक छिद्रपूर्ण या चिकनी बनावट वाली होती है, जबकि डायनासोर के अंडे रिपल के आकार वाले बनावट लिए होते हैं।
कैसे बचे रहे डायनासोर के अंडे?
वैज्ञानिक विलियम रॉबर्टो नवा ने कहा कि, ये अंडे ब्राजील के साओ पाउलो के अंदरूरी हिस्से में स्थिति प्रेसीडेंट प्रूडेंटे शहर में डायनासोर ने दिए होंगे और इन अंडों से डायनासोर ने जन्म नहीं लिया होगा और धीरे धीरे ये अंडे मिट्टी में दबकर संरक्षित हो गये और बलुआ पत्थर में बदल गये। रॉबर्टो नवा ने कहा कि, ये मैटेरियल एक तरह से प्राकृतिक रक्षक के तौर पर काम करती है, डजो लाखों वर्षों में रेत की कई परतें बनाती है, जिन्होंने अंडों की रक्षा की है जब तक कि जीवाश्म विज्ञानियों ने हाल ही में उन्हें पिछले साल जमीन से नहीं निकाला था, ये इसी तरह से जमीन के अंदर दफ्न रहते। वैज्ञानिक नवा ने इस बात भी की संभावना जताई है कि, इन पांच अंडों में से हो सकता है कि, किसी अंडे में डायनासोर का भ्रूण भी मौजूद हो।
डायनासोर को लेकर खुलेंगे राज
वैज्ञानिक विलियम रॉबर्टो नवा ने उम्मीद जताते हुए कहा कि, इन अंडों के जरिए हम डायनासोर को लेकर और भी ज्यादा जानकारियां जुटा सकते हैं, लेकिन वो सबसे ज्यादा इस बात को लेकर उत्साहित हैं, कि क्या इन अंडों के अंदर डायनासोर के भ्रूण बने थे या नहीं? क्योंकि, कुछ दिनों पहले चीन के अंदर भी डायनासोर का एक अंडा मिला था, जिसमें एक डायनासोर का भ्रूण मिला था। उस भ्रूण को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा था कि, ये भ्रूण विकसित हो चुका था और बस अंडे से निकलने ही वाला था, लेकिन फिर प्राकृतिक कारणों से ये भ्रूण अंडे से बाहर निकल नहीं पाया होगा।
7 करोड़ साल पुराना अंडा
पिछसे साल दिसंबर महीने में वैज्ञानिकों ने चीन में डायनासोर के अंडे के अंदर से भ्रूण मिलने के बाद बताया था कि, उन्होंने कम से कम 70 मिलियन वर्ष यानि करीब 7 करोड़ साल पहले के एक असाधारण रूप से संरक्षित डायनासोर भ्रूण की खोज की है। भ्रूण को मुर्गी की तरह अंडे से निकलने के लिए तैयार किया गया था। डायनासोर का ये दुर्लभ अंडा, टूथलेस थेरोपोड डायनासोर का जीवाश्म दक्षिणी चीन के गांझोउ में पाया गया था और इसका नाम चायनीज म्यूजियम के नाम पर ''बेबी यिंगलियांग" रखा गया है। इस म्यूजियम में ऐसे ही दुर्लभ जीवाश्मों को संरक्षित कर रखा जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि, डायनासोर के इस जीवाश्म से कई दुर्लभ रहस्यों से पर्दा हटेंगे।
कैसा दिखता डायनासोर का अंडा
कनाडा में कैलगरी विश्वविद्यालय में भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर डार्ला जेलेनित्स्की ने कहा कि, अंडे के अंदर जो बेबी डायनासोर मिला है, उसकी हड्डियां छोटी और नाजुक हैं और इस तरह के जीवाश्म का मिलना असंभव मालूम होता है और शायद हम भाग्यशाली हैं कि, हमें बेबी डायनासोर का जीवाश्म मिला है। जीवाश्म का इस तरह से संरक्षित होना असंभव जान पड़ता है। मंगलवार को इस बेबी डायनासोर के बारे में आईसाइंस मैग्जीन में रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। इस रिसर्च को लिखने वाली सह लेखिका लेनित्स्की ने कहा कि, "यह एक अद्भुत नमूना है... मैं 25 वर्षों से डायनासोर के अंडों पर काम कर रही हूं और अभी तक ऐसा कुछ नहीं देखा है।"
कैसे खत्म हुए होंगे डायनासोर?
वहीं, मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐस्टरॉइड और डायनासोर के खत्म होने को लेकर चौंकाने वाला निष्कर्ष निकाला है। ये रिसर्च उस जगह पर किया गया है, जहां पर ऐस्टरॉइड की टक्कर पृथ्वी से हुई थी और ये जगह उत्तरी गोलार्ध में स्थिति है, जिसे तानिस जीवाश्म स्थल कहा जाता है। इस जगह पर हजारों जीवाश्म मिले थे और जिनके बारे में माना जाता है कि, उनकी मौत ऐस्टरॉइड के पृथ्वी से टकराने के बाद हुई थी। इस जगह को लेकर वैज्ञानिकों की अलग अलग टीम ने अलग अलग विश्लेषण किए हैं।
6.6 करोड़ साल पहले की घटना
शोध में पता चला है कि, वन्यजीवों की मृत्यु 66 मिलियन वर्ष पहले युकाटन प्रायद्वीप में एक बड़े ऐस्टरॉइड के धरती पर टकराने के कुछ घंटे के अंदर हो गई थी। इस जगह पर मछलियों के जीवाश्म का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि, जिस वक्त पृथ्वी से ऐस्टरॉइड की टक्कर हुई होगी, उस वक्त धरती पर बसंत ऋृतु खत्म हो रहा था और गर्मी की शुरूआत हो रही थी। ये जगह आज के मैक्सिको के पास है, जहां धरती के अंदर हजारों जीवाश्म दफ्न हैं और ये सभी के सभी जीवाश्म सिर्फ डायनासोर के ही नहीं हैं, बल्कि इनमें विशालकाय मछलियों के जीवाश्म भी दफ्न हैं, जिनके विश्लेषण से अद्भुत जानकारियां वैज्ञानिकों के हाथ लग रही हैं। बड़े पैमाने पर विलुप्ति क्रेटेशियस और पुरापाषाण काल के बीच की सीमा को चिह्नित करती है, और उस समय जीवित 75 प्रतिशत प्रजातियों की मृत्यु हो गई।
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